'मैं इंडिया में आती जाती रहती हूं, अमेरिका में भी अपनी हिन्दुस्तानी सहेलियों के साथ सीखती रहती हूं, मैंने पाकिस्तानी इदारे में भी काम किया है...' कुछ इसी अंदाज में जब मार्गरेट मैक्लाउड उर्दू अल्फाजों के मेलजोल के साथ फर्राटे से हिंदुस्तानी हिंदी बोलती हैं तो हर किसी का दिल जीत लेती हैं. हाल ही में दिल्ली में हुई जी-20 की बैठक में मीडिया में उनके भाषा ज्ञान की खूब चर्चा रही.
मार्गरेट पहली बार चर्चा में तब आईं जब उन्होंने एक संवाददाता के सवाल के जवाब में फर्राटे से हिंदी बोलनी शुरू कर दी. इस हिंदी की खासियत यह थी कि इसमें कई उर्दू फारसी अंग्रेजी के शब्द भी शामिल थे. ऐसी भाषा जैसी भारत के ज्यादातर हिंदीभाषी बोलते हैं. उनकी भाषाई समझ को हर कोई सराह रहा है.
कौन हैं मार्गरेट मैक्लाउड?
बता दें कि मार्गरेट मैक्लियॉड एक अमेरिकी डिप्लोमेट हैं और अमेरिकन स्टेट डिपार्टमेंट में प्रवक्ता हैं. उन्हें एक राजनयिक के तौर पर 14 साल का अनुभव है. मार्गरेट के बारे में सबसे मजेदार बात यह है कि न सिर्फ वो हिंदी भाषा पर पूरी पकड़ रखती हैं, बल्कि इसके साथ ही वो उर्दू, गुजराती भी वो बोल लेती हैं. मार्गरेट की लिंक्डन प्रोफाइल के अनुसार वो अंग्रेजी के अलावा हिंदी, उर्दू, गुजराती, फ्रेंच और जापानी भाषा जानती हैं.
मार्गरेट मैक्लाउड ने बताया कहां से सीखी हिंदी
हिंदी भाषा में अपनी अच्छी पकड़ को लेकर मार्गरेट कहती हैं कि उन्होंने जब दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया था तो वहां तो अंग्रेजी बोली जाती थी, लेकिन मेरी हॉस्टल में सहेलियों के साथ बातचीत में मैंने हिंदी सीख ली. हिंदी सीखने के लिए रिक्शे वालों के साथ राब्ता रखती थी. फिर विदेश मंत्रालय से जब नियुक्ति हुई तो उस दौरान गुजराती सीख ली. मैंने इस्लामाबाद में रहने के दौरान उर्दू भी सीख ली.
एक नहीं तीन यूनिवर्सिटी से की है पढ़ाई
मार्गरेट ने कॉलंबिया यूनिवर्सिटी से सस्टेनेबल डेवलेपमेंट पीएचडी तो जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में बैचलरेट डिग्री और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से रॉटरी स्कॉलरशिप के तहत पढ़ाई की है. अगर उनके और एक्सपीरियेंस की बात करें तो वो यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट में फॉरन सर्विस ऑफिसर हैं. वो रिसर्च असिसटेंट होने के साथ-साथ टूर डायरेक्टर भी रह चुकी हैं.
मार्गरेट ने कई विदेशी और घरेलू असाइनमेंट में रही हैं. उनकी भूमिका में उच्च रैंकिंग अधिकारियों के लिए लेखन और पब्लिक स्पीकिंग समेत कई जिम्मेदारियां शामिल हैं. मार्गरेट को न सिर्फ नई-नई भाषाएं सीखने का शौक है, बल्कि वो सीखती भी बहुत तेजी से हैं. शायद यही वजह है कि वो भारत में आम बोलचाल की भाषा में इतनी पारंगत हो गईं. हमारी हिंदुस्तानी भाषा के बारे में कहा जाता है कि यहां सिर्फ विशुद्ध हिंदी नहीं बोली जाती, हमारी भाषा में उर्दू, अरबी और फारसी के भी शब्द समाहित हैं.
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