वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना पर सैनिकों का फीडबैक लेने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सीधे बातचीत का रास्ता खोल दिया है. रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक निर्देश जारी किया था, जिसमें केवल गैर-कमीशन अधिकारियों (NCOs) और सैनिकों को इस चर्चा में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है.
जल्द ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ सैनिकों की एक बैठक होगी, जिसमें पूर्व सैनिक ओआरओपी योजना के क्रियान्वयन और इससे जुड़ी शिकायतों पर अपना फीडबैक देंगे. सरकार ने हाल ही में इस योजना के 10 साल पूरे होने की बात स्वीकार की है, जिसे 2014 में शुरू किया गया था.
इस निर्देश के अनुसार, अधिकारियों और जूनियर कमीशन अधिकारियों (जेसीओ) को इस संवाद में शामिल नहीं किया जाएगा जो सीधे तौर पर सबसे ज्यादा प्रभावित कर्मियों की आवाज सुनने के सरकार के इरादे को दिखाता है.
OROP के लाभार्थियों पर केंद्रित
इस संबंध में मंत्रालय द्वारा जारी एक पत्र में OROP योजना का सबसे ज्यादा लाभ उठाने वाले सैनिकों को शामिल करने पर जोर दिया गया है. यूनिटों को एक हवलदार, एक नायक और तीन सिपाहियों को नामित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिन्हें OROP के तहत वित्तीय राहत मिली है. यह पहल सैनिकों को अपनी अनुभवों को नीति-निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा बनने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करती है.
OROP: लाभ और चुनौतियां
ओआरओपी ने निश्चित रूप से कई सैनिकों को आर्थिक लाभ प्रदान किए हैं, लेकिन इसमें कुछ खामियां अभी-भी बनी हुई हैं. जिसकी वजह से वरिष्ठ सिपाही, मानद लेफ्टिनेंट और कैप्टन अभी-भी आर्थिक असमानताओं का सामना करना पड रहा है.
रक्षा मंत्री के साथ पिछली चर्चाओं के बावजूद, कई सैनिकों ने महसूस किया कि उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया. योजना की सबसे ज्यादा सुविधा प्राप्त OROP लाभार्थियों की आवाज को प्राथमिकता देने के सरकार के वर्तमान दृष्टिकोण ने इस बारे में सवाल उठाए हैं कि क्या न्यूनतम लाभ प्राप्त करने वाले जैसे मुद्दों का समाधान किया जाएगा.
सैनिकों की अपेक्षाएं: सभी के लिए समानता
कई सैनिक अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार सभी प्रभावित कर्मियों के लिए समान विचार सुनिश्चित करेगी. क्या यह चर्चा केवल उन लोगों से सुनने के लिए की जाती है जिनके पास सकारात्मक अनुभव हैं, या क्या यह उन लोगों की कठिनाइयों को स्वीकार करने के लिए विकसित होगी, जिनकी वित्तीय स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है? यह भारत की सशस्त्र सेनाओं की उम्मीदों और कड़ी मेहनत पर सीधे ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण चिंता बनी हुई है.
समितियां और लंबित रिपोर्ट
सरकार ने ओआरओपी की समीक्षा के लिए एक एक-सदस्यीय न्यायिक समिति गठित की थी,लेकिन इसकी रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है. सैनिकों को उम्मीद है कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी और रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू किया जाएगा, ताकि सभी के साथ न्याय सुनिश्चित किया जा सके. सैनिक हमेशा देश की रक्षा के लिए तैयार हैं, अब सरकार से निष्पक्षता और न्याय की उम्मीद कर रहे हैं.
शिवानी शर्मा