भारत ने कैसे किया कोरोना काल में चुनौतियों का सामना, पीएम मोदी ने लेख में समझाया

कोरोना संकट के मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ब्लॉग लिखा है. पीएम मोदी द्वारा ब्लॉग में समझाया गया है कि किस तरह भारत ने केंद्र और राज्य की भागीदारी के दम पर कोरोना संकट के दौरान चुनौतियों का सामना किया. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: PIB) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: PIB)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2021,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST
  • पीएम मोदी ने linkedin पर लिखा लेख
  • केंद्र-राज्य सहयोग की सराहना की

कोरोना संकट की चुनौती से देश निपट रहा है. पिछले करीब दो साल में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने किस तरह इस चुनौती का सामना किया, इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ब्लॉग लिखा है. पीएम मोदी द्वारा ब्लॉग में समझाया गया है कि किस तरह भारत ने केंद्र और राज्य की भागीदारी के दम पर कोरोना संकट के दौरान चुनौतियों का सामना किया. 

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पीएम मोदी ने कहा, 'जब दुनियाभर में वित्तीय संकट था तब भारतीय राज्य 2020-21 में ज्यादा उधार लेने में सफल रहे हैं. आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि 2020-21 में राज्य 1.06 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त उधार लेने में सक्षम रहे हैं.' उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों में भागीदारी के रवैये की वजह से ही संसाधनों की उपलब्धता में यह बढ़त संभव हुई. 

नई तरह की चुनौतियां

पीएम मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर की सरकारों और नीति-नियंताओं के सामने नई तरह की चुनौतियां पेश की हैं. भारत इस मामले में अपवाद नहीं है. इकोनॉमी को स्थिर बनाए रखना सुनिश्चित करते हुए जनकल्याण के लिए संसाधन जुटाना सबसे बड़ी चुनौती रही है. 

उन्होंने कहा कि जब हम कोविड महामारी से निपटने के लिए आर्थिक कदम उठा रहे थे तो हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हमारा समाधान 'छोटे-बड़े सबके लिए एक जैसा' न हो.  भारत जैसे एक संघीय देश के लिए, जिसके महाद्वीप जैसे आयाम हों, राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे नीतिगत साधन की तलाश जिससे राज्य सरकारों के सुधारों को भी बढ़ावा मिले, वास्तव में चुनौतीपूर्ण है. 

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आत्मनिर्भर भारत पैकेज में ऐलान

पीएम मोदी ने कहा, 'मई 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भारत सरकार ने यह ऐलान किया था कि राज्य सरकारों को 2020-21 में अतिरिक्त उधार लेने की इजाजत दी जाएगी. जीडीपी के अतिरिक्त 2 फीसदी तक उधार लेने की इजाजत दी गई, जिसमें से 1 फीसदी इस शर्त पर था कि राज्य कुछ तय आर्थिक सुधार करें. सुधारों के लिए इस तरह का प्रोत्साहन भारत के लोकवित्त में पहले कभी नहीं देखा गया.' 

चार सुधारों पर जोर 

पीएम मोदी ने बताया कि राज्यों को अतिरिक्त उधारी के लिए किस तरह के सुधार करने को कहा गया था. इन सुधारों के द्वारा जोर इस बात पर थ्था कि  खासकर गरीब और ​वंचित तबके के जीवनस्तर में सुधार हो और साथ वित्तीय स्थिारता भी बनी रहे. 

पहला सुधार 'वन नेशन वन राशन कार्ड' नीति के तहत था, जिसमें राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना था कि राज्य के सभी राशन कार्ड आधार से लिंक हों और राशन की सभी दुकानों के पास इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस हो. 

दूसरे सुधार का लक्ष्य कारोबारी सुगमता को बढ़ाना था, जिसके तहत राज्यों से यह अपेक्षा थी कि वे 7 एक्ट के तहत कारोबारी लाइसेंस को मामूली फीस के साथ ऑटोमेटिक, ऑनलाइन और सबके लिए सुलभ बनाएं. 

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तीसरे सुधार के तहत राज्यों से यह अपेक्षा थी कि वे शहरी क्षेत्रों में प्रॉपर्टी टैक्स, वाटर एवं सीवरेज चार्ज के फ्लोर रोट को नोटिफाई करें. इससे शहरी गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों को बेहतर गुणवत्ता की सेवा हासिल हो सकेगी.

चौथे सुधार के तहत कहा गया था कि किसानों को मुफ्त बिजली देने की जगह उन्हें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर  (DBT) से जोड़ा जाए. इसके लिए राज्यव्यापी नीति बनानी थी और राज्य के किसी एक जिले में इसे पूरी तरह से पायलट आधार पर लागू करना था.  

राज्यों का आभार

पीएम मोदी ने कहा कि भारत जैसे विशाल और जटिल देश में यह एक विशिष्ट अनुभव है. हमने अक्सर यह देखा है ​कि कई वजहों से योजनाओं और सुधारों का पहिया वर्षों तक आगे नहीं बढ़ पाता. यह अतीत के मुकाबले सुखद रूप से अलग बात है कि केंद्र और राज्य महामारी के दौर में बहुत कम समय में जनअनुकूल सुधार करने के लिए साथ आए हैं. यह हमारे सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास वाले रवैये की वजह से संभव हो पाया है. 

उन्होंने कहा, 'मैं उन सभी राज्यों का आभारी हूं कि जिन्होंने नागरिकों की बेहतरी के लिए ऐसे कठिन समय में भी इन नीतियों को अपनाने में आगे रहे.'

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