लखनऊ में वैज्ञानिकों ने बनाई स्वदेशी ओमिक्रॉन टेस्टिंग किट, 4 घंटे में होगी वायरस की जांच

लखनऊ के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी टेस्टिंग किट बनाई है, जिसमें 4 घंटे में ओमिक्रॉन वायरस का पता किया जा सकता है. यह देश में बनी, पहली स्वदेशी किट है. इस आरटीपीसीआर किट का नाम ओम रखा गया है.

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ओमिक्रॉन के लिए पहली स्वदेशी आरटीपीसीआर किट का नाम ओम रखा गया है (सांकेतिक फोटो) ओमिक्रॉन के लिए पहली स्वदेशी आरटीपीसीआर किट का नाम ओम रखा गया है (सांकेतिक फोटो)

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 26 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:25 AM IST
  • करीब 60 दिनों की मेहनत के बाद इस किट को तैयार किया गया है
  • 4 घंटे में ही आरटी पीसीआर टेस्ट से ओमिक्रॉन का लगेगा पता

देश में ओमिक्रॉन (Omicron) की जांच के लिए, सीडीआरआई (CDRI) के वैज्ञानिकों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसी टेस्टिंग किट बनाई है, जिसमें 4 घंटे में ओमिक्रॉन वायरस का पता किया जा सकता है. यह देश में बनी, पहली स्वदेशी किट है. इस आरटीपीसीआर किट का नाम ओम रखा गया है.

सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने बनाई स्वदेशी किट

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कोविड-19 का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन, भारत में तेजी से पैर पसार रहा है. कई जगह इसके कम्यूनिटी स्प्रेड की बात भी कही जा रही है. अभी तक जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए, ओमिक्रॉन का पता किया जाता रहा है, जबकि आरटीपीसीआर टेस्ट के जरिए केवल कोविड-19 संक्रमण का पता चलता था. सीडीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ओमिक्रॉन की विशिष्ट पहचान के लिए, इंडिगो ओम नाम की स्वदेशी किट बनाई है.

सीडीआरआई के डायरेक्टर तापस कुंडू के मुताबिक, यह नया वायरस ओमिक्रॉन आरटीपीसीआर टेस्ट के जरिए, पकड़ में नहीं आता था जिसके लिए जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जाती थी. इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों ने RT-PCR किट ओम की खोज की है, जिसका ट्रायल हमने किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में किया है. ट्रायल के बाद, अब यह किट जल्द ही जनता के बीच में उपलब्ध हो सकेगी.

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4 घंटे में मिलेंगे नतीजे

किट को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के लीडर अतुल गोयल के मुताबिक, करीब 60 दिनों की मेहनत के बाद इस किट को तैयार किया गया है. इससे मात्र 4 घंटे में ही आरटी पीसीआर टेस्ट करके ओमिक्रॉन वैरीएंट का पता लगाया जा सकता है.

केजीएमसी के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर अमिताभ जैन का कहना है, 'बहुत से लोग टेस्टिंग के लिए आते हैं, लेकिन जिस तरीके से सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने टेस्ट किया है, उसमें इसके सक्सेसफुल रेट हैं. उन्होंने हमसे सहयोग लिया था. उसके बाद हम लोगों ने उसको तैयार किया और टेस्टिंग सफल रही. हालांकि, जब तक किट आम आदमी के हाथ में नहीं आ जाती, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता.



 

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