रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम आखिरी यूनिट आने में क्यों हो रही देरी, जानें

एस-400 की पहली यूनिट दिसंबर 2021 में भारत पहुंची थी. इसे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए पश्चिमी क्षेत्र में तेजी से तैनात किया गया. इसके बाद अगले 2 साल में दूसरी और तीसरी यूनिट की डिलीवरी और संचालन किया गया. इससे पश्चिमी और पूर्वी दोनों क्षेत्रों में भारत की रक्षा स्थिति मजबूत हुई.

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S-400 S-400

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

रूस के एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम की बची दो यूनिट्स के लिए भारत को अपने अनुमान से ज्यादा इंतजार करना होगा. सूत्रों के मुताबिक इन दो यूनिट्स की डिलीवरी 2025 तक होने की उम्मीद थी, लेकिन अब इसे 2026 की शुरुआत तक बढ़ाया जा सकता है. डिलीवरी में देरी की बात ऐसे समय सामने आई है, जब क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.

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बता दें कि दुनिया में सबसे उन्नत माने जाने वाले एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद को 2018 में अंतिम रूप दिया गया था, जब भारत और रूस ने 5 यूनिट्स के लिए 5.43 बिलियन डॉलर की डील पर दस्तखत किए थे. यह सिस्टम 400 किलोमीटर तक की दूरी पर एयरक्राफ्ट, ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों सहित कई खतरों को ट्रैक करने और बेअसर करने में सक्षम है.

एयर डिफेंस सिस्टम हुआ मजबूत

पहली एस-400 यूनिट दिसंबर 2021 में भारत पहुंची थी. इसे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए पश्चिमी क्षेत्र में तेजी से तैनात किया गया. इसके बाद अगले 2 साल में दूसरी और तीसरी यूनिट की डिलीवरी और संचालन किया गया. इससे पश्चिमी और पूर्वी दोनों क्षेत्रों में भारत की रक्षा स्थिति मजबूत हुई. इन यूनिट्स को शामिल करने से भारत का एयर डिफेंस सिस्टम मजबूत हुआ.

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रूस-यूक्रेन जंग से बढ़ गई देरी

हालांकि, पूर्ण तैनाती का रास्ता चुनौतीपूर्ण रहा है. कोविड-19 महामारी के कारण हुए व्यवधानों के चलते शुरुआत में ही यूनिट्स की डिलीवरी में देरी हुई. इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव पड़ा. इन देरी को यूक्रेन में चल रहे संघर्ष ने और बढ़ा दिया है, जिसने रूस के सैन्य-औद्योगिक परिसर और रक्षा अनुबंधों को पूरा करने की उसकी क्षमता को बुरी तरह प्रभावित किया है.

भारतीय वायु सेना की चिंता बढ़ी

दो S-400 यूनिट्स के इंपोर्ट में देरी ने भारतीय वायु सेना (IAF) की चिंता बढ़ा दी है. इस देरी को देखते हुए IAF और रक्षा मंत्रालय तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक समाधान तलाश रहे हैं. इसमें गैप को भरने और सीमा पर तत्परता बनाए रखने के लिए एक्स्ट्रा डिफेंस सिस्टम की संभावित खरीद शामिल है.

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