7 दिसंबर 1941, रविवार की सुबह 7:55 बजे, जापानी युद्धक विमानों ने अमेरिकी इतिहास में एक काले दिन की शुरुआत की. जापान के राष्ट्रीय प्रतीक 'उगते सूरज' का निशान लगाए 360 युद्धक विमानों के बेड़े ने ओहू द्वीप पर स्थित अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर अचानक हमला कर दिया.
यह विनाशकारी हमला अमेरिका के लिए न केवल एक भयानक झटका था, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध में देश की एंट्री करने की प्रमुख वजह बना. इसके बाद अमेरिका भी इस महायुद्ध में शामिल हो गया था.
क्या थी हमले की पृष्ठभूमि?
जापान और अमेरिका के बीच कूटनीतिक वार्ताएं असफल होने के बाद भी अमेरिकी नेतृत्व, जिसमें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट शामिल थे, जापानी आक्रमण की संभावना को लेकर सतर्क नहीं था. पर्ल हार्बर की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.
हमले से किस हद तक हुआ नुकसान
हमले से कुछ समय पहले, दो रडार ऑपरेटरों ने उत्तर दिशा से आते विमान समूह को देखा था, लेकिन इसे अमेरिकी बी-17 बमवर्षक विमानों के अभ्यास का हिस्सा समझा गया. इस कारण समय रहते अलार्म नहीं बजाया गया.सुबह अचानक हुए इस हवाई हमले ने पर्ल हार्बर के नौसैनिक अड्डे को तहस-नहस कर दिया. जापान ने अपने हमले के लिए योजना और सटीकता से काम किया.
कितना विनाशकारी रहा ये हमला
पर्ल हार्बर में आठ में से पांच युद्धपोत और तीन विध्वंसक जहाज डूब गए या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए. 200 से अधिक विमान नष्ट हो गए. 2,400 अमेरिकी सैनिक मारे गए और 1,200 घायल हुए. जापान का नुकसान अपेक्षाकृत मामूली था. केवल 30 विमान, पांच छोटी पनडुब्बियां और 100 से कम लोग मारे गए.
हमले के परिणाम
हमले के तुरंत बाद, अमेरिका के तीन प्रमुख विमान वाहक, जो प्रशिक्षण युद्धाभ्यास के लिए समुद्र में थे, बच गए. इस मामले में अमेरिकी नौसेना भाग्यशाली रही, क्योंकि इन वाहकों ने छह महीने बाद मिडवे की लड़ाई में जापानी नौसेना को निर्णायक हार दी.
राष्ट्रपति रूजवेल्ट का भाषण
हमले के अगले दिन, राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. उन्होंने 7 दिसंबर 1941 को "एक ऐसी तारीख जो बदनामी के तौर पर याद की जाएगी" कहा और जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने का प्रस्ताव पेश किया.सीनेट ने 82-0 के अंतर से युद्ध के पक्ष में मतदान किया. प्रतिनिधि सभा में 388-1 के अंतर से प्रस्ताव पारित हुआ. केवल मोंटाना की प्रतिनिधि जीनेट रैनकिन ने शांतिवादी विचारों के कारण युद्ध के खिलाफ मतदान किया.
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इस हमले ने अमेरिका को दूसरे विश्व युद्ध में जबरदस्ती धकेला
अमेरिका ने अगले चार वर्षों तक मित्र राष्ट्रों के युद्ध प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, इस प्रयास की कीमत भारी थी – 400,000 से अधिक अमेरिकी सैनिकों ने अपनी जान गंवाई. पर्ल हार्बर पर जापानी हमले ने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में अनिवार्य रूप से धकेल दिया और विश्व इतिहास की दिशा को बदल दिया. यह घटना आज भी कड़वी याद के रूप में जीवित है, जो न केवल युद्ध की भयावहता को दर्शाती है, बल्कि शांति और सतर्कता के महत्व की सीख भी देती है.
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प्रमुख घटनाएं
7 दिसंबर 1972 - अपोलो 17 मिशन का प्रक्षेपण. अपोलो 17 नासा का अंतिम चंद्रमा मिशन था, जो चंद्रमा की सतह पर पहुंचा. इस मिशन में पहली बार पृथ्वी की पूरी तस्वीर (ब्लू मार्बल) खींची गई.
7 दिसंबर 2004 - हामिद करजई ने अफ़ग़ानिस्तान के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की.
7 दिसंबर 1988 - आर्मेनिया में आए एक विनाशकारी भूकंप में 25,000 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हुए.
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