कौनसे हैं वो 8 सेक्टर, जिनमें नहीं हुई कई सालों से छंटनी... आने वाले सालों में आएंगी कई नौकरियां!

स्टार्टअप्स, रियल एस्टेट और मैनुफैक्चरिंग जैसे क्षेत्र भी छंटनी की प्रक्रिया से प्रभावित हो रहे हैं. तो जानते हैं कि कौन से सेक्टर्स में नौकरी करना भविष्य के लिए सुरक्षित रहेगा.

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एआई और कॉस्ट कटिंग के कारण कईं तकनीकी नौकरियों गई हैं. (फोटो- AI Generated) एआई और कॉस्ट कटिंग के कारण कईं तकनीकी नौकरियों गई हैं. (फोटो- AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

भारत में आईटी सेक्टर की कई बड़ी कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी कर रोजगार के मौकों को कम कर दिया है. बताया जा रहा है कि साल 2025 में 50,000 से ज्यादा टेक नौकरियां खतरे में हैं, यह संख्या साल 2023-24 में 25,000 थी.

टीसीएस, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा और विप्रो जैसी बड़ी कंपनियों ने संचालन और तकनीकी बदलावों के तहत कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है. टीसीएस अपनी प्रक्रिया में एआई ऑटोमेशन लाने के कारण इस साल 20,000 लोगों को निकाल सकता है. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंफोसिस और टेक महिंद्रा ने स्किल्स की कमी, क्लाइंट डिमांड और कॉस्ट कटिंग के हवाले से 10,000 कर्मचारियों की छंटनी की है.

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इसके अलावा छंटनी का सबसे ज्यादा खतरा फाइनेंस और रिटेल नौकरियों पर भी है. चलिए आपको बताते हैं कि कौन से सेक्टर्स में अब भी नौकरी जाने का खतरा कम है-

1. चिकित्सा और फार्मास्यूटिकल्स: मार्केट में कितनी भी मंदी हो, लोगों को चिकित्सा देखभाल की जरूरत होती है, इसलिए डॉक्टर, नर्स, मेडिकल रिसर्चर, फार्मा साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन और हेल्थ केयर असिस्टेंट की नौकरी में छंटनी का कोई खतरा नहीं है.

2025 में बढ़ती लाइफ एक्सपेक्टेंसी, बीमा कवरेज की लोकप्रियता और सरकारी स्वास्थ्य मिशनों के चलते देश में चिकित्सा मार्केट में वृद्धि होने का अनुमान है. खासकर कोविड के बाद और सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के निवेश से इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है.

2. शिक्षा और ऑनलाइन लर्निंग फ्रोफेशनल्स: आर्थिक बदलावों के बावजूद छात्र अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं. इसके लिए शिक्षकों और स्कूल प्रशासन की आवश्यकता पड़ती है. मंदी के दौरान लोग ऑनलाइन कोर्सेज की मदद से प्रमोशन या बेहतर नौकरी की तलाश में अपस्किलिंग करते हैं. उनके लिए उभरते ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन शिक्षक, सिलेबस डेवेलपर और एडटेक प्रोफेशनल्स की मांग है.

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हालांकि एआई और रोबोट टीचर्स के आने से क्लास रूम में पढ़ाई का तरीका बदला है, लेकिन आज भी शिक्षकों के कई फायदे हैं.

3. यूटिलिटी सर्विसेज: इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, एचवीएसी जैसी नौकरियां आउटसोर्स या ऑटोमैटिक नहीं हो सकती. लोगों को हमेशा बिजली, प्लंबिंग, साफ-सफाई और रखरखाव की सुविधाओं की जरूरत होती है.

सरकार इन सेवाओं को जरूरी मानती है, इसलिए यहां कर्मचारियों की आवश्यकता बनी रहती है. इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली, पानी, इंटरनेट पर निर्भरता के कारण रिपेयरिंग सर्विसेज की भी मांग बढ़ी है. पावर प्लांट या सब स्टेशन इंजीनियर/मैनेजर, सेफ्टी इंजीनियर, गैस या पाइपलाइन कंट्रोलर, यूटिलिटी मैनेजर, वेस्ट वाटर इंजीनियर और पावर लाइनमैन की नौकरी को कोई खतरा नहीं है.

4. सरकारी सेवाएं और सार्वजनिक सुरक्षा: जनता की सुरक्षा के लिए काम करने वाले फायरफाइटर्स, सिक्योरिटी गार्ड, पुलिस इत्यादि छंटनी से सुरक्षित रहते हैं. इसके अलावा सरकारी अधिकारी, कानूनी सेवाएं भी इससे प्रभावित नहीं होती.

5. ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन: टियर-2 और टियर-3 शहरों में ई-कॉमर्स मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. अमेजन, फ्लिपकार्ट और रिलायंस रिटेल जैसी कंपनियां अपने लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का विस्तार कर रही हैं, जिससे वेयरहाउस मैनेजर, सुपरवाइजर या ट्रक ड्राइवर जैसी लॉजिस्टिक्स से जुड़ी नौकरियां बढ़ रही हैं. यह सेक्टर तकनीक को फिजिकल ऑपरेशन्स से जोड़ता है.

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6. एआई और डेटा प्रोफेशनल्स: जहां कुछ तकनीकी नौकरियों पर छंटनी का असर हो रहा है, एआई इंजीनियर्स, डेटा साइंटिस्ट्स, मशीन लर्निंग एक्सपर्ट्स, क्लाउड आर्किटेक्ट्स, फुल-स्टैक डेवलपर और डेटा एनालिस्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है. एआई ऑटोमेशन के कारण कंपनियों को खर्च कम करने में मदद मिल रही है. एआई में निवेश करने वाले बिजनेस का रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट भी ज्यादा होता है.

7. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स: आजकल कंपनियां क्लाउड स्टोरेज सिस्टम्स पर निर्भर हैं. गोपनीय डेटा चोरी होने के बढ़ते खतरे के कारण साइबर सुरक्षा लोकप्रिय हो रही है. बैंकों और ई-कॉमर्स वेबसाइटों को भी इन एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है.

8. रिन्वेबल एनर्जी और ग्रीन एनर्जी: भारत का लक्ष्य साल 2030 तक 500 गीगावाट रिन्वेबल एनर्जी उत्पन्न करना है. इस क्षेत्र में नौकरियां लगातार डिमांड में हैं और क्लाइमेट चेंज के कारण यह भविष्य में भी बनी रहेगी. सोलर इंजीनियर, सस्टेनेबिलिटी कंसल्टेंट, ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंट और प्रोजेक्ट मैनेजर जैसे पदों पर अवसर हैं.

भारत में अब जॉब सिक्योरिटी कंपनी के साइज नहीं बल्कि इंडस्ट्री की जरूरत पर निर्भर करती है. इसलिए स्टार्टअप्स, रियल एस्टेट और मैनुफैक्चरिंग जैसे क्षेत्र भी इससे प्रभावित हो रहे हैं.

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