पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस में 'भोले बाबा' के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हैं. इस मामले में सिकंदराराऊ थाने में दरोगा ने FIR दर्ज कराई है. ये आयोजन सवालों के घेर में आ गया है. परमिशन 80 हजार लोगों की थी तो इससे ज्यादा लोगों को कैसे आने दिया गया? परमिशन किसने दी? इस तरह के आयोजनों की परमिशन कौन देता है? इसका क्या प्रोसेस होता है? जीवन की सीख देने वाले सत्संग 121 लोगों की मौत का कारण कैसे बन गया?
हाथरस में बड़ी संख्या में लोगों की मौत के पीछे सबसे बड़ा कारण अव्यवस्था रही है. भीड़ को व्यवस्थित करने वाले इंतजामों की विफलता ही है जिसने इतने बड़े हादसे को जन्म दिया. यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी कई बार इस तरह के आयोजन, उत्सव, मेलों और धार्मिक स्थलों पर हादसे होते रहे हैं. जनवरी 2022 में बिहार के गया में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 15 लोग घायल हो गए थे. अक्टूबर 2021 में महाराष्ट्र के ठाणे में एक सत्संग के दौरान मंच ढहने से 20 लोग घायल हो गए थे. इसलिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि इस तरह के आयोजनों की परमिशन कौन देता है और देख-रेख का जिम्मा किसका होता है.
धार्मिक सत्संग की परमिशन कौन देता है?
अगर सत्संग किसी घर या निजी स्थान पर आयोजित किया जा रहा है और इसमें केवल कुछ लोग शामिल हैं, तो आमतौर पर किसी औपचारिक परमिशन की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन अगर सत्संग किसी सार्वजनिक स्थान, जैसे कि पार्क या सामुदायिक केंद्र में आयोजित किया जा रहा है, तो आयोजकों को उस स्थान के प्रबंधन से अनुमति प्राप्त करनी होती है. जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी देकर परमिशन लेना जरूरी होता है. जिस जिले में सत्संग हो रहा है उस जिले के डीएम या एसडीएम की परमिशन जरूरी है. साथ ही स्थानीय थाने में इसकी सूचना देनी पड़ती है. आयोजकों को सत्संग के लिए आवेदन करना होता है. कुछ राज्यों और क्षेत्रों में धार्मिक आयोजनों-सभाओं के लिए विशेष नियम होते हैं.
हाथरस सत्संग की परमिशन किसने दी थी?
हाथरस के सत्संग मामले में जिलाधिकारी आशीष कुमार ने जानकारी दी है कि एसडीएम ने इस सत्संग की परमिशन दी थी, वहीं स्थानीय सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने बाहरी सुरक्षा का जिम्मा संभाल रखा था लेकिन सत्संग के अंदर की सुरक्षा खुद बाबा ने संभालने का दावा किया था. अब सवाल यह उठता है कि क्या एडीजी, आईजी, कमिश्नर और डीएम इस आयोजन से अंजान थे?
सत्संग का पूरा प्रोसेस क्या है?
सत्संग, धार्मिक और सामाजिक आयोजन है जिनका उद्देश्य आस्था, भक्ति और उत्सव को व्यक्त करना होता है. इसकी सामान्य प्रक्रिया की अगर बात की जाए तो कुछ इस प्रकार होती है-
योजना बनाना: आयोजकों की एक टीम बनाई जाती है जो आयोजन की योजना बनाती है. इसमें तारीख, समय, स्थान, कार्यक्रम, बजट, सुरक्षा, और अन्य आवश्यकताओं को शामिल करना होता है.
स्थान का चयन: सत्संग, जुलूस या शोभायात्रा के लिए एक उपयुक्त स्थान का चयन किया जाता है. यह स्थान आयोजन के आकार और प्रकृति के अनुसार हो सकता है.
परमिशन लेना: आयोजकों को स्थानीय प्रशासन, पुलिस, और अन्य संबंधित अधिकारियों से अनुमति प्राप्त करनी होती है.
प्रचार: आयोजन का प्रचार विभिन्न माध्यमों से किया जाता है, जैसे कि सोशल मीडिया, पोस्टर, बैनर, और मुख-प्रचार.
कार्यक्रम: सत्संग, जुलूस या शोभायात्रा के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया जाता है. इसमें भजन, प्रवचन और अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं.
सुरक्षा: आयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और स्वयंसेवकों की तैनाती की जाती है.
स्वच्छता: आयोजन स्थल की स्वच्छता बनाए रखने के लिए व्यवस्था की जाती है.
समापन: आयोजन के समापन पर, सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया जाता है और आयोजकों द्वारा समीक्षा की जाती है. हालांकि विशिष्ट आयोजनों की प्रक्रिया उनके आकार, स्थान, और धार्मिक परंपराओं के आधार पर अलग-अलग हो सकती है.
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