Success Story: दृष्टिहीनता से नहीं मानी हार-BPSC एग्जाम पास कर टीचर बने रोहित, नियुक्ति पत्र देख भावुक हुए पिता

BPSC Blind Teacher Success Story: मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले रोहित कुमार काफी साधारण परिवार में जन्मे हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआती शिक्षा मैंने अपने घर से ही की थी. मुझे समस्या होती थी लेकिन मेरे घरवालों ने मेरा काफी सहयोग किया. वे सब्जेक्ट रिकॉर्ड करके फिर उसे सुनकर याद करते थे.

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दृष्टिहीन होने के बावजूद मुजफ्फरपुर के रोहित ने हार नहीं मानी और टीचर बने हैं. दृष्टिहीन होने के बावजूद मुजफ्फरपुर के रोहित ने हार नहीं मानी और टीचर बने हैं.

मणिभूषण शर्मा

  • मुजफ्फरपुर,
  • 17 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

BPSC Blind Teacher Success Story: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले रोहित के घर में खुशी का माहौल है. भावुक पिता अपनी खुशी शब्दों में जाहिर नहीं कर पा रहे हैं. आस-पड़ोस के लोग और रिश्तेदार उन्हें बधाईयां दे रहे हैं, क्योंकि उनका बेटा रोहित बीपीएससी शिक्षक भर्ती प्रतियोगी परीक्षा पास करके अब एक सरकारी टीचर बन गया है. रोहित ने जैसे ही अपना नियुक्ति पत्र पिता के हाथों में रखा तो वे भावुक हो गए. क्योंकि उनका बेटा आज दृष्टिहीन होने के बावूजद सरकारी स्कूल में टीचर बन गया है.

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बीपीएससी शिक्षक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा में पास अभ्यर्थियों को मुजफ्फरपुर के शिक्षा भवन में नियुक्ति पत्र सौंपे गए. रोहित भी अपने पिता के साथ नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे थे. भले ही उनकी आंखें नहीं हैं लेकिन उनके पिता की आंखों में रोहित के कामयाब होने की चमक अलग ही दिखाई दे रही थी. इस मौके पर बेटा और पिता दोनों खुश थे. बेटे के दृष्टिहीन होने की वजह से जो चिंता पिता को सालों से सता रही थी, आज उसका अंत हो गया.

अपनी खुशी जाहिर करते हुए रोहित के पिता राज नाथ महतो ने बताया कि बचपन में बेटे को लेकर मुझे काफी चिंता होती थी. लेकिन हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी. उसी का परिणाम है कि आज रोहित ने सफलता हासिल की है, मैं काफी खुश हूं.

मुजफ्फरपुर जिले के अंबेडकर नगर सिकंदरपुर के रहने वाले रोहित कुमार काफी साधारण परिवार में जन्मे हैं. उन्होंने संघर्ष कर पढ़ाई पूरी की. शुरुआत में माता-पिता घर पर ही पढ़ा देते थे. उन्होंने बताया कि शुरुआती शिक्षा मैंने अपने घर से ही की थी. मुझे समस्या होती थी लेकिन मेरे घरवालों ने मेरा काफी सहयोग किया. सरकारी विद्यालय से मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की. उसके बाद रामेश्वर सिंह महाविद्यालय से इंटर और स्नातक की शिक्षा ग्रहण किया. फिर तुर्की कॉलेज से बीएड की डिग्री पूरी कर मैं सोशल साइंस का शिक्षक बना हूं.

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उन्होंने बताया कि वे सब्जेक्ट रिकॉर्ड करके फिर उसे सुनकर याद करते थे. इसी तरह मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. फिर ग्रेजुएशन किया और बीएड तक ही पढ़ाई की. आज उसी संघर्ष ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया है. दृष्टिहीन शिक्षक रोहित ने बताया कि मुझे काफी खुशी है और मैं पूरे लगन के साथ बच्चों को पढ़ाऊंगा, मैं बीपीएससी क्वालीफाई कर शिक्षक बना हूं और आगे मेरा सपना बीपीएससी की परीक्षा पास कर अधिकारी बनने का है.

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