ऐसा क्यों कहते हैं-जितनी छोटी स्कर्ट होगी, उतनी अच्छी होगी इकोनॉमिक ग्रोथ

राजनेता और अर्थशास्त्री कुछ भी कहें, लेकिन असल आर्थिक हालत का अंदाजा हमें आम लोगों की खरीदारी और फैशन से भी लग सकता है. जैसे ही शेयर मार्केट में तेजी आती है, महिलाएं छोटे और फैशनेबल कपड़े पहनने लगती हैं. 

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हेमलाइन इंडेक्स यानी स्कर्ट की लंबाई और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध एक मजेदार थ्योरी है. कुछ अध्ययनों ने देखा है कि आर्थिक हालात लोगों के पहनावे और खरीदारी को प्रभावित कर सकते हैं. (Photo: AI Generated) हेमलाइन इंडेक्स यानी स्कर्ट की लंबाई और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध एक मजेदार थ्योरी है. कुछ अध्ययनों ने देखा है कि आर्थिक हालात लोगों के पहनावे और खरीदारी को प्रभावित कर सकते हैं. (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST

फैशन ट्रेंड में स्कर्ट की लेंथ कितनी चल रही है, उसके अनुसार अनुमान लगाया जा सकता है कि इकोनॉमी किस तरफ जाने वाली है. साल 1926 में एक इकोनॉमिस्ट George Taylor ने यह थ्योरी दिया था और इसका नाम रखा हेमलाइन इंडेक्स (Hemline Index). इस थ्योरी के अनुसार, अगर स्कर्ट की लेंथ लंबी होती है तो इकोनॉमी स्लो होने वाली है और स्कर्ट की लंबाई छोटी हो रही है तो Economy में Boom आने वाला है और यह फैशन ट्रेंड इकोनॉमी को 3-4 साल पहले ही प्रेडिक्ट कर देता है. 

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80 परसेंट तक सही होती है थ्योरी
साल 1920 से 1960 में Knee length और फिर मिनी स्कर्ट काफी पॉपुलर हुआ. इस दौरान देखा गया कि इकोनॉमी में काफी तेजी आयी. फिर साल 2005 में जब लॉन्ग मैक्सी ड्रेस ट्रेंड में आया तो उसके कुछ साल बाद ही 2008 में हमें मंदी (Recession) देखने को मिला. इस थ्योरी को आज भी कुछ इकोनॉमिस्ट सीरियस लेते हैं. क्योंकि ऐसा मानना है कि यह थ्योरी 80 परसेंट तक सही होती है.

हेमलाइन इंडेक्स (Hemline Index) सिर्फ एक मजेदार और दिलचस्प कहानी है. इसे पूरी तरह से अर्थव्यवस्था का संकेत मानना सही नहीं है. स्कर्ट की लंबाई और फैशन के ट्रेंड सिर्फ यह दिखाते हैं कि लोग कैसा महसूस कर रहे हैं या उनका मूड कैसा है, न कि मार्केट का अगला कदम.

अर्थव्यवस्था से जुड़ी होती है लोगों की खरीदारी 
राजनेता और अर्थशास्त्री किसी देश की आर्थिक स्थिति के बारे में कुछ भी कहें, लेकिन इतिहास से पता चलता है कि आम लोगों की खरीदारी और फैशन भी अर्थव्यवस्था से जुड़े होते हैं. जब शेयर मार्केट बढ़ता है और लोग आर्थिक रूप से खुश होते हैं, तो महिलाओं के कपड़े छोटे और फैशनेबल हो जाते हैं. वहीं, जब आर्थिक मंदी होती है, तो हेमलाइन यानी स्कर्ट और ड्रेसेज की लंबाई बढ़ जाती है.

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पुरुषों के अंडरवियर की बिक्री में गिरावट भी बताती है कि अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है. इसी तरह, बाल कटवाने, पहली डेट, लिपस्टिक की बिक्री और फालतू चीजों की खरीदारी भी आर्थिक स्वास्थ्य के संकेत देती हैं. यानी, छोटे-छोटे फैशन और खरीदारी के पैटर्न से भी हम समझ सकते हैं कि लोगों की जेबें कितनी भरी या खाली हैं. इसे ‘हेमलाइन इंडेक्स’ कहा जाता है, जो अर्थव्यवस्था और फैशन के बीच एक मजेदार संबंध को दर्शाता है.

लंबाई और अर्थव्यवस्था के बीच भरोसेमंद संकेत
हेमलाइन इंडेक्स यानी स्कर्ट की लंबाई और अर्थव्यवस्था के बीच का मजेदार संबंध हमेशा चर्चा में रहा है. कुछ स्टडी में देखा गया कि आर्थिक हालात लोगों की खरीदारी और पहनावे को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि स्कर्ट की लंबाई शेयर मार्केट या अर्थव्यवस्था के अगले कदम का भरोसेमंद संकेत देती है. वास्तविक आर्थिक जानकारी हमेशा डेटा और रिपोर्ट्स से आती है, रनवे या फैशन शो से नहीं. इतिहास देखें तो 1920 के दशक में मंदी के दौरान हेमलाइन लंबी हुई थी.

1930 के दशक में फिर लंबाई बढ़ी और 1940 के युद्धकाल में घुटनों तक की सीमित रही. 1947 में लंबी स्कर्ट आईं, जो 1949 की मंदी का संकेत देती लग रही थीं. 1960 के दशक में मिनी स्कर्ट का चलन आया, जो उस समय की तकनीकी, सांस्कृतिक और युवाओं की ऊर्जा को दिखाती थी. लेकिन हर समय यह सिद्धांत सही नहीं रहा. 2008 के वित्तीय संकट में हेमलाइन इंडेक्स ने कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं दिखाया.

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