समुद्र के नीचे दबा है अरबों रुपये का सीक्रेट गोल्ड! फिर भी क्यों नहीं निकाल सकते?

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि महामागरों के तल पर लगभग दो करोड़ टन सोना मौजूद है. हालांकि, कई कारणों से अभी भी इस सोने को निकालना काफी मुश्किल है.

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कहा जाता है कि समुद्र के नीचे कई टन छुपा हो सकता है. (Photo: AI Representation) कहा जाता है कि समुद्र के नीचे कई टन छुपा हो सकता है. (Photo: AI Representation)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST

आपने बचपन में समुद्र के नीचे छुपे खजाने की कई जादुई कहानियां पढ़ी या सुनी होंगी. बड़े-बड़े बक्सों में सोने-चांदी के सिक्के रखे होने की कहानी कार्टून में भी देखी होगी. लेकिन, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सच में धरती के सभी महासागरों में लगभग दो करोड़ टन सोना हो सकता है जिसकी कीमत कई क्वाड्रिलियन (1 quadrillion=1015) डॉलर से भी ज्यादा है. लेकिन वर्तमान टेक्नोलॉजी से इसे निकाल पाना असंभव है. हालांकि वैज्ञानिक इसके तरीके खोजने में जुटे हुए हैं.

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उनका मानना है कि पानी में इसकी कम सांद्रता (concentration) और पूरे पानी में बिखरा होने के कारण इसे आज की कमजोर टेक्नोलॉजी से नहीं निकाला जा सकता है. इलेक्ट्रोकेमिकल प्रोसेस और अब्जोर्बेंट (सोखने वाले) पदार्थों पर चल रही रिसर्च के बावजूद इन तकनीकों की ऊंची लागत एक समस्या है.

1941 की एक स्टड़ी में आया था आइडिया

पानी से सोना निकालने की ये कोशिश दशकों से जारी है. साल 1941 में ‘नेचर’ पत्रिका में छपी एक स्टडी ने इसके लिए इलेक्ट्रोकेमिकल प्रोसेस के इस्तेमाल का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसकी लागत बहुत ज्यादा थी. साल 2018 में, जर्नल ऑफ द अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के वैज्ञानिकों ने एक स्पंज जैसा पदार्थ विकसित किया जो कुछ ही मिनटों में सोने की सूक्ष्म मात्रा को सोख सकता है, लेकिन महासागरों के पानी से सोना इकट्ठा करने के लिए इसका विस्तार अब भी बहुत महंगा पड़ेगा.

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समुद्र तल में कैसे बनता है सोना?

समुद्र में सोना बनने की प्रक्रिया बहुत धीमी है. हजारों सालों से, चट्टानें और पत्थर नदियों और बारिश के पानी से घिसती रही हैं. इन्हीं के साथ आए सोने के छोटे-छोटे कण महासागरों के पानी में घुल जाते हैं. लहरों के नीचे, हाइड्रो-थर्मल वेंट (ओपनिंग) धरती के क्रस्ट से तल पर खनिज-समृद्ध तरल पदार्थ छोड़ते हैं, जिनमें सोने भी शामिल है. वहीं कुछ कण हवा के जरिए बहकर भी पानी में पहुंच जाते हैं. 

एक लीटर पानी में बस इतना सा सोना

हालांकि, 2 करोड़ टन एक बड़ी मात्रा है, लेकिन इसकी सांद्रता बहुत ही कम है. ‘अर्थ एंड प्लानेट्री साइंस लेटर्स’ में छपी केली फॉकनर की एक रिसर्च के मुताबिक एक लीटर समुद्र के पानी में केवल एक फेम्टोमोल सोना होता है. इसे डिटेक्ट कर पाना लगभग असंभव है. हालांकि मेडिटेरेनियन और उत्तरी पेसिफिक महासागरों में ये थोड़ा ज्यादा है, (50-150 फेम्टीमोल) पर ये भी इतना घुला हुआ है कि पारंपरिक टेक्नोलॉजी से इसे नही निकाला जा सकता. इस खजाने की कीमत लगभग 2 क्वाड्रिलियन डॉलर तक हो सकती है.

इस लेवल पर कैसे होता है सोने का अध्ययन?

समुद्र में मौजूद सोने का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उस पानी को बिलकुल साफ बोतलों में कलेक्ट करते हैं, क्योंकि धूल का एक भी कण आकड़ों को बदल सकता है. ये अध्ययन फिल्टर की गई प्रयोगशालाओं में किए जाते हैं. मास स्पेक्ट्रोमीटर जैसे आधुनिक उपकरणों से पहले, इसके लिए सॉल्वेंट-एक्सट्रैक्शन की तकनीक का इस्तेमाल होता था.

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क्या है इसका भविष्य?

फिलहाल, सिर्फ औद्योगिक कचरे और पीने के पानी से सोना निकालने के लिए छोटे पैमाने पर खनन की तकनीकें उपलब्ध है, लेकिन समुद्र के नीचे मौजूद खजाना काफी हद तक पहुंच से बाहर है. इस बीच, वैज्ञानिक सोने समेत अन्य कीमती धातुओं की तलाश में एस्टेरॉयड और चांद के क्रेटर पर खनन की संभाबना खोज रहे हैं.

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