निठारी कांड: सुरेंद्र कोली को बरी करने के फैसले के खिलाफ SC पहुंची CBI

साल 2006 में हुए सनसनीखेज निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को बरी करने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की है. इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जता दी है.

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सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई होगी सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई होगी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

साल 2006 में हुए सनसनीखेज निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को बरी करने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की है. इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जता दी है. जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस याचिका को 16 अक्टूबर, 2024 के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है.

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19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई और यूपी सरकार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी. इन याचिकाओं पर सुरेंद्र कोली से नोटिस भी जारी करते हुए जवाब मांगा था. कोर्ट ने मई में एक मामले में कोली को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक पीड़ित के पिता की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी.

इस मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर को सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया था, जबकि सुरेंद्र कोली को 28 सितंबर, 2010 को मौत की सजा दी गई थी. हाई कोर्ट ने पंढेर और कोली को उस मामले में बरी कर दिया था, जिसमें दोनों को मौत की सजा मिली थी. 12 मामलों में कोली और 2 मामलों में पंढेर को दी गई मृत्युदंड की सजा को पलटते हुए, कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष दोष साबित करने में विफल रहा है.

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मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू नौकर सुरेंद्र कोली के खिलाफ साल 2007 में कुल 19 मामले दर्ज किए गए थे. सीबीआई ने सबूतों के अभाव में तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन बचे 16 मामलों में, कोली को पहले 3 में बरी कर दिया गया और एक में उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी में एक नाले से 8 बच्चों के कंकाल मिले थे.

उस वक्त सुरेंद्र कोली पर आरोप लगा कि वो कोठी पर लड़कियों को लाता था. उनसे रेप करता था. फिर हत्या कर लाश के टुकड़े बाहर फेंक आता था. निठारी गांव की दर्जनों लड़कियों गायब होने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ था. हुआ यूं कि 7 मई 2006 को पायल नाम की लड़की लापता हो गई थी. वह पंढेर की कोठी में रिक्शे से आई थी. उसने रिक्शेवाले को कोठी के बाहर रोका और वापस आकर पैसे देने की बात कही थी. 

काफी देर बाद जब वह वापस नहीं लौटी तो रिक्शेवाला पैसे लेने के लिए कोठी का गेट खटखटाया. इस पर उसे सुरेंद्र कोली ने बताया कि पायल काफी देर पहले जा चुकी है. सुरेंद्र की बात सुन रिक्शेवाले को शक हुआ. उसका कहना था कि वह कोठी के सामने ही था, पायल बाहर नहीं निकली. फिर उसने यह बात पायल के घरवालों तक पहुंचा दी. इसके बाद पायल के पिता नंदलाल ने केस दर्ज कराया कि उसकी बेटी कोठी से गायब हो गई है. 

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इस तरह पहली बार मामला पुलिस तक पहुंचा. इससे पहले निठारी से एक दर्जन से ज्यादा बच्चे/लड़कियां गायब हो चुके थे. ऐसे में पुलिस शिद्दत से इस केस की जांच में जुट गई. इस बीच पुलिस को जानकारी मिली कि पायल के पास एक मोबाइल फोन था. जो घटना के बाद से स्विच ऑफ जा रहा था. पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई, तो मुंबई से लेकर तमाम जगहों के नंबर मिले. फिर उन नंबरों की जांच की गई. 

इसमें अहम सुराग मिले. उसके आधार पर पुलिस ने कोठी पर छापा मारा तो निठारी के 'नर पिशाच' का काला सच सबके सामने आ गया. पुलिस ने जब सुरेंद्र और मोनिंदर से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने पायल की रेप के बाद हत्या कर लाश कोठी के बराबर में नाले में फेंकने की बात कबूल ली. इस बीच दोनों की निशान देही पर दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने नाले से बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद किए थे.

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