UGC ड्राफ्ट रेगुलेशन को वापस लेने की मांग, चार साल के कोर्स पर दिल्ली विश्वविद्यालय के डूटा ने जताई आपत्ति

डूटा ने वेतन समीक्षा समिति (PRC) की रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मसौदा यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) विनियम, 2025 को वापस लेने का आग्रह किया है और लंबे समय से चली आ रही सेवा-संबंधी चिंताओं के तत्काल निवारण की मांग की है. यह ज्ञापन शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति को सौंपी गया, जो विश्वविद्यालय के विजिटर भी हैं.

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Delhi University Teachers’ Association (DUTA) called Four-Year Undergraduate Programme (FYUP) under NEP 2020 a failure Delhi University Teachers’ Association (DUTA) called Four-Year Undergraduate Programme (FYUP) under NEP 2020 a failure

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) ने एनईपी 2020 के तहत चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को एक विफलता बताया है. सोमवार को डूटा ने भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया, जिसमें पढ़ाई, ढांचे और नीति से जुड़ी कई समस्याओं पर चिंता जताई गई है. करीब 2,000 संकाय सदस्यों ने याचिका का समर्थन किया है.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर ए. के. भागी ने कहा, "इस समय हमारी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत चौथा साल चलाना संभव नहीं है. छात्रों की बढ़ती संख्या को संभालने के लिए हमें ज्यादा स्टाफ और सुविधाएं चाहिए, लेकिन हमारे पास न तो लोग हैं और न ही पैसे."

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UGC ड्राफ्ट को वापस लेने का मांग

डूटा ने वेतन समीक्षा समिति (PRC) की रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मसौदा यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) विनियम, 2025 को वापस लेने का आग्रह किया है और लंबे समय से चली आ रही सेवा-संबंधी चिंताओं के तत्काल निवारण की मांग की है. यह ज्ञापन शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति को सौंपी गया, जो विश्वविद्यालय के विजिटर भी हैं.

क्लासरूम की कमी से खतरे में पड़ेगा बच्चों का भविष्य

प्रोफेसर भागी ने कहा कि अगर फैकल्टी, बुनियादी सुविधाएं और क्लासरूम की कमी रही, तो चार साल के कोर्स (FYUP) से छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है. उन्होंने कहा, "यह विफलता का नुस्खा है. शैक्षणिक स्वतंत्रता की कीमत पर वित्तीय सहायता बर्दाश्त नहीं की जाएगी," उन्होंने कॉलेजों को तत्काल सुविधाओं को अपग्रेड करने के लिए विशेष सहायता की मांग की है.

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डूटा के सचिव डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि यूजीसी के नए नियमों को अभी के रूप में लागू नहीं करना चाहिए. पहले सभी शैक्षणिक लोगों से अच्छे से चर्चा होनी चाहिए और फिर इन्हें आने वाले 8वें वेतन आयोग में शामिल किया जाना चाहिए. इसके अलावा एसोसिएशन ने भी कई मुद्दे उठाए जैसे कि कक्षाओं और प्रयोगशालाओं में अधिक छात्रों की संख्या, अकादमिक कैलेंडर देरी से रिलीज होना, शिक्षकों पर अत्यधिक बोझ और SWAYAM और MOOC जैसे ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की प्रकृति DU के पाठ्यक्रम के साथ मेल नहीं खाती.

एसोसिएशन ने कई मुद्दे उठाए जैसे कि कक्षाओं और प्रयोगशालाओं में भीड़भाड़, अकादमिक कैलेंडर में देरी, शिक्षकों पर अत्यधिक बोझ और SWAYAM और MOOC जैसे ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की प्रकृति DU के पाठ्यक्रम के साथ मेल नहीं खाती. DUTA ने एकेडमिक क्रेडिट हासिल करने के लिए ऐसे प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल का भी विरोध किया, चेतावनी दी कि इससे अकादमिक मानक कमज़ोर होंगे और छात्र-शिक्षक जुड़ाव कम होगा,

संघ ने फिर से मांग की है कि एमफिल और पीएचडी पर मिलने वाली वेतन बढ़ोतरी वापस लाई जाए, पहले की तदर्थ सेवा को प्रमोशन में गिना जाए, सीनियर प्रोफेसर बनने की मनमानी सीमाएं हटाई जाएं और प्रमोशन की प्रक्रिया दो महीने में पूरी की जाए.डूटा ने आखिर में राष्ट्रपति और शिक्षा मंत्रालय से अपील की कि सुधार ऊपर से थोपे न जाएं, बल्कि शिक्षक हित, अकादमिक स्वतंत्रता और सभी से बातचीत के आधार पर हों.

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