आतिशी ने CM रेखा गुप्ता को लिखी चिट्ठी, कहा- तत्काल प्रभाव से रोकी जाए स्कूलों में बढ़ी फीस

दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस को लेकर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने CM रेखा गुप्ता को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्टी में बढ़ी फीस रोकने और प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट कराने की मांग की गई है. 

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में बढ़ाई गई फीस को लेकर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने CM रेखा गुप्ता को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्टी में बढ़ी फीस रोकने और निजी स्कूलों का ऑडिट कराने की मांग की गई है. आपको बता दें कि दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ने से हाहाकार मचा हुआ है. स्कूलों के बाहर माता-पिता प्रोटेस्ट कर रहे हैं. इसको लेकर दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी ने दिल्ली की सीएम को एक लेटर लिखा है और उस लेटर को अपने एक्स अकाउंट पर भी शेयर किया है. अपने एक्स पोस्ट में आतिशी ने लिखा - मैंने मुख्यमंत्री @gupta_rekha जी को पत्र लिख कर मांग की है. इस लेटर में कहा गया है कि बढ़ी हुई फीस को तत्काल प्रभाव से रोका जाये और सब स्कूलों का ऑडिट करवाया जाए. अब मुख्यमंत्री जी क्या एक्शन लेती हैं, इससे पता चलेगा कि भाजपा सरकार एजुकेशन माफिया के साथ हैं या अभिभावकों के साथ. 

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यहां जानें अतिशी ने चिट्टठी में क्या लिखा-
आदरणीय रेखा गुप्ता जी.
मैं आपको दिल्ली में बड़ी संख्या में अभिभावकों की पीड़ा से अवगत कराने के लिए ये चिट्ठी लिख रही हूं, जिन्हें कई प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से बढ़ाई गई फीस और अन्य शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. हर दिन ऐसी खबरें आती हैं कि किसी न किसी स्कूल ने असहाय पेरेंट्स को फीस बढ़ाने का नोटिस भेजा गया है. पेरेंट्स को यह भी धमकी दी जाती है कि वे बढ़ी हुई फीस जमा करें, नहीं तो उनके बच्चों को क्लास में बैठने की परमिशन नहीं दी जाएगी. यह बच्चों और उनके पेरेंट्स दोनों के लिए बेहद अपमानजनक है. महोदया, शिक्षा कोई बिजनेस नहीं है और प्राइवेट स्कूलों में मुनाफाखोरी की अनुमति नहीं दी जा सकती. पिछले 10 सालों में अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार और उसके बाद मेरी सरकार ने इस सिद्धांत का सही से पालन किया है. दुर्भाग्य से आपकी सरकार के पहले दो महीनों में ही ऐसा लग रहा है, जैसे प्राइवेट स्कूलों को पेरेंट्स को अपनी इच्छानुसार लूटने का लाइसेंस दिया जा रहा है.

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इन स्कूलों में बढ़ाई गई फीस
इसका कुछ उदाहरण देते हैं. लांसर कॉन्वेंट ने 30% फीस बढ़ाने की घोषणा की है.  सलवान पब्लिक स्कूल ने 18% तक फीस फीस बढ़ाने की घोषणा की है. वहीं, सेंट एंजेल्स स्कूल ने इसे 11% बढ़ाया है. एल्कॉन पब्लिक स्कूल, बिरला विद्या निकेतन, रुक्मिणी देवी पब्लिक स्कूल, ग्रीनफील्ड पब्लिक स्कूल, आदि कुछ और उदाहरण हैं जहां अब फीस बढ़ा दी गई है. बार-बार, आपने दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का कमिटमेंट किया है. National Education Policy के खंड 8.3 में कहा गया है कि देश में मौजूदा नियामक तंत्र ( Existing regulatory mechanism) कई लाभकारी प्राइवेट  स्कूलों द्वारा अभिभावकों के व्यवसायीकरण और आर्थिक शोषण को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है. NEP शिक्षा के व्यावसायीकरण" को रोकने के लिए नियामक तंत्र को मजबूत करना चाहता है. 

'10 साल में नहीं दी गई फीस बढ़ाने की अनुमति'
पिछले 10 सालों में एक भी स्कूल को मनमाने ढंग से एक रुपया भी फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई. हमने फीस बढ़ाने की मांग करने वाले हर स्कूल के अकाउंट की जांच करने के लिए CAG के पैनल वाले ऑडिटर नियुक्त किए. स्कूलों की उन गड़बड़ियों की जांच की गई, जिसमें वे कई खाते बनाए रखते थे, ताकि यह दिखाया जा सके कि स्कूल के मुख्य खाते में कोई सरप्लस नहीं है और कई बार फीस वृद्धि के अनुरोध को अस्वीकार करने के लिए कारण बताते हुए आदेश जारी किए गए. कई मामलों में हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि कुछ स्कूलों द्वारा पहले से ली गई अतिरिक्त फीस अभिभावकों को वापस कर दी जाए. परिणामस्वरूप, हमने सुनिश्चित किया कि निजी स्कूल केवल उचित फीस ही लें और शिक्षा के नाम पर वे अपने लिए अनुचित लाभ न कमाएं. अब ऐसा लगता है कि आपकी सरकार के तहत, वे पिछले 10 वर्षों में जो भी तथाकथित "नुकसान" उन्हें हुआ है, उसकी भरपाई करने का प्रयास कर रहे हैं और भयावह बात यह है कि आपकी सरकार ने इस तरह की "जबरन वसूली" को अपना पूरा समर्थन देते हुए दूसरी तरफ़ देखना चुना है.  दिल्ली भर में अभिभावकों द्वारा विरोध प्रदर्शन के बावजूद आपकी सरकार की ओर से पूरी तरह से चुप्पी है.

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माता-पिता का उत्पीड़न रोकने के लिए मैं आपसे आग्रह करती हूं
1. तत्काल प्रभाव से आदेश जारी करें कि कोई भी स्कूल किसी भी अभिभावक/अभिभावक से बढ़ी हुई फीस तब तक न वसूले, जब तक कि स्कूल के खातों का ऑडिट न हो जाए.
2. फीस वृद्धि की मांग करने वाले स्कूल के सभी खातों का समयबद्ध तरीके से CAG के पैनल में शामिल लेखा परीक्षकों द्वारा ऑडिट किया जाना चाहिए.
3. 1-2% फीस बढ़ाने की अनुमति केवल उन्हीं स्कूलों को दी जाए जिनके वैध खर्चे फीस वृद्धि के अभाव में पूरे नहीं हो सकते.

मुझे पूरी उम्मीद है कि आप दिल्ली में "शिक्षा के व्यवसायीकरण" की संस्कृति को  नहीं करने देंगे, जिसे हमने पिछले 10 वर्षों में कड़ी मेहनत से रोका है.

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