ब्रिटेन में रह रहे इस्लामिक प्रचारक मौलाना शम्सुल हुदा खान पर अब कानूनी शिकंजा कसता नजर आ रहा है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शम्सुल हुदा के खिलाफ मनी लॉण्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया है. ईडी ने यह केस उत्तर प्रदेश के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) की एफआईआर के आधार पर दर्ज किया है. ईडी ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है.
जांच एजेंसियों के मुताबिक, शम्सुल हुदा खान मूल रूप से यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है. शम्सुल हुदा खान की नियुक्ति साल 1984 में एक सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे में असिस्टेंट टीचर के तौर पर हुई थी. आरोप है कि शम्सुल हुदा ने साल 2013 में ब्रिटिश नागरिकता ले ली थी. ब्रिटिश नागरिकता लेने के चार साल बाद तक उसने भारत में सैलरी और अन्य सुविधाओं का लाभ भी लिया. ऐसा तब था, जब वह न तो भारतीय नागरिक था और ना ही पढ़ाने का कोई काम कर रहा था.
ईडी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि पिछले करीब 20 वर्षों में शम्सुल हुदा खान ने कई विदेशी दौरे किए. वह कई देशों की यात्रा करता रहा और इस दौरान उसके भारत में मौजूद 7 से 8 बैंक खातों में कई करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ. जांच एजेंसियों का दावा है कि उसने 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की कीमत की एक दर्जन से अधिक अचल संपत्तियां भी खरीदी हैं. ईडी और यूपी एटीएस का आरोप है कि शम्सुल हुदा खान धार्मिक शिक्षा की आड़ में कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा था और अवैध फंडिंग में शामिल था.
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सूत्रों के मुताबिक, शम्सुल हुदा खान ने अपने एनजीओ ‘राजा फाउंडेशन’ और अन्य निजी बैंक खातों के जरिए कई मदरसों को फंड भी भेजे. जांच में यह भी सामने आया है कि उसने आजमगढ़ और संत कबीर नगर में दो मदरसे भी स्थापित किए थे, जिनका रजिस्ट्रेशन बाद में रद्द कर दिया गया.एजेंसी यह भी जांच कर रही है कि शम्सुल हुदा खान के ब्रिटेन में मौजूद कट्टरपंथी संगठनों के साथ क्या संबंध हैं.
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जानकारी यह भी आ रही है कि मौलाना शम्सुल हुदा खान पाकिस्तान भी जा चुका है, जहां उसके आतंकी संगठनों से संपर्क की जांच भी की जा रही है. सूत्रों के अनुसार शम्सुल हुदा खान के पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठन 'दावत-ए-इस्लामी' से जुड़े होने की बात भी सामने आ रही है. फिलहाल ईडी उसके फंडिंग नेटवर्क, विदेशी कनेक्शन और संपत्तियों की गहन जांच कर रही है.
अरविंद ओझा