लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस: जूनियर डॉक्टरों का आमरण अनशन, ममता सरकार पर लगाए ये आरोप

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर अब आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. उनका आरोप है कि ममत सरकार ने भरोसा देने के बाद भी उनकी मांगें पूरी नहीं की हैं. डॉक्टरों ने शुक्रवार को धर्मतला में डोरीना क्रॉसिंग पर धरना शुरू किया था.

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कोलकाता कांड में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर अब आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. कोलकाता कांड में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर अब आमरण अनशन पर बैठ गए हैं.

aajtak.in

  • कोलकाता ,
  • 05 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:27 PM IST

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर अब आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. उनका आरोप है कि ममत सरकार ने भरोसा देने के बाद भी उनकी मांगें पूरी नहीं की हैं. डॉक्टरों ने शुक्रवार को धर्मतला में डोरीना क्रॉसिंग पर धरना शुरू किया था. उन्होंने राज्य सरकार को वादे के मुताबिक उनकी मांगें पूरी करने के लिए 24 घंटे की समयसीमा तय की थी.

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आमरण अनशन पर बैठे एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, "राज्य सरकार समयसीमा में विफल रही है. इसलिए हम अपनी मांगें पूरी होने तक आमरण अनशन शुरू कर रहे हैं. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने उस मंच पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं, जहां अनशन कर रहे हैं. हम वादे के मुताबिक काम पर लौटेंगे, लेकिन कुछ खाएंगे नहीं. फिलहाल छह जूनियर डॉक्टर अनशन शुरू कर रहे हैं. धीरे-धीरे डॉक्टर उनके साथ जुड़ते जाएंगे.''

बताते चलें कि 17 सितंबर को जूनियर डॉक्टरों और ममता सरकार के बीच हुई बैठक में कई मांग मान ली गई थी. इसमें चिकित्सा शिक्षा निदेशक और स्वास्थ्य सेवा निदेशक को हटा दिया गया. इसके साथ ही कोलकाता के सीपी विनीत गोयल को भी उनके पद से हटा दिया गया था. डॉक्टरों ने ममता सरकार से पांच मांगें की थीं, जिसमें से तीन को सरकार ने मान लिया था. इसके कुछ दिनों बाद डॉक्टरों ने प्रदर्शन बंद कर दिया था.

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इस मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि बैठक 'सकारात्मक' रही और सरकार ने डॉक्टरों द्वारा रखी गई पांच मांगों में से तीन को स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की गई. उन्होंने कहा था, "मैंने आंदोलनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की है, क्योंकि उनकी पांच में से तीन मांगें मान ली गई हैं. प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी."

इस केस की जांच कर रही सीबीआई को पिछले दिनों कोर्ट में आलोचना का सामना करना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को जांच में इतना लापरवाह नहीं होना चाहिए. केंद्रीय जांच एजेंसी को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक के बाद एक कारणों से फटकार लगाई गई. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि ताला पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी की हार्ड डिस्क और दोनों आरोपियों के जब्त मोबाइल फोन की फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर दोबारा पूछताछ की जरूरत है. 

इसी वजह से सीबीआई ने दोनों आरोपियों की दोबारा हिरासत के लिए आवेदन किया है. लेकिन सीबीआई कोर्ट में जांच को लेकर कोई बड़ा खुलासा नहीं कर पाई. पिछले 10 दिनों में सीबीआई ने अभिजीत मंडल या संदीप घोष से एक मिनट के लिए भी पूछताछ नहीं की है. कोर्ट में इंस्पेक्टर अभिजीत मंडल के वकील ने कहा था, ''मेरे मुवक्किल पिछले कुछ दिनों से न्यायिक हिरासत में हैं. लेकिन उनसे एक मिनट भी पूछताछ नहीं की गई.'' 

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उन्होंने आगे कहा था, ''ऐसे में उनको दोबारा हिरासत में भेजने की क्या जरूरत है. यदि सीबीआई को फोरेंसिक लैब से डेटा मिले हैं, तो उनका काम है कि वो उनकी जांच करें. मेरे मुवक्किल पुलिस का इंस्पेक्टर हैं. ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी रह चुके हैं. यदि उनको जमानत मिल जाती है, तो वो गायब नहीं हो जाएंगे. इस मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है. ऐसे में जमानत के लिए प्रार्थना कर रहा हूं.''

केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरजी करल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था. सीबीआई के वकील ने कहा था, ''हमें लगता है कि इस अपराध के पीछे कोई बड़ी साजिश है. इस घटना की सूचना ताला थाने को सुबह 10 बजे मिली, लेकिन पुलिस अधिकारी 11 बजे मौके पर पहुंचे. एफआईआर रात 11:30 बजे के बाद दर्ज की गई. थाने के ओसी की उस दिन संदीप घोष से कई बार बातचीत हुई थी.'' संदीप घोष के खिलाफ मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने संस्थान में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई थी. 

इसमें अस्पताल में शवों की तस्करी, बायो-मेडिकल कचरे में भ्रष्टाचार, निर्माण निविदाओं में भाई-भतीजावाद आदि जैसे आरोप लगाए गए थे. 19 अगस्त को उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया गया था. अभिजीत मंडल के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ धाराएं जमानती हैं. उन पर घटनास्थल पर देर से एफआईआर दर्ज करने जैसे आरोप हैं. इसके लिए उनके खिलाफ विभागीय जांच हो सकती है, लेकिन इस गलती के लिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. जब भी सीबीआई ने उन्हें बुलाया, पूरा सहयोग किया है.

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