समय के साथ-साथ हमारी जरूरतें भी बढ़ती जा रही हैं. लगभग हर दिन हम बाजार से या ऑनलाइन कुछ न कुछ मंगवाते रहते हैं यानी कुछ न कुछ खरीदते रहते हैं. ऐसे में कई बार तो हमें अच्छी या सही चीज मिल जाती है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि हम खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. इसकी कई वजह हो सकती हैं, या तो आपसे किसी सेवा के नाम पर एक्स्ट्रा पैसा वसूला गया हो या आपको सही चीज न मिली हो. ऐसा होने पर क्या किया जाए? इस बात की जानकारी सभी को नहीं होती है. वर्ल्ड कंज्यूमर डे के मौके पर आइए जानते हैं क्या हैं उपभोक्ता अधिकार यानी कंज्यूमर राइट्स.
कब हुई शुरुआत और क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड कंज्यूमर डे?
यह दिन पहली बार 15 मार्च, 1983 को मनाया गया था. जो 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन फिट्जगेराल्ड कैनेडी के अमेरिकी कांग्रेस के संबोधन से प्रेरित था. उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को संबोधित किया और इसके महत्व पर जोर दिया और इसके बारे में बात करने वाले पहले विश्व नेता बने.
वर्ल्ड कंज्यूमर डे यानी विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ता बाजार के शोषण या अन्याय का शिकार न हो. ये दिन उपभोक्ताओं को उनके हक के बारे में जागरूक कराने के लिए मनाया जाता है. इसके जरिए उपभोक्ताओं को उनकी शक्तियां और अधिकार याद दिलाए जाते हैं. आइये जानते हैं उपभोक्ता होने के नाते आपके कौन-कौन से हक हैं.
सुरक्षा का अधिकार Right to Safety: एक उपभोक्ता को ऐसी वस्तुओं और सेवाओं की मार्किटिंग से सुरक्षा का अधिकार है जो जीवन और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. यानी कोई भी वस्तु या सेवा ऐसी न हो जिससे उपभोक्ता को नुकसान पहुंचे.
सूचना देने का अधिकार Right to be informed: इसके तहत वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा, सामर्थ्य, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में सूचित किए जाने का अधिकार ताकि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाया जा सके. यानी उपभोक्ता को प्रोडक्ट या सर्विस की शुद्धता, मानक और मूल्य जानने का भी पूरा हक है.
चुनने का अधिकार Right to Choose: इसके तहत उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के उत्पाद चुनने की आजादी है. इसका मतलब ये है कि बेचने वाले को गुणवत्ता, ब्रांड, आकार आदि के संदर्भ में उत्पादों की एक विस्तृत विविधता पेश करनी चाहिए. ताकि उपभोक्ता प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध विभिन्न उत्पादों की तुलना करके एक सही विकल्प बना सके.
सुने जाने का अधिकार Right to be heard: उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करने और किसी वस्तु या सेवा से असंतुष्ट होने की स्थिति में सुनवाई का अधिकार है. कोई भी ग्राहक के साथ अनुचित व्यवहार नहीं कर सकता. ग्राहक को बेईमान व्यक्ति के खिलाफ आवाज उठाने का हक है.
निवारण का अधिकार Right to Redressal: उपभोक्ता को अनुचित व्यापार प्रथाओं और शोषण की वजह से हुए नुकसान के कारण मुआवजे की मांग करने का अधिकार है. दिया गया मुआवजा नुकसान के आधार पर निर्भर करता है. उत्पादकों द्वारा धोखा दिए जाने और उनका शोषण किए जाने की स्थिति में उपभोक्ताओं को उसके निवारण का अधिकार है.
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार Right to Consumer Education: इसके तहत जीवनभर एक सूचित उपभोक्ता होने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार है. उपभोक्ताओं के शोषण में मुख्य रूप से अधिकारों की अज्ञानता जिम्मेदार है. उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों को जानना चाहिए और उनका प्रयोग करना चाहिए.
ऐसे कर सकते हैं शिकायत
कंज्यूमर को खरीदारी के दौरान मैनुफेक्चरिंग, एक्सपायरी डेट और क्वालिटी देखनी चाहिए. अगर खराब क्वालिटी या एक्सपायरी सामान बेचा जा रहा है तो इसकी शिकायत कर सकते हैं. मॉल, रेस्टोरेंट, रेलवे, बैंक, इंश्योरेंस कंपनी आदि अगर कस्टमर से किए गए वादे पर खरे न उतरते तो इसकी भी शिकायत कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे कर सकते हैं शिकायत दर्ज.
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