क्यों अधिकारी, नेताजी की कुर्सी पर लगाते हैं सफेद तौलिया? ये है इसकी कहानी

बड़े अधिकारी या किसी नेता की कुर्सी पर हमेशा एकदम साफ सफेद तौलिया बिछा नजर आता है. लेकिन हमेशा बड़े अधिकारी या नेता सफेद तौलिया ही क्यों बिछाते हैं, इसका कारण क्या है? आइए आपको विस्तार से समझाते हैं.

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Theories Behind the White Towel on Officers' Chairs Theories Behind the White Towel on Officers' Chairs

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:04 PM IST

अफसरों और नेताओं की कुर्सी के सफेद तौलिया से पुराना कनेक्शन है. आपने नोटिस किया होगा IAS/IPS या किसी नेता की कुर्सी पर हमेशा एकदम साफ और मखमली सफेद तौलिया बिछा होता है. अगर एक कमरे में अल-अलग कुर्सियां हो को सफेद तैलिया से साफ पहचाना जा सकता है कि है ये किसी बड़े आदमी की कुर्सी है, लेकिन ऐसा क्यों? अफसरों की कुर्सी पर हमेशा सफेद तौलिया ही क्यों बिछाया जाता है, काला, हरा, पीला या नहीं क्यों नहीं और हमेशा तौलिया होना जरूरी क्यों है?

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इसकी शुरुआत कहां से हुआ और इसकी वजह क्या है, इसको लेकर एक नहीं कई थ्योरी हैं. आइए आपको एक एक करके सभी थ्योरी बताते हैं. तौलिया सिस्टम के बारे में एक थ्योरी है कि यह अंग्रेजों के राज का बकाया है. बताया जाता है कि इस सिस्टम की शुरुआत ब्रिटिश राज से पहले ही हुई थी, जब अंग्रेज और भारतीय दफ्तरों में अलग-अलग शिफ्ट में काम करते थे. सुबह की शिफ्ट भारतीयों की होती थी, जो दोपहर तक काम करते थे, और उसके बाद अंग्रेज अफसर अपनी शिफ्ट शुरू करते थे.

भारतियों की आदत होती है कि वे बालों में तेल लगाते हैं. जब वे तेल लगे बालों के साथ कुर्सी पर बैठते थे, तो कुर्सी की पीठ तेल से चिपचिपी हो जाती थी फिर अंग्रेज अफसर, जो सफेद कपड़े पहनते थे, जब उसी कुर्सी पर बैठते थे, तो उनके कपड़ों पर तेल के दाग लग जाते थे. इसके बाद एक एक नियम बनाया गया कि हर कुर्सी पर तौलिया बिछाया जाए ताकि तेल सीधे कुर्सी पर न लगे. खासकर अफसरों की कुर्सियों पर तौलिया रखा जाता था, क्योंकि वे लकड़ी की नहीं बल्कि गद्देदार कुर्सियों पर बैठते थे. यह व्यवस्था धीरे-धीरे सभी अफसरों के बीच आम हो गई. बाकी कर्मचारी लकड़ी की कुर्सी पर बैठते थे.

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सफेद तौलिया की दूसरी थ्योरी भी अंग्रेजों से जुड़ी हुई है
 
दूसरी थ्योरी के मुताबिक़, अंग्रेज अफसरों को भारत के गरम और नमी वाले मौसम में बहुत तकलीफ़ होती थी. उस समय दफ्तरों में एसी या कूलर नहीं होते थे, बिजली भी बार-बार चली जाती थी, जिससे पंखे भी बंद हो जाते थे. ऐसे में अंग्रेज अफसरों को गर्मी और कुर्सी के लेदर से बहुत असुविधा होती थी. उनके कपड़े पसीने से गीले हो जाते थे और लेदर कपड़ों को खराब भी करता था.

इस समस्या से बचने के लिए उन्होंने कुर्सियों पर कपड़े या टॉवल रखने शुरू किए लेकिन कपड़ा बार-बार हटाना और ठीक से रखना मुश्किल था, और पसीने से भीग जाता था. इसलिए उन्होंने टर्किश टॉवल्स का इस्तेमाल किया, जो बड़े और मुलायम होते थे. ये टॉवल कुर्सियों पर अच्छे से चिपक जाते थे, हटते नहीं थे और बैठने में आरामदायक थे. इस थ्योरी के अनुसार, यह सिस्टम ब्रिटिश काल से चला आ रहा है और धीरे-धीरे अफसरों से लेकर सरकार के वरिष्ठ नेताओं तक में भी यह प्रथा फैल गई.

कुर्सियों पर तौलिया क्यों रखा गया यह तो समझ गए लेकिन सफेद ही क्यों

कुर्सियों पर तौलिया क्यों रखा जाता है, इसकी कई थ्योरी हैं. लेकिन सफेद तौलिया क्यों होता है, इसके दो मुख्य कारण हैं. पहला ये कि सफेद रंग सादगी, साफ-सफाई और ईमानदारी का प्रतीक होता है. सफेद रंग पर दाग जल्दी दिख जाते हैं, इसलिए यह समय पर साफ किया जा सकता है, अफसरों और नेताओं की कुर्सी पर सफेद तौलिया इसलिए लगाया जाता है ताकि वे साफ और निष्पक्ष दिखें साथ ही सफेद रंग लग्जरी जैसा भी माना जाता है.

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दूसरी थ्योरी कहती है कि सफेद तौलिया साफ करना आसान होता है. इसे धोकर ब्लीच किया जा सकता है, जबकि रंगीन तौलियों को साफ करना मुश्किल होता है. होटल और ट्रेनों में भी इसी वजह से सफेद चादरें और तौलिये होते हैं.

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