लिपस्टिक ज्यादा बिक रही है तो मंदी आने वाली है? क्या है मंदी-लिपस्टिक का कनेक्शन?

बर्कशायर हैथवे के मालिक वॉरेन बफे हैं, जो दुनिया के सबसे अमीर शख्सों में शुमार होते हैं. उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका निवेश अमेरिकी बाजार का लिटमस टेस्ट माना जाता है. अगर वह किसी कंपनी में पैसा लगाते हैं या किसी कंपनी से पैसा निकालते हैं, तो इससे बाजार के रुझान का अंदाजा लगाया जाता है. 

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST

अमेरिका के बाजार में मंदी की आहट है. एक तरफ जहां राष्ट्रपति चुनाव की आमद है, यह तय होना बाकी है कि देश का नया राष्ट्रपति कौन होगा. इसके साथ ही खबरें आ रही हैं कि अमेरिका के बाजार की हालत कुछ खास अच्छी नहीं है. ऐसे में एक खबर ने अमेरिका के निवेशकों को डरा दिया है. दरअसल, अमेरिका के सोशल मीडिया पर लिपस्टिक चर्चा का विषय बना हुआ है. आइए जानते हैं लिपस्टिक और अमेरिका के बाजार में क्या नाता है. और ये क्यों चर्चा में है.

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दरअसल, इसकी वजह बर्कशायर हैथवे के मालिक वॉरेन बफे हैं, जो दुनिया के सबसे अमीर शख्सों में शुमार होते हैं. उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका निवेश अमेरिकी बाजार का लिटमस टेस्ट माना जाता है. अगर वह किसी कंपनी में पैसा लगाते हैं या किसी कंपनी से पैसा निकालते हैं, तो इससे बाजार के रुझान का अंदाजा लगाया जाता है. 

वॉरेन बफे के निवेश से मची हलचल

इसी बीच वॉरेन बफे ने एक कॉस्मेटिक्स कंपनी में निवेश किया है. दिलचस्प बात यह है कि मंदी के दौर में लिपस्टिक की बिक्री बढ़ जाती है. अब यह माना जा रहा है कि वॉरेन बफे ने मंदी का पूर्वानुमान लगा लिया है. इसी से मुनाफा कमाने के लिए उन्होंने कॉस्मेटिक्स कंपनी में निवेश किया है.

क्या है लिपस्टिक इंडेक्स.

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दरअसल इस टर्म का इस्तेमाल एसटी लाउडर के चेयरमैन लियोनार्ड लॉडर किया था. लियोनार्ड लॉडर अमेरिका के बड़े इन्वेस्टर हैं. साल 2000 की मंदी में देखा कि महिलाओं की लिपस्टिक की सेल तेजी से बढ़ गई.अमेरिका में 1929 से 1933 के दौरान आए ग्रेट डिप्रेशन के वक्त भी कॉस्मेटिक्स का प्रोडक्शन बढ़ा था. कुछ ऐसा ही 2008 की ग्लोबल मंदी के बाद भी देखने को मिला था. 

इसके पीछे क्या वजह है इस पर काफी स्टडी की गई. ऐसा माना जाता है अच्छे आर्थिक हालात में महिलाएं ज्यादा कपड़े खरीदती हैं. वहीं, बुरे दौर में महिलाओं लिपस्टिक खरीदना ज्यादा पसंद करती हैं.

लिपस्टिक इफेक्ट से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मु्श्किल वक्त में महिलाएं खुद को बेहतर महसूस कराने के लिए सस्ते लेकिन आकर्षक सौंदर्य उत्पादों की ओर रुख करती हैं. यह एक तरह से उनके कॉन्फिडेंस को बनाए रखने का आसान और कम खर्चीला तरीका है.

कई स्टडी में ये भी बात सामने आई है की मंदी के दौर में कॉस्मेटिक कंपनियों को उतना नुकसान नहीं उठाना पड़ा, जितना अंदाजा लगाया गया था. इसकी एक बड़ी वजह लिपस्टिक ही है.

इस बात में कितनी सच्चाई है कुछ उदाहरणों से समझते हैं

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले ने देश को गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया. मंदी के इस दौर में, इंवेस्टोपेडिया की रिसर्च के अनुसार, लिपस्टिक की बिक्री में दोगुना इजाफा हुआ. 

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2007 से 2009 के बीच की आर्थिक मंदी, जो 19 महीने तक चली. इस मंदी ने लाखों अमेरिकियों को बेरोजगार कर दिया. इस संकट के बावजूद, लोरियल और एस्टी लॉडर जैसी प्रमुख कॉस्मेटिक कंपनियों ने मजबूत राजस्व वृद्धि दर्ज की. 

ग्रेट डिप्रेशन के दौरान 1929 से 1933 के बीच अमेरिका में ग्रेट डिप्रेशन के दौरान, जब औद्योगिक उत्पादन आधा हो गया, तब भी कॉस्मेटिक्स की बिक्री में वृद्धि देखी गई. खास तौर से, लिपस्टिक की बिक्री में वृद्धि हुई, जबकि महंगे कॉस्मेटिक्स की बिक्री में कमी आई.

अमेरिका में मंदी की आशंकाएं क्यों है तेज 

दरअसल, अमेरिका में कई प्रमुख इकोनॉमिक इंडिकेटर्स में कमजोरी के संकेत नजर आ रहे हैं. बेरोजगारी के दावे जनवरी के निचले स्तर से काफी बढ़ गए हैं और जुलाई में बेरोजगारी दर बढ़कर 3 साल के उच्चतम स्तर 4.3 फीसदी पर पहुंच गई है. इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग PMI 9 महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गया है. 

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