Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अपराध और सजा (Crime and Punishment) के साथ अपराधी (Offender) के बारे में भी कई तरह के प्रावधान (Provision) मौजूद हैं. ऐसे ही आईपीसी की धारा 206 (IPC Section 206) में सम्पत्ति को समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित करने के लिये उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 206 इस पर क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 206 (Indian Penal Code Section 206)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 206 (Section 206) में सम्पत्ति को समपहरण (Forfeiture) किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत (Acquired) किये जाने से निवारित करने के लिये उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना बताया गया है. IPC की धारा 206 के अनुसार, जो कोई किसी सम्पत्ति (Property) को, या उसमें के किसी हित को, इस आशय से कपटपूर्वक (Fraudulently) हटायेगा, छिपायेगा या किसी व्यक्ति को अन्तरित या परिदत्त (Transferred or delivered) करेगा कि तदद्वारा वह उस सम्पत्ति या उसमें के किसी हित का ऐसे दण्डादेश के अधीन (under sentence), जो न्यायालय (Court) या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी (Competent authority) द्वारा सुनाया जा चुका है या जिसके बारे में वह जानता है कि न्यायालय या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसका सुनाया जाना सम्भाव्य (Potential) है, समपहरण के रूप में या जुर्माने के चुकाने के लिये लिया जाना या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन (Execution of decree or order) में, जो सिविल वाद (Civil suit) में न्यायालय द्वारा दिया गया हो या जिसके बारे में वह जानता है कि सिविल वाद में न्यायालय द्वारा उसका सुनाया जाना सम्भाव्य है, लिया जाना निवारित (Prevent) करे, वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
परवेज़ सागर