दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने सभी कॉलेजों और संस्थानों को सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक खोलने का आदेश जारी किया है. यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि इस कदम का मकसद संसाधनों का इष्टतम उपयोग (Optimum Use) करना है. लेकिन, इस फैसले से शिक्षक वर्ग में नाराजगी देखने को मिल रही है.
31 जुलाई को जारी इस निर्देश में कहा गया है कि यह निर्णय 12 जुलाई को हुई कार्यकारी परिषद (EC) की बैठक में विचार-विमर्श के बाद लिया गया. यह आदेश उस समय आया है जब विश्वविद्यालय के नए सेशन की शुरुआत हो रही है और पहली बार चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) के तहत चौथे साल में छात्र दाखिल हुए हैं.
विचार-विमर्श के बाद लिया गया फैसला
31 जुलाई के निर्देश में कहा गया कि यह निर्णय 12 जुलाई को कार्यकारी परिषद की बैठक में विचार-विमर्श के बाद लिया गया. यह आदेश सत्र से पहले आया है, जिसमें पहली बार चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के तहत चौथे वर्ष में प्रवेश करने वाले छात्र शामिल हैं. इस विस्तार से संकाय सदस्यों में बुनियादी ढांचे और मानव शक्ति की कमी के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं. अधिसूचना में कहा गया है, "इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तथा इस अवधि के दौरान संकाय और कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, संकाय और कर्मचारियों की तैनाती अलग-अलग की जाएगी."
कॉलेज में पढ़ाएंगे गेस्ट फैकल्टी
इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ नियमित संकाय सदस्यों को चौथे वर्ष के छात्रों को पढ़ाने और मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, और जहां भी आवश्यक हो, गेस्ट फैकल्टी को हायर किया जाएगा. किरोड़ीमल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रुद्राशीष चक्रवर्ती ने आदेश की निंदा की. उन्होंने कहा, "कॉलेजों के सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक के कार्यक्रम को अब विश्वविद्यालय से आधिकारिक मंजूरी मिल गई है, जिससे कॉलेजों को इस तरह की कठोर, शिक्षक-विरोधी और छात्र-विरोधी अधिसूचना अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
उन्होंने कहा कि आदेश में शिक्षकों को काम करने के लिए बाध्य किया गया है, "भले ही शिक्षकों के बैठने और काम करने के लिए कोई स्थान न हो" तथा इसमें विषम समय पर यात्रा करने वाले शिक्षकों और छात्रों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को नजरअंदाज किया गया है. मिरांडा हाउस की एक संकाय सदस्य आभा देव हबीब ने इस आदेश के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया, जो संभवत प्रथम वर्ष के शिक्षण को अतिथि या कम अनुभवी संकाय पर धकेल देता है. उन्होंने कहा, "किसी विश्वविद्यालय या विषय में नए बैच का स्वागत करने का यह कोई तरीका नहीं है
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