भारत में इन दिनों बुलडोजर काफी चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर राजनीतिक बयानबाजी तक बुलडोजर शब्द का काफी इस्तेमाल हो रहा है. दरअसल, पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा था कि हर आदमी के हाथ में बुलडोजर सेट नहीं हो सकता है. इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि अगर आप और आपका बुलडोज़र इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर ‘बुलडोज़र’ चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव लड़ जाइए. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सही में कोई बुलडोजर चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ सकता है? तो जानते हैं चुनाव सिंबल की कहानी...
क्या बुलडोजर हो सकता है चुनाव चिह्न?
बुलडोजर चुनाव चिह्न ले सकते हैं या नहीं... ये जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर चुनाव चिह्न चुनने का क्या तरीका है. दरअसल, चुनाव आयोग ने कई चीजों को अपने सिंबल लिस्ट में शामिल किया हुआ है और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार उन चुनाव चिह्न पर इलेक्शन लड़ सकते हैं. इनमें से कई चुनाव चिह्न राजनीतिक पार्टियों ने रिजर्व किए हुए हैं, जो किसी दूसरी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को नहीं दिए जा सकते है. जैसे- बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी से कोई और चुनाव नहीं लड़ सकता.
लेकिन, जब क्षेत्रीय पार्टियों की बात होती है तो उस स्थिति में उनके क्षेत्र में अन्य उम्मीदवारों को उनका चुनाव चिह्न नहीं दिया जाता. अगर मान लीजिए कोई पार्टी, जिसका चुनाव चिह्न गुब्बारा है और वो राजस्थान में चुनाव लड़ रही है तो गुब्बारा चुनाव चिह्न राजस्थान में किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार को नहीं दिया जाएगा. हालांकि, ये चुनाव चिह्न तेलंगाना में किसी निर्दलीय उम्मीदवार को दिया जा सकता है. ऐसे में कुछ सिंबल पार्टी के रिजर्व हैं और जो सिंबल फ्री हैं, उन्हें चुनाव चिह्न बनाया जा सकता है, जिन्हें फ्री सिंबल कहा जाता है.
अगर बुलडोजर की बात करें तो चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव में जारी की गई फ्री सिंबल लिस्ट में बुलडोजर नहीं है. इससे पहले 2009 की लिस्ट में भी बुलडोजर का नाम नहीं था. ऐसे में कोई भी उम्मीदवार अपना चुनाव चिह्न बुलडोजर नहीं ले सकता है. उम्मीदवार को चुनाव आयोग के सिंबल में से ही एक चिह्न लेना होगा.
बुलडोजर के अलावा किन चीजों पर नहीं लड़ सकते
बुलडोजर के अलावा भी कई चीजें हैं, जिन्हें चुनाव चिह्न की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है. इन सिंबल में बंदूक, चाकू जैसी कोई भी नेगेटिव चीज को शामिल नहीं किया गया है. हाल ही में लोकसभा चुनाव में जूते-चप्पल आदि को भी शामिल किया गया है, जो पहले नेगेटिव छवि की वजह से लिस्ट में नहीं थे. 190 चुनाव चिह्नों की लिस्ट में अब चप्पल, चूड़ी, कानों की बालियों को शामिल किया गया है.
किन चीजों पर लड़ सकते हैं चुनाव?
चुनाव लड़ने वाले सिंबल में करीब 190 चीजें हैं, जिसमें चूड़ियां, मोती का हार, कान की बाली, अंगूठी, एयर कंडीशनर, लैपटॉप, कंप्यूटर, माउस, कैल्कुलेटर, सीसी कैमरा, ड्रिल मशीन, वैक्युम क्लीनर, पेन ड्राइव, ब्रेड टोस्टर, रिमोट, स्पैनर, स्टेपलर, स्टेथोस्कोप, एक्सटेंशन बोर्ड, माइक, डीजल पंप, डिश एंटीना, डोली, गैस सिलिंडर, गैस का चूल्हा, प्रेस, केतली, किचन सिंक, कड़ाही, पेट्रोल पंप, फोन चार्जर, प्रेशर कुकर, पंचिंग मशीन, आरी, कैंची, सिलाई मशीन, पानी का जहाज, साबुनदानी, सोफा, झूला, मेज, टेलीविजन, ट्यूब लाइट, मिक्सी, स्विच बोर्ड, सिरिंज, फ्राइंग पैन, हेडफोन, हेलमेट, रोबोट, रूम कूलर, हीटर, अलमारी, ऑटो-रिक्शा, गुब्बारा, बल्ला, बल्लेबाज, बेल्ट, बेंच, साइकिल पंप, दूरबीन, आदमी व पालयुक्त नौका, बक्सा, ईंटें, ब्रीफकेस, ब्रश, बाल्टी आदि आइटम शामिल हैं.
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