कब फायरिंग कर सकती है पुलिस, गोली चलाने से पहले चाहिए सीनियर की परमिशन?

बहराइच में हुए एनकाउंटर के बाद एक बार फिर एनकाउंटर से जुड़े नियमों की चर्चा हो रही है. ऐसे में सवाल है कि क्या एनकाउंटर के वक्त ग्राउंड ऑफिसर को गोली चलाने से पहले सीनियर की परमिशन लेनी होती है?

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एनकाउंटर को लेकर भी कई नियम तय किए गए हैं. एनकाउंटर को लेकर भी कई नियम तय किए गए हैं.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

बहराइच में पुलिस की गोली से 2 आरोपियों के घायल होने के बाद एनकाउंटर के नियमों की चर्चा हो रही है. अब एक फिर चर्चा हो रही है कि आखिर कब पुलिसकर्मी गोली चला सकते हैं और गोली चलाने के लिए क्या नियम है? इसके साथ ही लोगों के मन में सवाल है कि आखिर पुलिसकर्मी को गोली चलाने से पहले सीनियर की परमिशन लेनी होती है या फिर वो अपनी परिस्थितियों के हिसाब से गोली चला सकते हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर पुलिसकर्मी के गोली चलाने से जुड़े क्या नियम हैं?

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कब चला सकते हैं गोली?

पुलिसकर्मियों की ओर से कई मौकों पर गोली चलाई जा सकती है. पुलिस सेल्फ डिफेंस से लेकर शांति बनाए रखने के लिए कई बार हथियार का इस्तेमाल करती है. एक तो एनकाउंटर की स्थिति होती है, जिसमें कोई कैदी या कोई अपराधी पुलिस की कस्टडी से भागने की कोशिश करता है, उस वक्त पुलिसकर्मी अपराधी को काबू में करने के लिए ऐसा कर सकते हैं.

इसके साथ ही अगर कोई अपराधी पुलिसकर्मियों पर हमला कर देता है तो जान बचाने के लिए सेल्फ डिफेंस में पुलिसकर्मी गोली चला सकते हैं. इसके अलावा कई बार दंगों में या फिर भीड़ कंट्रोल के लिए भी गोली चलानी पड़ती है. 

हालांकि, हर स्थिति में पुलिसकर्मियों को जांच से गुजरना होता है. हर एनकाउंटर के बाद एक जांच होती है, जिसमें एनकाउंटर के कारणों पर विचार किया जाता है. अगर एनकाउंटर में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो एफआईआर भी दर्ज होती है और जांच की जाती है. 

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क्या सीनियर की परमिशन चाहिए होती है?

अब सवाल है कि क्या पुलिसकर्मियों को गोली चलाने से पहले अपने सीनियर की परमिशन लेने की जरुरत है. इसका जवाब हां और नहीं दोनों है. दरअसल, हर स्थिति पर निर्भर करता है कि गोली चलाने के लिए परमिशन की जरुरत है या नहीं. जैसे अगर कोई पुलिसकर्मी सेल्फ डिफेंस में गोली चलाता है तो उन्हें परमिशन की आवश्यकता नहीं होती है.

अगर किसी पुलिसकर्मी पर हमला होता है तो वो अपने बचाव में फायर कर सकता है. लेकिन, उन्हें भी पैर पर ही गोली मारनी होती है. इस स्थिति में सीनियर की परमिशन की जरुरत नहीं होती है. वहीं कैदी को काबू करने की स्थिति में भी आवश्यक बल का प्रयोग किया जाता है. यह स्थिति पर निर्भर करता है और परमिशन की आवश्यक नहीं होती है. पुलिस हमेशा स्थिति को काबू में करने के लिए बल का प्रयोग करती है. 

 इसके अलावा अगर दंगा, भीड़ में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गोली चलानी पड़े तो इसके लिए पहले सीनियर आईपीएस अधिकारियों या फिर डीएम आदि की परमिशन लेनी होती है. जैसे जिन जगहों पर कमिश्नरेट लागू है, वहां डीएम की जगह सीनियर पुलिस अधिकारी इसका फैसला लेते हैं. भीड़ कंट्रोल की स्थिति में पुलिसकर्मियों को गोली चलाने से पहले सीनियर अधिकारियों की परमिशन लेनी होती है और फिर ही फायरिंग हो सकती है. 
 

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