दिल्ली की एक कोर्ट ने संजय प्रकाश राय उर्फ संजय शेरपुरिया को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दे दी है. उनको प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. आरोप है कि उसने ईडी का डर दिखाकर एक व्यवसायी गौरव डालमिया और उनके परिवार से 12 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने 23 मार्च को पारित एक आदेश में उनको राहत दी है. इसमें कहा गया है कि आरोपी एक मामले को छोड़कर किसी दूसरे में संलिप्त नहीं पाया गया है, ना ही इसके बारे में अभियोजन पक्ष के द्वारा कोई उल्लेख किया गया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, "अनुसूचित अपराध (जिसके आधार पर ईडी ने अपनी जांच शुरू की है) का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने से पहले किसी भी अन्य मामले में शामिल नहीं होने के आरोपी के इतिहास को एक पैरामीटर माना जाता है. इस पर मूल्यांकन करने पर विचार किया जाना चाहिए." अदालत ने उसके वकील नितेश राणा की दलीलों को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया कि अभियोजन पक्ष की शिकायत में आरोप है कि लोगों को धोखा दिया गया, लेकिन यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि उन घटनाओं के संबंध में कोई अन्य मामला दर्ज किया गया है.
अदालत ने संजय शेरपुरिया को 1.5 लाख रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतदारों पर राहत दी है. इससे पहले वकील दीपक नागर के जरिए से दायर एक आवेदन में आरोपी ने जमानत की मांगते हुए दावा किया था कि उसके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है. उसे अब हिरासत में रखने का कोई मतलब नहीं है. वकील ने ये भी दावा किया था कि पूरा मामला जांच एजेंसी की 'कल्पना' है. आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उन्होंने अदालत से कहा था कि यदि संजय प्रकाश राय को जमानत मिल जाती है तो वो अदालत द्वारा उन पर लगाई गई किसी भी शर्त का पालन करने के लिए तैयार हैं.
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