दिल्ली को साल 2020 में दहलाने वाले दंगों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए एक अदालत ने एक दोषी को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. सोमवार को फैसला देते हुए अदालत ने कहा, कि यह कोई 'मामूली अपराध' नहीं था. कुछ ऐसे कारण थे, जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती थी. कोर्ट ने दोषी का साथ देने वाले एक दूसरे शख्स को भी पांच साल कैद की सजा सुनाई है.
अदालत ने फैसले सुनाने के दौरान कहा कि पुलिस पर गोलीबारी करना इन दोनों की 'राज्य को चुनौती देने' की तत्परता को दर्शाता है और यह रवैया समाज के लिए खतरनाक है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला दंगे से जुड़े इमरान उर्फ मॉडल और इमरान के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. उन दोनों को एक गैरकानूनी भीड़ का सदस्य होने के आरोप में दोषी ठहराया गया था, जिन्होंने 25 फरवरी, 2020 को बृजपुरी इलाके में दंगा किया था और गोलियां चलाकर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक बल का इस्तेमाल किया था. इस हमले में एक पुलिस कांस्टेबल घायल हो गया था.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दोषी इमरान उर्फ मॉडल के पास पिस्तौल थी और उसने पुलिस पर गोली चलाई, जबकि उसके साथी इमरान ने अपराध में उसका साथ दिया और उसे उकसाया.
न्यायाधीश ने कहा, 'मुझे लगता है कि हालांकि इस मामले में किया गया अपराध कोई हल्का अपराध नहीं है, लेकिन शिक्षा की कमी, भीड़ की भावनाओं का प्रभाव और दोनों दोषियों की कम उम्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.' उन्होंने कहा, 'इसलिए दोषियों के खिलाफ सजा का फैसला बीच का रास्ता अपनाते हुए करना होगा. प्रत्येक दोषी की विशिष्ट भूमिका को भी ध्यान में रखना होगा.'
अदालत ने मॉडल और इमरान को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत क्रमशः सात साल और पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.
अदालत ने एक लोक सेवक को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए दोनों को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और दंगा करने, घातक हथियार से लैस होने और किसी की अवज्ञा करने के अपराध के लिए क्रमशः एक साल और छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने साफ कर दिया कि सजाएं एक साथ चलेंगी.
अदालत ने अपने सामने मौजूद सबूतों पर गौर करते हुए कहा कि दोषियों ने अपनी इच्छा से दंगों में भाग लिया था और यह नहीं कहा जा सकता कि वे किसी दबाव या मजबूरी में थे. दोनों ने बिना किसी हिचकिचाहट के निर्दोष लोगों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और पिस्तौल रखना भी उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी. अदालत ने कहा कि इसके अलावा, बिना किसी व्यक्तिगत उकसावे के किसी पर गोली चलाना आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है.
अदालत ने कहा, 'यह बिना किसी व्यक्तिगत कारण के किया गया अपराध था. पुलिस बल पर गोलीबारी को सामान्य अपराध के रूप में नहीं लिया जा सकता. बिना किसी कारण के अन्य व्यक्तियों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना आजकल एक बड़ा खतरा है.'
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