कानपुर की उस फैक्ट्री की कहानी जहां से बनी 2000 मशीनगन यूरोप के देशों को सप्लाई होगी?

कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में वैसे तो सालों से ऐसे हथियार बनते रहे हैं, जो भारतीय सेना की पहली पसंद रहे हैं. समय बदला तो ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनने वाले हथियारों को अपग्रेड भी किया गया है.

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यह मशीन गन लगातार हाई रेट से फायर करने में समक्ष है. यह मशीन गन लगातार हाई रेट से फायर करने में समक्ष है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

यूपी के कानपुर की ऑर्डिनेंस कंपनी स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री (SAF) चर्चा में है. ये ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ऐसी मशीन गन बनाने जा रही है, जो यूरोपीय देशों की बेहद पसंद बन गई है और इसकी डिमांड भी बढ़ गई है. कंपनी अगले तीन साल में 2000 मशीन गन तैयार करेगी और यूरोप के देशों को सप्लाई करेगी. इस ऐतिहासिक डिफेंस डील पर अंतिम मुहर लग गई है. लघु शस्त्र फैक्ट्री (SAF) का कहना है कि पहली बार भारत अपनी एडवांस मॉडिफाई मीडिएम मशीन गन (MMG) यूरोपियन कंट्रीज़ को सप्लाई करने जा रहा है.

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कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में वैसे तो सालों से ऐसे हथियार बनते रहे हैं, जो भारतीय सेना की पहली पसंद रहे हैं. समय बदला तो ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनने वाले हथियारों को अपग्रेड भी किया गया है. अब स्माल आर्म्स फैक्ट्री में ऐसी मशीन गन बनने जा रही है, जिसकी मारक क्षमता तो पसंद बन ही रहा है, साथ ही इसकी तकनीक भी प्रभावित करने वाली है.

रक्षा मंत्रालय की प्रमुख हथियार उत्पादन इकाई है SAF

स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री, रक्षा मंत्रालय की प्रमुख हथियार उत्पादन इकाई है. इसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में कानपुर में स्थापित किया गया था. इसकी देखरेख ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज कोलकाता के डायरेक्टर जनरल करते हैं. शुरू में इसका नाम ट्रांसप्लांटेशन प्रोजेक्ट-1 रखा गया था, इसे रॉयल एयर फोर्स के एयरो-इंजन की मरम्मत का काम सौंपा गया था. 1949 में इसका नाम बदलकर SAF कर दिया गया. इसका पहला प्रमुख उत्पाद 0.303 ब्रेन गन था, जिसे बाद में 1964 में 7.62 मिमी लाइट मशीन गन में बदल दिया गया.

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कौन-कौन हथियार बनाती है SAF?

पिछले कई दशकों में SAF ने FN बेल्जियम के साथ मिलकर 9mm कार्बाइन, 51mm मोर्टार और MAG 7.62mm मशीन गन जैसे बेहतरीन हथियार बनाए हैं. SAF ने 1996 में INSAS फैमिली के हथियारों के साथ अपने प्रोडक्शन को आधुनिक बनाया और भारत की आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा जरूरतों के लिए 7.62mm असॉल्ट राइफल और 5.56mm कार्बाइन जैसे छोटे हथियारों का निर्माण जारी रखा. यह फैक्ट्री ANMOL रिवॉल्वर जैसे प्रोडक्ट के साथ सिविलियन मार्केट के लिए भी काम करती है.

अब यूरोपीय बाजार में भारत की धाक होगी मजबूत

एडवांस मॉडिफाई मीडिएम मशीन गन को इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना माना जा रहा है. यह मशीन गन एक मिनट में 1,000 राउंड फायर करने में सक्षम है. SAF के अधिकारियों ने इस एक्सपोर्ट डील को भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ी छलांग बताया है. उनका कहना है कि 2,000 MMG की यह बड़ी डील पिछले वर्ष दिसंबर में हासिल हुई थी. अब यूरोपीय हथियार बाजार में भारत की स्थिति और मजबूत होगी.

क्या हैं इस मशीन गन की खूबियां?

कंपनी का कहना है कि डील के अनुसार मशीन गन को कस्टमाइज किया जा रहा है, ताकि जरूरत के आधार पर सुविधाजनक बनाया जा सके और उनकी अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके. यह मशीन गन लगातार हाई रेट से फायर करने में सक्षम है और वाहनों, टैंकों, विमानों, नावों और जहाजों जैसे कई लड़ाकू प्लेटफार्मों में उपयोग के लिए उपयुक्त है. इस मशीन गन की खूबियों ने ही यूरोपीय खरीदारों को सबसे ज्यादा आकर्षित किया है. कंपनी का कहना है कि इस मशीन गन का वजन करीब 11 किलोग्राम है. इसे ट्राइपॉड माउंट से दागा जा सकता है. ये फुली ऑटोमैटिक, एयर-कूल्ड, गैस ऑपरेटेड, बेल्ट-फेड हथियार है.

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कंपनी ने बताया कि यह मशीन गन लगातार हाई रेट पर फायर करती है और खुले ब्रीच से फायर करती है, जिससे लंबे समय तक इस्तेमाल के बाद कुक-ऑफ का खतरा नहीं रहता है. इमरजेंसी की स्थिति में कंधे और कूल्हे से फायरिंग के लिए हथियार का इस्तेमाल बाइपॉड या हैंडहेल्ड पर भी किया जा सकता है. क्रोमियम-प्लेटेड बोर और चैंबर से बने इसके भारी या हल्के बैरल को ज़्यादा गरम होने से बचाने के लिए जल्दी से बदला जा सकता है. लंबे समय तक फायरिंग के बाद राउंड के कुक-ऑफ को रोकता है.

यह मशीन कई लड़ाकू प्लेटफार्मों में उपयोग के लिए उपयुक्त है. मशीन गन 7.62x51 मिमी (M80) कैलिबर में चैंबर की गई है. हथियार की अधिकतम प्रभावी सीमा 1800 मीटर तक है, जो इसे लंबी दूरी की पैदल सेना के लिए अत्यधिक प्रभावी बनाती है.

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