तिरंगा मतबल देश की आन, बान और शान. तिरंगा कितना महत्वपूर्ण है ये हर भारतीय बखूबी जानता है. यह केवल झंडा नहीं बल्कि एक आजाद देश का प्रतीक है. आइए 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने से पहले अपने देश के तिरंगे झंडे से जुड़ी जरूरी बातें जानें.
भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि तिरंगे को पिंगली वेंकैया नामक शख्स ने डिजाइन किया था.
1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे झंडे के बारे में सोचा जो सभी भारतवासियों को एक धागे में पिरोकर रखें. उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिलकर "नेशनल फ्लैग मिशन" की स्थापना की.
देश की एकता को दर्शाते हुए तैयार हुआ तिरंगा
1921 में आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने देश की एकता को दर्शाते हुए भारत का तिरंगा झंडा तैयार किया था. उस समय तिरंगे में केसरिया रंग की जगह लाल रंग था. लाल रंग हिंदुओं के लिए, हरा रंग मुसलमानों के लिए और सफेद रंग अन्य धर्मों का प्रतीक था. प्रगति के रूप में चरखे को झंडे में जगह दी गई थी.
गांधी जी ने दी ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह
वैकेंया महात्मा गांधी से काफी प्रेरित थे. ऐसे में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के लिए उन्हीं से सलाह लेना बेहतर समझा. गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बनेगा.
लाल रंग को हटाकर किया केसरिया
आपको बता दें, पिंगली वेंकैया लाल और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी जी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता है. 1931 से लाल रंग को हटाकर केसरिया रंग का इस्तेमाल किया गया. आपको बता दें, राष्ट्रीय ध्वज में रंग को लेकर तरह-तरह के वाद-विवाद चलते रहे थे.
तिरंगे को पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फहराया था. ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने से कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक में तिरंगे झंडे को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया.
aajtak.in