18 फरवरी 2007, यही वह तारीख थी जब दिल्ली से अटारी जाने वाली समझौता एक्सप्रेस में सवार 68 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और 12 लोग घायल हुए थे. मरने वालों में बच्चे, महिलाएं और चार अधिकारी भी शामिल थे. समझौता एक्सप्रेस रात 10 बजकर 50 मिनट पर दिल्ली से रवाना हुई लेकिन 11 बजकर 53 मिनट पर कुछ ऐसा हुआ जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना भी की हो.
...और भी भयानक हो सकता था हमला
हरियाणा में पानीपत के पास दिवाना स्टेशन से गुजरते हुए ट्रेन के दो डिब्बों (जीएस 03431 और जीएस 14857) में बम ब्लास्ट हुए और आग की लपटों ने सब कुछ जलाकर राख कर दिया था. इस धमाके में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों की जान गई थी. हादसा और भी भयानक हो सकता है था लेकिन समय रहते दो अन्य बोगियों में रखे आईईडी बमों का पत चल गया. जिसमें से एक को डिफ्यूज कर दिया गया था और दूसरे को दूर ले जाकर नष्ट कर दिया गया था.
ढाई साल बाद NIA को मिला था जांच का जिम्मा
18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रैस में बम ब्लास्ट हुआ और 19 फरवरी को जीआरपी/एसआईटी हरियाणआ पुलिस ने मामले को दर्ज कर लिया था लेकिन ढाई साल बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को इस धमाके की जांच का जिम्मा सौंपा गया था. एनआईए की जांच के बाद इस मामले में कई खुलासे हुए और इस मामले में 8 आरोपी थे.
बता दें कि समझौता एक्सप्रेस, भारत और पाकिस्तान के बीच चलती थी. जिसकी शुरुआत शिमला समझौते के बाद 22 जुलाई 1976 से हुई थी. शुरुआती दौर में यह रेल अमृतसर से लाहौर के बीच चलती थी. चार साल बाद यानी 1980 के पंजाब में फैली अशांति के चलते इस ट्रेन को अटारी तक ही सीमित कर दिया गया. बाद में 1994 से इसे सप्ताह में दो बार चलाया जाने लगा. यह ट्रेन बुधवार और रविवार को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रात 11: 10 बजे चलती थी. लेकिन एक बार दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति को देखते हुए 28 फरवरी 2019 को इसे रद्द कर दिया गया.
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