UG Admission 2022: सुप्रीम कोर्ट जाएगा St Stephen कॉलेज, लेट हो सकते हैं दाखिले

दिल्ली HC के फैसले के बाद अब कॉलेज ने अपनी याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. कॉलेज ने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी के 100 फीसदी सीटों पर CUET के तहत एडमिशन देने के फैसला का विरोध किया था. इस मामले में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने 12 सितंबर को फैसला दिया है.

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St Stephen College: St Stephen College:

कुमार कुणाल

  • नई दिल्‍ली,
  • 21 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST

दिल्‍ली हाईकोर्ट से निराशा मिलने के बाद अब दिल्‍ली के सेंट स्‍टीफेंस कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है. कॉलेज ने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी के 100 फीसदी सीटों पर CUET के तहत एडमिशन देने के फैसला का विरोध किया था. इस मामले में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने 12 सितंबर को फैसला दिया है कि कॉलेज 50 फीसदी सीटों पर एंट्रेंस टेस्‍ट के तहत एडमिशन नहीं दे सकता. कॉलेज को यूनिवर्सिटी के नियमों के तहत ही एडमिशन देने होंगे.

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सुप्रीम कोर्ट जाने का किया फैसला
दिल्ली HC के फैसले के बाद अब कॉलेज ने अपनी याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. कॉलेज गवर्निंग बॉडी ने इस मामले में कानूनी विकल्प तलाशने का फैसला किया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि उन्हें अभी तक कॉलेज से कोई जानकारी नहीं मिली है और इसलिए वे दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार ही एडमिशन का प्रोसेस आगे बढ़ाएंगे.

लेट हो सकता है एडमिशन प्रोसेस
यूनिवर्सिटी ने पुष्टि की है कि सेंट स्टीफेंस कॉलेज का नाम कॉलेजों की सूची में तब तक रहेगा जब तक कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर SC द्वारा रोक नहीं लगाई जाएगी. बता दें कि अंडरग्रेजुएट कोर्सेज़ में एडमिशन के लिए छात्र 26 सितंबर से अपनी च्‍वाइस फिल कर सकेंगे. हालांकि, अगर मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिले में कुछ देरी हो सकती है.

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क्‍या था पूरा मामला
बता दें कि दिल्‍ली यूनिवर्सिटी ने अपने सभी सम्‍बद्ध कॉलेजों के लिए 100 प्रतिशत सीटों पर केवल CUET के तहत ही एडमिशन देने का नियम लागू किया था. इसके बावजूद सेंट स्‍टीफेंस कॉलेज ने अपनी 50 फीसदी सीटों पर एंट्रेंस टेस्‍ट के माध्‍यम से ही एडमिशन देने का निर्णय लिया. यूनिवर्सिटी की तरफ से कॉलेज को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया गया और यह भी कहा गया कि गलत तरीके से एडमिशन पाए स्‍टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी से डिग्री नहीं दी जाएगी. इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा जिसने यूनिवर्सिटी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया.

 

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