छत्तीसगढ़ की हीरा खदानों से बड़े पैमाने पर अभी भी तस्करी जारी है. इसके चलते पुलिस ने राज्य के महासमुंद इलाके से दो शातिर हीरा तस्करों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से देवभोग हीरा खदान से निकालने गए 11 नग हीरे भी बरामद किए गए हैं.
रायपुर से महज 90 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिले में देवभोग इलाका है, जहां हीरे की बड़ी खदाने हैं. नक्सलियों के कब्जे वाले इस इलाके में अलग राज्य बन जाने के 18 सालों बाद भी अधिकृत रूप से हीरे का उत्खनन शुरू नहीं हो पाया है. रियोटिंटो और डिवियर्स नामक हीरा कंपनियों ने सयुंक्त मध्यप्रदेश के दौर में यहां हीरा उत्खनन के लिए सर्वे किया था.
उसके बाद से बहुराष्ट्रीय और देशी कंपनियों के बीच हीरा उत्खनन को लेकर छिड़ी जंग कोर्ट कचहरी तक पहुंच गई. अदालत में मामला विचाराधीन होने के चलते राज्य सरकार ना तो विवाद सुलझा पाई, और ना ही हीरा उत्खनन की वैधानिक प्रक्रिया शुरू हो पाई. ऐसे में देवभोग खदान कई सालों से लावारिस हालत में है.
इसी बात का सीधा फायदा कई सर्राफा कारोबारी और हीरा तस्कर उठा रहे हैं. ताजा मामला महासमुंद जिले का है. जहां दो तस्करों ने देवभोग हीरा खदान से चोरी छिपे खुदाई करवाई और 11 नग हीरे अपने कब्जे में ले लिए. वो इन हीरों को बेचने के लिए ग्राहकों की तलाश में जुटे थे. इस बीच किसी शख्स ने हीरा तस्करी की सूचना पुलिस को दे दी और दोनों तस्कर रंगे हाथों धर लिए गए.
तस्करों की पहचान करचिया निवासी खेमराज निषाद (50) और मोखागोड़ा निवासी नीलाधर गाड़ा (56) के रूप में हुई है. पुलिस ने तस्करों को बरोंडा इलाके से गिरफ्तार किया है. आरोपियों की तलाशी के दौरान 11 नग हीरे बरामद हुए हैं, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 4 लाख रुपये बताई जा रही है. पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है.
परवेज़ सागर / सुनील नामदेव