कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में आजतक के हाथ एक एक्सक्लूसिव तस्वीर लगी है. इसमें अस्पताल के सेमिनार हॉल में मौजूद क्राइम सीन पर भीड़ देखी जा सकती है. इस केस की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की गई है, जिसकी इस तस्वीर से पुष्टि की जा सकती है. लेकिन कोलकाता पुलिस का कहना है कि तस्वीर में वही लोग दिख रहे हैं, जिन्हें वहां रहने की इजाजत दी गई थी. कोलकाता पुलिस सूत्रों का दावा है कि ये तस्वीर 9 अगस्त की है.
इससे पहले एक वीडियो भी सामने आया था, जिसने पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया. 43 सेकंड के इस वीडियो को 9 अगस्त की सुबह उसी सीन ऑफ क्राइम का बताया जाता है, जहां अस्पताल के अंदर ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और कत्ल जैसी भयानक वारदात हुई थी. इस वीडियो में सीन ऑफ क्राइम में लोग की भीड़ दिखी, जिसमें वे एक-दूसरे से बातें करते, ताकते-झांकते और मोबाइल फोन चलाते देखे गए. इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये कि लोगों की इस भीड़ में पुलिस वाले भी मौजूद रहे.
कोलकाता पुलिस ने वीडियो को 9 अगस्त की सुबह अस्पताल के सेमिनार रूम का तो माना है, लेकिन उसका कहना है कि तब तक उसने लाश के इर्द-गिर्द वाली जगह को क्वार्डन ऑफ कर दिया था यानी घेर दिया था और ये लोग उस घेरेबंदी वाली जगह के बाहर खड़े हैं. लेकिन कोलकाता पुलिस की इस सफाई से ही ये साफ है कि इतने सारे लोग उसी सेमिनार हॉल के अंदर तब घुस आए, जब हॉल में लाश पड़ी थी और सीन ऑफ क्राइम को सुरक्षित करना पहली और सबसे बड़ी जरूरत थी. इस वीडियो में कुछ लोगों की पहचान का दावा भी किया गया है.
इस वीडियो में आरजी कर अस्पताल की पुलिस चौकी के इंचार्ज संजीव चट्टोपाध्याय, वकील शांतनु दे, तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष के पीए प्रसून चट्टोपाध्याय और फॉरेंसिक डेमोंस्ट्रेटर देवाशीष सोम को देखे जाने का दावा किया गया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इतने सारे लोग सीन ऑफ क्राइम पर क्या कर रहे हैं. अजीब बात तो है कि इस भीड़ में अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ के साथ-साथ कई बाहर के लोग भी हैं, जिनके कायदे से यहां होने का कोई तुक ही नहीं बनता है. इस हालत पर अब पुलिस को जवाब देते नहीं बन रहा है.
कोलकाता पुलिस की डीसीपी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी ने इस वीडियो को सही ठहराया है. उन्होंने माना कि ये वीडियो सेमिनार रूम के अंदर का ही है, लेकिन इसके साथ ही ये भी दावा कि इस भीड़ की वजह से सबूतों से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई. उन्होंने बताया कि पुलिस ने तब तक ट्रेनी डॉक्टर की शव वाली जगह को घेर लिया था और ये सेमिनार हॉल के अंदर की 11 फीट वाली वो जगह है, जो घेरे से बाहर था. हालांकि जानकार सवाल उठा रहे हैं कि तब तक जब जांच की शुरुआत भी नहीं हई थी, तो पुलिस ने ये कैसे समझ लिया कि जहां लाश पड़ी है वहीं कत्ल हुआ है.
ऐसा भी तो हो सकता था कि क़त्ल कहीं और हुआ हो या फिर सेमिनार हॉल के ही किसी दूसरे हिस्से में हुआ और लाश को खींच कर दूसरे कोने पर लाकर फेंक दिया गया हो, ऐसे में पुलिस ने सेमिनार हॉल में लोगों को एंट्री देकर केस का कबाड़ा कर दिया. उधर, सीबीआई की छानबीन में साफ हुआ है कि वारदात की रात आरोपी संजय रॉय ने जिस बाइक का इस्तेमाल कर आरजी कर अस्पताल तक की दूरी तय की, वो बाइक भी किसी और की नहीं बल्कि कोलकाता पुलिस की ही थी. ये बाइक कोलकाता पुलिस कमिश्नर के नाम पर रजिस्टर्ड है.
सीबीआई ने फिलहाल इस बाइक को जब्त कर लिया है, लेकिन सवाल ये उठता है कि जब आरोपी संजय रॉय एक पुलिसकर्मी नहीं है, तो फिर वो सरकारी बाइक का इस्तेमाल कैसे कर रहा था. कैसे ऐसे आपराधिक चरित्र वाले शख्स को कोलकाता पुलिस ने अपनी बाइक का इस्तेमाल करने की छूट दे रखी थी. बाइक का इस्तेमाल करने वाला संजय क़त्ल के मामले में गिरफ्तार तो हुआ ही, लेकिन इससे पहले भी उसने कानून तोड़ने में कोई कमी नहीं की थी. वो उसी बाइक से नशे की हालत में वारदात की रात कोलकाता की सड़कों पर घूमता रहा. उसने अलग-अलग रेड लाइट एरियाज़ का दौरा भी उसी बाइक से किया और कम से कम 15 किलोमीटर तक पुलिस लिखी बाइक शराब के नशे में धुत्त होकर चलाई.
बताते चलें कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी स्टेटस रिपोर्ट में दावा किया था कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में क्राइम सीन यानी मौके पर छेड़छाड़ की गई है. पुलिस ने अंतिम संस्कार के बाद एफआईआर दर्ज की थी. इस पूरे घटनाक्रम के दरम्यान अस्पताल प्रशासन पूरी तरह उदासीन रहा. केस में लीपापोती और पर्दा डालने की कोशिश की गई. घटना की सूचना भी परिजनों को देर से दी गई थी. सीबीआई ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने ममता सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से सवाल-जवाब किए थे.
सीजेआई ने पूछा था कि डीडी एंट्री के मुताबिक, अननेचुरल डेथ सुबह 10.10 बजे दर्ज की गई और फिर 11.30 रात FIR में दर्ज क्यों की गई? ये बात परेशान करने वाली है. SC ने पूछा पोस्टमार्टम कब हुआ. इस पर सिब्बल ने कहा था, शाम 6 से 7 बजे. कोर्ट ने पूछा अगर ये अन नेचुरल डेथ नहीं था तो पोस्टमार्टम क्यों किया? 9 अगस्त की रात 11.30 बजे एफआईआर दर्ज हुई. ये बेहद चौकाने वाला मामला है. कोर्ट ने वेस्ट बंगाल पुलिस से पूछा अन नैचुरल डेथ केस आपने कब दर्ज किया? हम आपकी तरफ से सही उत्तर का इंतजार कर रहे हैं.
सूर्याग्नि रॉय