सामान्य ज्ञान-2024ः डिजिटल अरेस्ट मामलों ने तोड़ा रिकॉर्ड, नकली पुलिस ने 'असली' के छुड़ाए पसीने, देशभर में हुई करोड़ों की ठगी

साल 2024 में जब एक तरफ एआई की दस्तक ने रोजगार के कई द्वार खोले. दूसरी तरफ तकनीक की दुनिया में नई क्रांति का ठगों ने भी खूब इस्तेमाल किया. यही कारण रहा कि साल 2024 में बड़े-बड़े लोग डिजिटल अरेस्ट होकर अपनी करोड़ों की कमाई गंवा बैठे. यही नहीं इस अपराध के चलते आगरा की एक श‍िक्ष‍िका समेत कुछ लोगों की जानें भी चली गईं.

Advertisement
Digital arrest cases that shocked India Digital arrest cases that shocked India

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST

पिछले कुछ वर्षों में "डिजिटल अरेस्ट" शब्द ने समाज में गहरी हलचल मचाई है, लेकिल साल 2024 में तो इन मामलों ने रिकॉर्ड ही तोड़ दिया. आम लोगों के अलावा इस अपराध का श‍िकार जज, पूर्व आर्मी अधि‍कारी, मी‍ड‍िया कर्मी आदि‍ लोग भी हुए. हालांकि इस अपराध को लेकर जागरूकता भी फैलाने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन फिर भी यह अपराध दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है.

Advertisement

नकली पुलिस बनकर अपराधी लोगों को चूना लगाने में इतने आगे रहे कि असली पुलिस उन तक आसानी से नहीं पहुंच पा रही है. सरकार की ओर से जारी एक प्रेस व‍िज्ञप्ति के अनुसार 15 नवंबर 2024 तक पुलिस अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट की गई 6.69 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1,32,000 IMEI को भारत सरकार द्वारा ब्लॉक किया गया. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देशभर में ये मामले कितनी बड़ी संख्या  में रिपोर्ट क‍िए गए. 

आपको बता दें कि जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. स्कैमर्स ने इस साल मात्र 10 महीनों में 2140 करोड़ रुपये की ठगी डिजिटल अरेस्ट के तरीके का इस्तेमाल करके की. इस तरह हर महीने साइबर अपराध‍ियों ने डिजिटल अरेस्ट से लोगों के साथ औसतन 214 करोड़ रुपये का फ्रॉड किया. ठगी में स्कैमर्स खुद को ED, CBI, पुलिस या RBI का अधिकारी बताते हैं. फिर आम लोगों को किसी फर्जी केस में फंसाकर उन पर कार्रवाई की जाती है.

Advertisement

ठगी के इस तरीके का हर दिन कितने ही लोग शिकार बनते हैं. ऐसा भी पता चला है कि ये फ्रॉड कंबोडिया, म्यामांर, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड जैसे देशों से हो रहा है. कंबोडिया में मौजूद चीनी कसीनो में बने कॉल सेंटर में धड़ल्ले से डिजिटल अरेस्ट के फ्रॉड सेंटर चल रहे हैं. MHA साइबर विंग को इस साल अक्टूबर तक डिजिटल अरेस्ट के कुल 92,334 केस की जानकारी मिली है.

दिल्ली में 55 करोड़ की 'वर्चुअली फिरौती'

आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में इस साल डिजिटल अरेस्ट के 38 मामले सामने आए. साइबर अपराधियों ने इन 38 लोगों को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर न केवल दस बीस लाख या एक दो करोड़, बल्कि पूरे 55 करोड़ रुपये की 'वर्चुअली फिरौती' वसूल की. यह घटना सिर्फ दिल्ली की नहीं, बल्कि पूरे देश में ऐसी घटनाओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. दिल्ली, नोएडा, मुंबई से लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु तक, हर राज्य में लोग फोन कॉल्स के माध्यम से साइबर ठगों का शिकार हो रहे हैं. जहां एक ओर तकनीकी प्रगति ने हमारे जीवन को सरल बनाया है, वहीं दूसरी ओर कुछ अपराधियों ने इसका दुरुपयोग कर लाखों लोगों का जीवन दूभर कर दिया है. आइए जानते हैं बाकी राज्यों का क्या हाल है.

Advertisement

कर्नाटक और महाराष्ट्र में भारी नुकसान

कर्नाटक में 2024 में इन घोटालों के कारण ₹109 करोड़ का नुकसान हुआ, जिसमें बेंगलुरु में अकेले 480 घटनाओं ने ₹42.4 करोड़ का नुकसान किया. महाराष्ट्र में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां 2024 में पीड़ितों ने ₹15 करोड़ खोए, जबकि उत्तर प्रदेश में 1,200 से अधिक मामलों में लगभग ₹25 करोड़ का नुकसान हुआ. तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों में भी डिजिटल अरेस्ट के कारण भारी नुकसान हुआ है, जो इस अपराध के फैलाव को दर्शाता ह.। कुल मिलाकर, इन घोटालों के कारण देशभर में लगभग ₹500 करोड़ से अधिक का वित्तीय नुकसान हुआ है.

