दुनिया के उत्तरी छोर पर एक ऐसा शहर है जहां लोगों के मरने पर रोक है. यहां लोग मर नहीं सकते. साथ ही यहां कोई जन्म भी नहीं लेता है. अब ऐसे सवाल ये उठता है कि आखिर यहां लोग कहां से आते हैं? क्या यहां का कोई मूल बाशिंदा भी है? यहां लोगों के मरने पर क्यों बैन है? आखिर यहां ऐसे नियम क्यों बनाए गए हैं. जानते हैं, इनकी वजह क्या है?
दुनिया के सुदूर उत्तर में स्थित एक शहर है लॉन्गइयरब्येन. जो स्वालबार्ड द्वीप पर है. स्वालबार्ड एक नार्वेनियन द्वीप समूह है. स्वालबार्ड द्वीप पर बसा शहर लॉन्गइयरब्येन लगभग 50 देशों के 2,100 निवासियों का घर है. इनमें से अधिकांश का जन्म वहां नहीं हुआ है. यह ऐसी जगह नहीं है जहां लोग अपना पूरा जीवन बिताते हैं या जहां पीढ़ियों से परिवार चलते आ रहे हैं.
यहां नहीं है कोई कब्रिस्तान
यहां मरना मना है. मतलब यहां मरने के बाद किसी भी शख्स का अंतिम संस्कार नहीं होता. यहां कोई कब्रिस्तान नहीं है. इसलिए लोगों को दफनाया नहीं जाता है. इसके पीछे भी एक वजह है. लॉन्गइयरब्येन में लोग आम तौर पर आते-जाते रहते हैं. 70 से ज्यादा सालों से लॉन्गइयरब्येन में एक भी व्यक्ति को दफनाया नहीं गया है.
यहां हमेशा माइनस में रहता है तापमान
ऐसा इस क्षेत्र के साल भर शून्य से नीचे तापमान रहने के कारण होता है. यहां का तापमान इतना कम होता है कि, शव सड़ते नहीं हैं, बल्कि पर्माफ्रॉस्ट होकर में ममी की तरह संरक्षित रहते हैं. जब ये पर्माफ्रॉस्ट पिघलता है तो जमी हुई कब्रें या ममी पर्यावरण में हानिकारक रोगाणु छोड़ सकती हैं, इससे यहां का वातावरण बुरी तरह से अस्वच्छ हो जाएगा.
आखिर क्यों यहां मरने पर है रोक
यही कारण है कि यहां लोगों का मरना मना है. जब किसी की ऐसी स्थिति बन जाती है कि वो अब मरने वाला है या आपातकालीन स्थिति में मर ही जाता है. तब स्वालबार्ड की सरकार चाहती है कि शव को विमान से या जहाज से नॉर्वे की मुख्य भूमि पर ले जाया जाए, ताकि उसे दफनाया जा सके. यहां के बारे में यह भी माना जाता है कि यहां सिर्फ दफनाना ही अवैध नहीं है, बल्कि लोगों का मरना भी गैरकानूनी है.
सरकार ने मरने से रोकने के लिए बनाए थे कानून
यहां लोग न मरें, इसे चीज को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 1950 में नॉर्वे सरकार ने स्वालबार्ड की मुख्य शहर लॉन्गयेरब्येन में लोगों को मरने से रोकने के लिए एक कानून बनाया था. इस कानून ने उस वक्त के मौजूदा कब्रिस्तानों को बंद कर दिया था. फिर भी लोगों को मरने से नहीं रोका जा सकता है. मरने के बाद शव को 200 किमी दूर नार्वे लाकर दफनाया जाता है.
यहां जन्म लेना भी है मना
जहां तक यहां किसी के जन्म नहीं लेने की बात है तो इसके भी पीछे भी एक वजह है. यहां का वातावरण इतना कठोर है कि यहां सिर्फ एक छोटा सा हॉस्पिटल है. इसमें प्रसव कराने वाले उपकरणों की कमी है. स्वालबार्ड का छोटा अस्पताल प्रसव के दौरान आपातकालीन स्थितियों के लिए सुसज्जित नहीं है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को उनकी नियत तिथि से पहले ही नॉर्वे की मुख्य भूमि पर चले जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
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