National Voter’s Day 2023: लोकतंत्र में अपनी राय व्यक्त करने का सबसे बड़ा अधिकार मतदान का अधिकार (Right to Vote) है. देश में नागरिकों द्वारा मतदान देश के भविष्य को चुनने और लोकतंत्र की भावना को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है. भारत में चुनाव आयोग के स्थापना दिवस यानी 25 जनवरी को हर साल नेशनल वोटर्स डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का मकसद नए मतदाताओं को प्रोत्साहित करना और सुविधा देना है. इस साल, 'नथिंग लाइक वोटिंग, आई वोट फॉर श्योर' थीम के साथ नेशनव वोटर्स डे मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं भारत में वोट डालने के नियम और अधिकार क्या हैं?
भारत में मतदान के अधिकार
भारतीय संविधान उन सभी नागरिकों को वोट देने के अधिकार की गारंटी देता है जो कम से कम 18 वर्ष के हैं. मतदान करने की क्षमता को नागरिक के सबसे जरूरी मौलिक अधिकारों में से एक माना जाता है. वोट देने के उनके अधिकार की रक्षा करने और उसे सुरक्षित रखने और उस अधिकार के किसी भी दुरुपयोग को रोकने के लिए, भारतीय संविधान अपने नागरिकों को कई विशेषाधिकार प्रदान करता है.
21 से घटकर 18 हुई थी वोट डालने की उम्र
भारतीय संविधान भारत के सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार देता है जो कम से कम 18 वर्ष के हैं और मतदाता के रूप में रजिस्ट्रर्ड हैं. इन लोगों को संघीय, राज्य, स्थानीय और स्थानीय सरकारी निकायों के चुनावों में वोट देने का अधिकार है. चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, साल 1989, भारतीय संविधान के 61वें संशोधन में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 कर दी गई थी. इसे पूरा करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 326 है, जिसमें लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों से संबंधित संशोधन किया गया था.
वोटिंग के लिए जरूरी है रजिस्ट्रेशन
फोटोयुक्त चुनाव पहचान पत्र (ईपीआईसी कार्ड के रूप में भी जाना जाता है) प्राप्त करने के लिए सभी पात्र वोटर्स को उस निर्वाचन क्षेत्र में रजिस्ट्रेशन कराना होगा जहां उनका निवास स्थान है.अगर किसी व्यक्ति ने मतदान करने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है या उसके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है, तो उसे वोट डालने का अधिकार नहीं है.
सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्र में डाल सकते हैं वोट
कोई भी व्यक्ति केवल उसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कर सकता है जहां उसने मतदान करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. व्यक्ति तब तक मतदान कर सकता जब तक कि वह मतदान के नियम और अधिकार के दायरे में आता है.
भारत में मतदाताओं के अधिकार क्या हैं?
भारतीय संविधान की धारा 19
हर मतदाता को उम्मीदवार के बारे में जानकारी होनी चाहिए. भारतीय संविधान की धारा 19 मतदाताओं को यह विशेषाधिकारी देती है. यह सेक्शन वोटर्स को उम्मीदवार की वित्तीय स्थिति, आपराधिक इतिहास और चुनाव मंच के बारे में जानकारी देखने का अधिकार देता है.
'इनमे से कोई भी नहीं' (NOTA)
साल 2013 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने संबंधी मंशा से अवगत कराया था. नोटा की फुल फॉर्म होती है None of the Above, मतलब इनमें से कोई नहीं. यानी चुनाव के दौर में वोट डालते समय अगर मतदाता को लगता है कि कोई भी उम्मीदवार सही नहीं है तो वह नोटा का बटन दबाकर आप अपना विरोध दर्ज करा सकता है.
कमजोर और निरक्षर मतदाताओं के लिए विशेष सहायता
चुनाव संहिता के दिशा-निर्देशों के अनुसार, मतदाता जो शारीरिक रूप से अपना वोटन हीं डाल सकता या वोटिंग सेंटर जाने में खतरा है तो वह एक निर्वाचन अधिकारी (Electoral Officer) की मदद ले सकता है और अपना वोट रिकॉर्ड करा सकता है.
NRI को मतदान अधिकार
प्रवासी भारतीयों को डाक और ई-मतपत्र या अपने प्रतिनिधि के जरिये (प्रॉक्सी वोट) मतदान का अधिकार है. ई-बैलेट वोटिंग में मतदाता को खाली मत पत्र ई-मेल से भेजा जाता है. मतदाता को इसे भरकर डाक के जरिये अपने निर्वाचन क्षेत्र में भेजना होता है. इससे पहले 2010 में सरकार ने प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार दिया था, लेकिन इसके लिए उन्हें मतदान केंद्र पर आना जरूरी था.
अमन कुमार