साइबर फ्रॉड से बचने के लिए सरकार की पहल के बारे में इस लिंक से पढ़ें

साइबर ठगों की अंतरराष्ट्रीय साजिश: 260 करोड़ की ठगी

सिर्फ डिजिटल अरेस्ट ही नहीं, साइबर ठगों ने देश के बाहर भी अपने नेटवर्क को फैलाया है. हाल ही में सीबीआई ने नोएडा में अमेरिका, कनाडा जैसे देशों के नागरिकों को निशाना बनाकर 260 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का खुलासा किया. इन अपराधियों ने अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर के माध्यम से बिटकॉइन वॉलेट में भारी रकम जमा की थी. इस मामले में आरोपी तुषार खरबंदा, गौरव मलिक और अंकित जैन के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है.

Advertisement

बुजुर्गों को ठगने की नई रणनीति

दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग की पूरी जिंदगी की कमाई ठगों ने कुछ ही घंटों में हड़प ली. इन अपराधियों ने बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाया और उसके बाद 10 करोड़ रुपये से ज्यादा ट्रांसफर करवा लिए. बुजुर्ग से कहा गया कि उनका पार्सल ताइवान से आया है, जिसमें प्रतिबंधित दवाएं हैं. डर के कारण उन्होंने अपनी पूरी राशि ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दी.

उत्तर प्रदेश में 5 घंटे का डिजिटल अरेस्ट

नोएडा में साइबर अपराधियों ने एक महिला को पांच घंटे तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर उससे 1.4 लाख रुपये ठगे. अपराधी ने महिला को फोन करके बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में हो रहा है फिर एक फर्जी साइबर क्राइम ब्रांच अधिकारी ने महिला को डराया और उनसे पैसे वसूल किए

आजतक की पत्रकार हुईं डिजिटल अरेस्ट

हाल ही में, aajtak.in की सीनियर असिस्टेंट एडिटर ऋचा मिश्रा डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार हुई थीं. पत्रकार को एक कूरियर कंपनी से कॉल आया था, जिसने झूठा दावा किया कि उनका आधार नंबर ड्रग्स वाले पार्सल से जुड़ा हुआ है. ठग ने काफी देर तक उन्हें फोन पर रखा, और उन्हें पता चला कि वह डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुई हैं.

Advertisement

इंडिया टुडे स्टिंग ऑपरेशन

डिजिटल अरेस्ट के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए, इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया. जांच तब शुरू की गई जब एक कूरियर कंपनी ने इंडिया टुडे के रिपोर्टर से कॉन्टेक्ट किया और दावा किया कि उनके नाम का एक पार्सल मुंबई में फंस गया है. दावे के मुताबिक, डीएचएल कर्मचारी होने के दावे के साथ फोन कॉल में स्कैमर ने बताया कि पार्सल मुंबई से बीजिंग भेजा गया था, जिसकी डिलीवरी नहीं हो पाई.

रिपोर्टर को स्कैमर ने उनकी पहचान, उनका नाम, आईडी प्रूफ और फोन नंबर भी बताया, जिसका कथित रूप से पार्सल भेजने में इस्तेमाल किया गया था. डीएचएल कर्मी होने का दावा करने वाले स्कैमर ने उन्हें बताया कि पार्सल को मुंबई कस्टम ने जब्त कर लिया है.

फरीदाबाद में मकैनिकल इंजीनियर डिजिटल अरेस्ट

मैकेनिकल इंजीनियर को छह दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने 3.46 लाख की ठगी का शिकार किया था. पीड़ित आरोपितों की धमकी की वजह से अपने घर के कमरे में अकले बंद रहे थे. दिन-रात मोबाइल फोन से वीडियो कैमरा आन रहता था. हर गतिविधि की जानकारी ठगों को रहती थी. छह दिन बाद शक होने पर डिजिटल अरेस्ट खत्म हुआ तो पुलिस को शिकायत देकर मामला दर्ज कराया. साइबर थाना एनआईटी में सेक्टर-55 की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले मोहित ने दी शिकायत में बताया कि वह बल्लभगढ़-तिगांव रोड स्थित एक फैक्ट्री में मैकेनिकल इंजीनियर हैं.

Advertisement

डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं ने साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. इन घटनाओं से न केवल वित्तीय नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों का मानसिक शोषण भी हो रहा है. इसके खिलाफ सख्त कानून और जागरूकता अभियान की आवश्यकता है. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही हैं, ताकि डिजिटल धोखाधड़ी पर काबू पाया जा सके और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

(ध्यान दें: अगर आप इस तरह के स्कैम का शिकार होते हैं, तो 1930 पर तुरंत इसकी जानकारी दें.)

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement