जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव होने हैं. चुनाव को लेकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की भी बात हो रही है और पीओके भी चर्चा में है. दरअसल, जम्मू कश्मीर विधानसभा में 24 सीटें पीओके के लिए आरक्षित हैं और साल 1956 से वहां ऐसी ही व्यवस्था है. चुनाव में पीओके के लिए आरक्षित सीटों का जिक्र होने के बाद कई मायनों में पीओके की चर्चा हो रही है. आपने भी पीओके के बारे में काफी कुछ सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में हिंदू रहते हैं या नहीं और पीओके किस तरह अलग है.
क्या पीओके में रहते हैं हिंदू?
पीओके भारत का अभिन्न अंग है, जो अभी पाकिस्तान के कब्जे में है. पाकिस्तान में इस क्षेत्र को 'आजाद कश्मीर' कहा जाता है. पीओके में 4.5 मिलियन यानी करीब 45 लाख लोग रहते हैं. यहां की स्थिति ये है कि यहां करीब 7 लाख युवा बेरोजगार है और यहां के करीब 20 लाख लोग विदेश में रहते हैं. अगर पीओके की जनसंख्या को धर्म के आधार पर देखा जाए तो यहां मुस्लिम सबसे ज्यादा संख्या में है. कई रिपोर्ट्स में तो यह भी दावा है कि यहां करीब 100 फीसदी या 99 फीसदी से अधिक आबादी मुसलमानों की है.
Joshua प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार पीओके में 100 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या है. वहीं, सेंटर फॉर जॉइंट वेलफेयर स्टडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 100 फीसदी तक मुस्लिम हैं. लेकिन, ये कई रिपोर्ट्स में लिखा गया है कि यहां आजादी के वक्त अन्य धर्म के लोग भी बड़ी संख्या में होते थे. बताया जाता है कि आजादी के वक्त यहां 20 फीसदी तक मुस्लिम आबादी थी और अब यहां न के बराबर हिंदू रह रहे हैं. भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद से ही यहां अन्य धर्म के लोगों ने काफी पलायन किया.
कई रिपोर्ट में ये कहा गया है कि यहां 100 फीसदी मुस्लिम है, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यहां 1000 से 1500 हिंदू अभी भी रहते हैं और कुछ ईसाई भी हैं. इसके अलावा कुछ घर पहले बहाई धर्म को मानने वाले लोगों के भी बताए जाते हैं.
क्या है पीओके की स्थिति?
पीओके का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर है, पीओके के कई डिविजन हैं, जिसमें मुजफराबाद (झेलम वैली, नीलम वैली) पुंछ डिविजन (पुंछ, हवेली, बाघ, सुधानोती), मीरपुर (मीरपुर, कोटली, भिंभर) आदि शामिल हैं. यहां गुर्जर, अब्बासी, सुधान, कश्मीरी बड़ी संख्या में हैं. पीओके के लोग मुख्य तौर से कृषि पर निर्भर हैं. मक्का, गेहूं, वन्य उत्पाद और पशुपालन यहां की आय के मुख्य स्रोत हैं. अगर आमजन की बात करें तो एक बड़ा वर्ग पीओके में सरकार की नीतियों से परेशान है.
यहां के लोग पाकिस्तान का हिस्सा भी नहीं है. पाकिस्तान का संविधान अभी इन जगहों को विवादित मानता है. यहां तक कि यहां के लोग ना तो पाकिस्तान के चुनाव में हिस्सा लेते हैं और न ही अपना एमपी चुनते हैं. लेकिन, ये लोग विदेश पाकिस्तानी पासपोर्ट के जरिए ही जाते हैं.
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