दिल्ली यूनिवर्सिटी ने छात्र संघ चुनाव को अच्छे से संपन्न कराने के लिए शुक्रवार को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया है. यह गाइडलाइन यूनिवर्सिटी की संपत्ति जैसे दीवार आदि को खराब करने से रोकने के लिए बनाई गई है. इसमें अनुशासन, अकाउंटेबिलिटी और लीगल मानकों के पालन में सख्ती के निर्देश दिए गए हैं. ये नियम अलग-अलग कानूनों, कोर्ट के आदेशों और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों पर आधारित हैं.
इस गाइडलाइन के अनुसार अब हर छात्र को एडमिशन के दौरान एंटी-रैगिंग की तरह ही एंटी-डिफेसमेंट एफिडेविट भी भरना पड़ेगा. कॉलेज और डिपार्टमेंट को अनुशासन और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा पर ओरिएंटेशन प्रोग्राम कराना होगा. चुनाव प्रचार को नियंत्रित तरीके से करने के लिए संस्थानों को walls of democracy के लिए निर्धारित स्थानों की संख्या बढ़ानी होगी. इसके अलावा शिकायत दर्ज करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया जाएगा.
कैंडिडेट्स को भरना होगा 1 लाख का बॉन्ड
नॉमिनेशन के वक्त हर कैंडिडेट को ₹1 लाख का बॉन्ड भरने की जरूरत होगी. इसके अलावा कैंडिडेट या उसके समर्थक किसी तरह की तोड़फोड़ नहीं कर सकेंगे. अगर किसी ने फर्जी पहचान या नाम की स्पेलिंग बदलकर धोखा देना चाहा, तो उस छात्र को 24 घंटे में पुलिस और यूनिवर्सिटी को जानकारी देनी होगी. ऐसा न करने पर ₹25,000 तक का जुर्माना, सस्पेंशन या कॉलेज से निकाला जा सकता है.
प्रचार और विजय जुलूस में इन चीजों पर बैन
प्रचार के लिए पोस्टर, रैली, रोड शो, लाउडस्पीकर और गाड़ियों को सख्त रूप से मना कर दिया गया है. स्टूडेंट को इलेक्ट्रॉनिक मेथड फॉलो करने की सलाह दी गई है. इसके साथ चुनाव जीत जाने के बाद विजय जुलूस निकालने के दौरान ढोल, ताशा इत्यादि पर बैन लगा दिया गया है
निगरानी के लिए सभी कॉलेजों में बनेंगी कमेटियां
एडमिशन और चुनाव के लिए केवल सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट में दर्ज नाम ही मान्य माने जाएंगे, इसमें बदलाव के लिए केवल ऑफिशियल गवर्नमेंट प्रोसेस को फॉलो करना होगा. एंटी डिफेसमेंट नियमों की निगरानी के लिए हर कॉलेज में College Committee for Prevention of Defacement of Property बनाई जाएगी.
ये नियम Prevention of Damage to Public Property Act, 1984, Delhi Prevention of Defacement of Property Act 2007 और National Green Tribunal व दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों के आधार पर बनाए गए हैं. अगर कोई इनका उल्लंघन करता है, तो इसे गंभीर अनुशासनहीनता माना जाएगा और यूनिवर्सिटी के नियमों के तहत सजा दी जाएगी.
कुमार कुणाल