24 दिसम्बर 1979 को सोवियत रूस ने 1978 की सोवियत-अफगान मैत्री संधि को कायम रखने के बहाने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया. आधी रात सोवियत संघ ने काबुल में एक विशाल सैन्य हवाई जहाजों का बेड़ा भेजा. इसमें लगभग 280 परिवहन विमान और लगभग 8,500 सैनिकों की तीन डिवीजन शामिल थीं.
कुछ ही दिनों में रूस ने ताजबर्ग पैलेस के खिलाफ एक विशेष हमला इकाई तैनात करके काबुल को कब्जे में कर लिया था. इससे हफीजुल्लाह अमीन के प्रति वफादार अफगान सेना के कुछ लोगों ने भयंकर प्रतिरोध किया.
27 दिसंबर को मार्क्सवादी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ अफगानिस्तान (पीडीपीए) के निर्वासित नेता बबरक कर्मल को अफगानिस्तान का नया सरकार प्रमुख नियुक्त किया गया, और सोवियत रूस की जमीनी सेना ने उत्तर से अफगानिस्तान में प्रवेश किया.
रूसी सैनिकों को झेलना पड़ा भयानक प्रतिरोध
हालांकि, जब रूसी सेना अपने गढ़ों से बाहर निकलकर ग्रामीण इलाकों में घुसी तो उसे भयंकर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा. मुजाहिदीन कहलाने वाले विद्रोहियों ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण रखने वाले ईसाई या नास्तिक सोवियत संघ को इस्लाम के साथ-साथ अपनी पारंपरिक संस्कृति के लिए भी अपवित्र माना.
मुजाहिदीनों ने अपनाई गुरिल्ला युद्ध की रणनीति
मुजाहिदीन ने सोवियत संघ के खिलाफ गुरिल्ला रणनीति अपनाई. वे जल्दी से हमला करते या छापा मारते, फिर पहाड़ों में गायब हो जाते, बिना किसी लड़ाई के बहुत विनाश करते. लड़ाकों ने सोवियत संघ से जो भी हथियार हासिल किए या संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दिए गए, उनका गुरिल्ला युद्ध में खूब इस्तेमाल किया.
अमेरिकी स्टिंगर मिसाइल ने बदल दी युद्ध की दिशा
1987 में अमेरिका द्वारा कंधे से दागी जाने वाली एंटी-एयरक्राफ्ट स्टिंगर मिसाइलों के इस्तेमाल के बाद युद्ध की दिशा बदल गई. स्टिंगर की वजह से मुजाहिदीन नियमित रूप से सोवियत विमानों और हेलीकॉप्टरों को मार गिराने में सक्षम हो गए.
1988 में रूसी सैनिकों की शुरू हो गई वापसी
नए सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव ने फैसला किया कि अब बाहर निकलने का समय आ गया है. हताश और जीत की कोई संभावना न होने के कारण, सोवियत सेना ने 1988 में वापसी शुरू कर दी. आखिरी सोवियत सैनिक 15 फरवरी, 1989 को सीमा पार कर वापस लौटा.
यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूर्वी ब्लॉक से परे पहला सोवियत सैन्य अभियान था और इसने शीत युद्ध में संबंधों में सुधार (जिसे डेटेंटे के रूप में जाना जाता है) की अवधि के अंत को चिह्नित किया. इसके बाद, SALT II हथियार संधि को समाप्त कर दिया गया और अमेरिका ने फिर से हथियार बनाना शुरू कर दिया.
मारे गए थे पंद्रह हजार सोवियत सैनिक
आक्रमण और उसके बाद के युद्ध का दीर्घकालिक प्रभाव बहुत गहरा था. सबसे पहले, सोवियत संघ कभी भी जनसंपर्क और वित्तीय घाटे से उबर नहीं पाया, जिसने 1991 में सोवियत साम्राज्य के पतन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. दूसरे, युद्ध ने आतंकवाद और ओसामा बिन लादेन के उदय के लिए एक उर्वर भूमि तैयार की.
प्रमुख घटनाएं
24 दिसंबर 2006 - शिखर बैठक में फ़िलिस्तीन को इस्रायल कई सुविधाएं देने के लिए तैयार.
24 दिसंबर 2005 - यूरोपीय संघ ने 'खालिस्तान ज़िन्दाबाद फ़ोर्स' नामक संगठन को आतंकी सूची में शामिल किया.
24 दिसंबर 2003 - अमेरिकी विदेश विभाग ने 30 जून, 2004 को इराक में सत्ता सौंपने की तैयारी शुरू की.
24 दिसंबर 2002 - दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ शहादरा तीस हज़ारी लाईन से हुआ था.
24 दिसंबर 1715 - स्वीडन की सेना ने नार्वे पर कब्जा किया.
24 दिसंबर 1524 - यूरोप से भारत तक पहुंचने के समुद्री मार्ग का पता लगाने वाले पुर्तग़ाली खोजी नाविक वास्को डी गामा का कोच्चि (भारत) में निधन हो गया.
24 दिसंबर 1986 - लोटस टैंपल श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था.
24 दिसंबर 1967 - चीन ने लोप नोर क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया.
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