CRPF Recruitment 2023 Controversy: सीआरपीएफ भर्ती को लेकर भाषाई जंग तमिलनाडु से होते हुए अब कर्नाटक पहुंच गई है. तमिनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बाद कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की भर्ती परीक्षा का पेपर क्षेत्रीय भाषा में कराने की मांग की है. उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से परीक्षा कन्नड़ भाषा में आयोजित करवाने का आग्रह किया है. इसके साथ ही बेरोजगारी के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरा है.
CRPF भर्ती में हिंदी भाषा पर क्यों?
दरअसल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में 9,212 रिक्तियों में से 579 रिक्तियों को तमिलनाडु से भरा जाना है, जिसके लिए परीक्षा 12 केंद्रों पर आयोजित की जानी है. इसके अलावा 100 में 25 अंक हिंदी में बुनियादी समझ के लिए रखे गए हैं, जिसका फायदा हिंदी भाषी उम्मीदवारों को मिलेगा.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सिद्वारमैया का कहना है कि कन्नड़ माध्यम में अध्ययन करने वाले उम्मीदवार होशियार हैं, लेकिन भाषा के चलते सफल नहीं हो पाते. उन्होंने ट्विट किया, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करता हूं कि उम्मीदवारों को तुरंत कन्नड़ में भी सीआरपीएफ भर्ती परीक्षा लिखने की अनुमति दी जाए. गैर-हिंदी राज्यों के उम्मीदवारों की मदद के लिए केवल अंग्रेजी और हिंदी में परीक्षा लिखने के नियम में ढील देना जरूरी है.'
'भाषा की वजह से युवाओं के साथ हो रहा अन्याय'
उन्होंने आगे लिखा, भाषा ज्ञान को बयां नहीं करती, यह कम्युनिकेट करने का एक माध्यम मात्र है. हालांकि कन्नड़ माध्यम में स्टडी करने वाले उम्मीदवार होशियार हैं, लेकिन भाषा की बाधा के कारण वे परीक्षा में सफल नहीं हो पाते हैं. यह हमारे युवाओं के साथ अन्याय है.' साथ ही उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे पर राज्य सरकार पर भी निशाना साधा. सिद्धारमैया ने ट्वीट में लिखा कि राज्य सरकार के 40% भ्रष्टाचार और केंद्र सरकार की भाषा नीति के कारण हमारे युवा नौकरी से वंचित हो रहे हैं. इसने बेरोजगारी की दर में वृद्धि की है और हमारे युवाओं के भविष्य को खत्म कर दिया है. डबल इंजन सरकार ने हमारे उम्मीदवारों को फेल कर दिया है.
केवल अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य करना एकतरफा है: स्टालिन
इससे पहले, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने सीआरपीएफ भर्ती परीक्षा तमिन भाषा में करवाने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने इसे डिजिटली परीक्षा में तमिल को शामिल नहीं करने पर विरोध जताया और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने इस कदम को तमिलनाडु की जनता के साथ बड़ा भेदभाव बताया है. उन्होंने पत्र में कहा कि परीक्षा में केवल अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य करना एकतरफा है. स्टालिन का मानना है कि केंद्र सरकार का यह फैसला तमिलनाडु के उम्मीदवार को परीक्षा देने से रोकता है और इससे उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है.
गृह मंत्री को लिखे पत्र में स्टालिन ने कहा कि यह अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी लेने से रोकने जैसा होगा. उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा में तमिल सहित क्षेत्रीय भाषाओं को अनुमति देकर गैर-हिंदी भाषी उम्मीदवारों को परीक्षा देने में सक्षम बनाने के लिए अमित शाह के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.
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