Did You Know: प्लेन में यात्रियों की सेफ्टी के लिए क्यों नहीं होता पैराशूट? जान लीजिए वजह

क्या आपने कभी सोचा है कि यात्रियों की सेफ्टी के लिए कमर्शियल प्लेन में पैराशूट्स क्यों नहीं होते? इसके एक नहीं बल्कि चार कारण हैं. यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए ही कमर्शियल प्लेन में पैराशूट्स नहीं होते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं वो चार कारण.

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Why Commercial Planes Don't Have Parachutes (Representational Image) Why Commercial Planes Don't Have Parachutes (Representational Image)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 3:49 PM IST

फाइटर जेट्स और मिलिट्री क्राफ्ट्स में अक्सर आपने देखा होगा कि आपात स्थिति के लिए पैराशूट्स दिए गए होते हैं. किसी भी आपात स्थिति में फाइटर जेट्स और मिलिट्री क्राफ्ट्स में मौजूद लोग पैराशूट के इस्तेमाल से खुद की जान बचा सकते हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि कमर्शियल प्लेन में यात्रियों की सुरक्षा के लिए पैराशूट्स क्यों नहीं होते? दरअसल, कमर्शियल प्लेन में यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही पैराशूट्स नहीं होते हैं. 

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आखिर क्या है वजह?
किसी मूवी या टीवी शो में आपने देखा होगा कि लोग आसानी से पैराशूट्स का इस्तेमाल कर लेते हैं. इन्हें देखकर लगता भी है कि पैराशूट्स को इस्तेमाल करना बेहद आसान है, लेकिन ऐसा होता नहीं है. पैराशूट्स को इस्तेमाल करने के लिए किसी को भी ट्रेनिंग की जरूरत होती है. बिना ट्रेनिंग के पैराशूट का इस्तेमाल आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. यही वजह है कि यात्री विमान में पैराशूट्स नहीं दिए होते. कमर्शियल प्लेन में शायद ही कोई यात्री ऐसा हो जिसमे पैराशूट इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग ली हो. ऐसे में अगर यात्रियों को पैराशूट्स मिलेंगे तो वो इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे और खुद की जान को खतरे में डाल सकते हैं. 

कमर्शियल प्लेन की स्पीड होती है ज्यादा
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि स्काईडाइविंग के वक्त भी लोगों के पास ट्रेनिंग नहीं होती तो वो कैसे विमान से कूदते हैं. बता दें, स्काईडाइविंग प्लेन कमर्शियल प्लेन से बहुत अलग होते हैं. वहीं, जब कोई स्काईडाइविंग भी करता है तो उनके साथ हमेशा एक ट्रेन्ड प्रोफेशनल भी विमान से कूदता है. वहीं, दूसरी वजह है कि स्काईडाइविंग वाले प्लेन 15 हजार से 16 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं और उनकी गति धीमी होती है जबकि यात्री विमान 35 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ते हैं और उनकी गति बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में कमर्शियल प्लेन से बाहर कूदना जानलेवा हो सकता है और आपको घायल भी कर सकता है. 

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कमर्शियल प्लेन बहुत बड़े होते हैं
कमर्शियल प्लेन स्काईडाइविंग के लिए डिजाइन नहीं होते हैं. स्काईडाइविंग प्लेन बहुत अलग होते हैं. वो साइज में छोटे होते हैं. वहीं, जो मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स होते हैं उनके पीछे के हिस्से में कूदने के रैंप बना होता है. जबकि, कमर्शियल प्लेन में ऐसा कोई रैंप नहीं होता है. साथ ही इनका साइज भी बहुत बड़ा होता है. अगर आप कमर्शियल प्लेन से कूदेंगे भी तो मुमकिन है कि आप प्लेन के पंख या टेल से टकरा जाएं. ऐसे में पैराशूट आपकी सुरक्षा नहीं कर पाएगा और ये स्टंट आपके लिए जानलेवा साबित होगा. 

महंगे आते हैं पैराशूट्स 
पैराशूट्स बहुत महंगे आते हैं. ऐसे में कमर्शियल प्लेन में हर यात्री को पैराशूट देना एयरलाइंस वालों को महंगा पड़ेगा. इसी के साथ, पैराशूट्स बहुत भारी होते हैं. अगर प्लेन में हर यात्री के लिए पैराशूट्स रखे जाने लगे तो प्लेन का भार बढ़ेगा. वहीं, पैराशूट्स को सीट के नीचे एडजस्ट करवा पाना भी मुश्किल है क्योंकि पैराशूट्स बहुत बड़े होते हैं और कमर्शियल प्लेन में इतनी जगह नहीं होती है. 


 

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