उत्तर प्रदेश में क्राइम कंट्रोल के लिए सरकार ने कानूनों को पहले से ज्यादा सख्त बनाने की शुरुआत की है. जिसके चलते यूपी में नया गुंडा एक्ट लागू हो गया है. इसके तहत मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और जाली नोटों के धंधे आदि क्राइम भी गुंडा एक्ट के दायरे में आएंगे. इसके अलावा पुलिस आरोपियों को इस एक्ट के तहत 60 दिन तक रिमांड में रख सकेगी.
राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा था प्रस्ताव
2014 में यूपी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि वह गुंडा एक्ट 1970 में बदलाव करे. सरकार ने मार्च में यूपी गुंडा निंयत्रण संशोधन विधेयक के साथ ही गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण संशोधन कानून को विधानमंडल में पास कराकर राज्यपाल के पास भेज दिया. राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था.
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राष्ट्रपति ने दी बदलाव की मंजूरी
दरअसल, बीते दिनों राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपराधों पर लगाम लगाने के लिए इन दोनों कानूनों में बदलाव की मंजूरी दे दी थी. इसके बाद विधी विभाग ने सोमवार को यूपी गुंडा नियंत्रण संशोधन अधिनियम 2015 की अधिसूचना जारी कर दी.
आसान नहीं होगी जमानत
इस नए कानून के तहत मानव तस्करी, गोहत्या, पशु तस्करी, मनी लांड्रिंग, बंधुआ मजदूरी, बाल मजदूरी, जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार और अवैध खनन जैसे अपराधों में शामिल लोगों पर भी गुंडा एक्ट लगाया जा सकेगा. इन अपराधों में जमानत आसानी से नहीं होगी. अपराधियों की संपत्ति जब्त होने का प्रावधान भी होगा. आरोपियों को 14 दिन के बजाए 60 दिन तक हवालात में डाला जा सकेगा. गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट दोनों में ही डीएम को कार्रवाई करने का अधिकार होगा.
परवेज़ सागर