जब कोयले की खदान बनी 440 मजदूरों का काल! ऐसे घटी ब्रिटिश माइनिंग इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी

Coal Mine Disaster: साल 1913 में 14 अक्टूबर यानि आज ही के दिन एक भयानक हादसे ने साउथ वेल्‍स (ब्रिटेन के एक गांव) की तस्‍वीर हमेशा के लिए बदल दी. कोयले की खदानों में काम कर रहे 440 मजदूरों की जान तो चली गई लेकिन हादसे के जिम्‍मेदार लोगों की सफेद कमीजों पर कभी जेल की दीवारों की कालीख तक नहीं लगी.

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Coal Mine Disaster (Photo: Record Press) Coal Mine Disaster (Photo: Record Press)

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:20 AM IST

14 अक्टूबर 1913 की सुबह लगभग 8 बजे, ब्रिटेन के साउथ वेल्स में कैरफिली के पास एक धमाके की आवाज़ ने सबका ध्‍यान खींचा. उस समय एबर घाटी में यूनिवर्सल कोलियरी में सैंकड़ों मजदूर कोयले की खदानों में थे. यह धमाका इन्‍हीं में से एक कोयले की खान में हुआ था. धमाका इतना शक्तिशाली था कि इसने 2 टन के पिंजड़े को शाफ्ट के ऊपर से उड़ा दिया, जिससे पिटहेड यानी खदान का मुंह नष्ट हो गया. इसके साथ ही 3 अलग-अलग खदानों में घुसे 950 पुरुष और बच्‍चे जमीन के नीचे के गहरे अंधेरे में फंस गए.

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440 लोगों की गई जान
खादान के अंदर मीथेन गैस का एक चैंबर था, जिसमें खुदाई के चलते विस्फोट हो गया था. इस धमाके ने कुल 439 लोगों की जान ली. इसके बाद बचाव अभियान शुरू किया गया, जिसमें तेजी से नीचे फंसे लोगों को निकाला जाने लगा. पूर्व की ओर काम करने वाले सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया था, लेकिन पश्चिम की ओर की खदान आग की लपटों में घिर चुकी थी, जिससे कुछ ही बच पाए. पीड़‍ितो को बचाने गए एक रेस्‍क्‍यू पर्सन ने भी लोगों की तलाश में भटककर अपनी जान गंवा दी. यह रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन लंबे समय तक चला. सबसे आखिर में बचाए गए 18 लोगों को 2 सप्‍ताह से ज्‍यादा समय बाद बाहर निकाला जा सका.

साढ़े 5 पेंस तय हुई एक जान की कीमत
इस हादसे के पीड़‍ितों को एक बार और तब ठगा गया जब अगले साल मई में यूनिवर्सल कोलियरी विस्फोट में मारे गए लोगों की जान की कीमत तय की गई. खदान के मैनेजर एडवर्ड शॉ और मालिक, लुईस मेरथर कोल कंपनी को अदालत के सामने लाया जाएगा. मैनेजर शॉ को 17 में से 8 आरोपों का दोषी ठहराया गया और उस पर 24 पाउंड का जुर्माना लगाया गया. कंपनी के मालिक को सभी दोषों से मुक्‍त कर दिया गया. उस जुर्माने में एक जान की कीमत साढ़े 5 पेंस से भी कम थी.

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इस हादसे के बाद भी कोलियरी में 1928 तक काम जारी रहा. कोलियरी 1928 में बंद हो गई लेकिन लोगों पर कई पीढ़‍ियों तक इसका असर बना रहा. जान गंवाने वाले मजदूरों की याद में कैरफिली में स्‍मारक भी बनाए गए.

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