चीन में कोरोना वायरस से हुई मौतों और संक्रमण के मामलों पर हुई एक नई स्टडी में कई बातें सामने आई हैं. इस स्टडी में बताया गया है कि बुजुर्गों के अलावा मिडिल एज (अधेड़) के लोगों को भी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा है.
यह स्टडी 'लैंसेट इन्फेक्शियस डिसीजेस' में प्रकाशित हुई है. ये स्टडी चीन के कोरोना वायरस संक्रमण के 70,117 पुष्ट मामलों पर की गई है. विश्लेषण के मुताबिक, उम्र बढ़ने के साथ-साथ कोरोना वायरस का खतरा भी गंभीर होता जाता है. कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में वैश्विक मृत्यु दर 1.38 प्रतिशत है. हालांकि, 10 से कम उम्र के आयुवर्ग में जहां मृत्युदर 0.0016% है, वहीं 80 या उससे अधिक के आयुवर्ग में मृत्युदर 7.8 % है.
स्टडी के मुताबिक, 41 से 50 की उम्र के मरीजों में से सिर्फ 4 फीसदी को हॉस्पिटल में इलाज की जरूरत पड़ती है जबकि 51 से 60 आयुवर्ग के मरीजों में से 8 फीसदी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है.
स्टडी के को-ऑथर प्रोफेसर अजरा घानी ने कहा, हमारी ये स्टडी किसी भी देश में कोरोना वायरस की रोकथाम में मददगार हो सकती है. हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि 50 या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को 50 से कम उम्र वालों की तुलना में अस्पताल में भर्ती कराने की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है. इनमें अधिकतर मामलों में मौत की आशंका भी ज्यादा होती है.
स्टडी में यह भी कहा गया है कि हार्ट या लंग्स से जुड़ी किसी बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों के लिए वायरस सबसे खतरनाक और जानलेवा है.
ब्रिटेन सरकार को कोरोना महामारी पर सलाह दे रहे इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि विश्व की 50-80 फीसदी आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकती है और तब आधुनिक से आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले देश भी सभी मरीजों के अस्पताल में इलाज की व्यवस्था नहीं कर पाएंगे.
कई देश अपनी बुजुर्ग आबादी के आइसोलेशन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं ताकि उन्हें किसी भी तरह के संक्रमण से बचाया जा सके. इटली में मौत का आंकड़ा इसलिए भी भयावह है क्योंकि वहां की अधिकतर आबादी बुजुर्ग है और पहले से ही किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित है.