मुस्लिमों के लिए पवित्र है इजरायल का ये शहर, जहां ईरान लगातार मिसाइलें दाग रहा!

यरुशलम दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है, और इसे तीन प्रमुख धर्मों, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम के लिए पवित्र माना जाता है. इजरायल और फिलिस्तीन दोनों ही यरुशलम को अपनी राजधानी मानते हैं. यरुशलम को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल के बीच लम्बा संघर्ष चला है.

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दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है यरुशलम. दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है यरुशलम.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 3:47 PM IST

इजरायल और ईरान के बीच जवाबी जंग को 10 दिन से भी ज्यादा हो चुके हैं. दोनों देश एक दूसरे पर लगातार मिसाइलें दाग रहे हैं. इसी बीच ईरान की एक मिसाइल ने इजरायल के सबसे चर्चित स्थान यरुशलम पर हमला किया है. यह जगह हमेशा से विवादों में रही है. यही वो जगह है, जहां यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम, तीनों अपना कब्जा चाहते हैं. हिब्रू भाषा में येरूशलायीम और अरबी में अल-कुद्स के नाम से जाना जाने वाला ये शहर दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है.

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यरुशलम दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है और ये तीन प्रमुख धर्म- यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम के लिए पवित्र स्थान माना जाता है. इजरायल और फिलिस्तीन दोनों ही यरुशलम को अपनी राजधानी मानते रहे. यरुशलम को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल के बीच लम्बा संघर्ष चला है. आइए आपको बताते हैं अलग-अलग धर्मों के लिए ये जगह खास क्यों है.

यह बात साल 1948 की है, इस साल इजरायल की स्थापना की गई थी और इसी के साथ यरुशलम का पश्चिमी हिस्सा इजरायल ने अपने कब्जे में ले लिया था. पश्चिमी पर इजरायल को पूर्वी हिस्से पर फिलिस्तीन अपना हक मानता था. इस दौरान फिलिस्तीन यरुशलम को अपनी राजधानी घोषित करने वाला था लेकिन 1967 में एक लड़ाई हुई और पूर्वी हिस्सा भी इजरायल के पास चला गया. यरुशलम पर कब्जा करने के बाद साल 1980 में इजरायल फिर यरुशलम को राजधानी बनाने का ऐलान कर दिया, जिसकी हर तरफ आलोचना हुई. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में इसकी कड़ी निंदा हुई थी.

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यहूदियों के लिए यह जगह क्यों खास है?

यहूदियों का मानना है कि यहां कभी पवित्र मंदिर खड़ा था, ये दीवार उसी की बची हुई निशानी है. यहां मंदिर में अंदर यहूदियों की सबसे पवित्रतम जगह 'होली ऑफ होलीज' है. यहूदी मानते हैं यहीं पर सबसे पहली उस शिला की नींव रखी गई थी, जिस पर दुनिया का निर्माण हुआ, जहां अब्राहम ने अपने बेटे इसाक की कुरबानी दी. वहीं ईसाई धर्म के लोग मानते हैं कि यहां बना चर्चा जो 'द चर्च आफ़ द होली सेपल्कर' नाम से जाता है जाता है, यही वो स्थान है जो ईसा मसीह की कहानी का केंद्रबिंदू है.

यहूदी इलाके में एक प्राचीन कोटेल या पश्चिमी दीवार बनी हुई है. यह वॉल ऑफ़ द माउंट का हिस्सा है, कहा जाता है कि यहूदियों का पवित्र मंदिर यहीं था. इसके अलावा वे ये भी मानते हैं कि इस जगह से विश्व का निर्माण हुआ है. यही वो जगह है जहां पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे इश्हाककी बलि देने की तैयारी कर रहे थे. 

ईसाइयों के लिए यह जगह क्यों खास है?

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, माना जाता है कि यहां ईसा मसीह की मृत्यु हुई थी. यही वो जगह है जहां उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था. इस जगह को 'हिल ऑफ़ द केलवेरी कहा जाता है'. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि ईसा मसीह का मक़बरा सेपल्कर के भीतर ही है और माना जाता है कि यहीं से वो अवतरित भी हुए थे.

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मुसलमानों के लिए ये जगह क्यों खास है?

इसी जगह पर मुस्लिम समुदाय भी अपना हक मानते हैं. यहां डोम ऑफ़ द रॉक और मस्जिद अल अक़्सा बनी हुई है. यह एक पठार पर बनी हुई थी, जिसे ''हरम अल शरीफ'' या पवित्र स्थान कहा जाता है. यह इलाका यहां सबसे बड़ा है. इस मस्जिद का प्रबंधन वक्फ द्वारा किया जाता है. मुस्लिम समुदाय के लोग मानते हैं कि यही वो जगह है जहां से पैगंबर मोहम्मद ने मक्का तक पैदल यात्रा की थी. यहीं से थोड़ा आगे चलकर डोम ऑफ़ द रॉक्स स्थित है. माना जाता है इसी पवित्र पत्थर से पैगंबर मोहम्मद जन्नत गए थे. मुस्लिम त्योहारों पर यहां लाखों की भीड़ इकट्ठा होती है.

मुसलमानों का पहला क़िबला (प्रार्थना की दिशा) यरुशलम में मस्जिद अल-अक्सा था. पैगंबर मुहम्मद ने इस्लाम के शुरुआती सालों में इसी तरफ मुंह करके नमाज पढ़ने को कहा था. बाद में, क़िबले को मक्का में काबा की तरफ कर दिया गया, जो अभी तक क़िबला बना हुआ है.

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