चीन पर कोरोना वायरस से जुड़ीं जानकारियां और असली डेटा छिपाने को लेकर लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर अब चीन ने नई जानकारी दी है. चीन ने कहा है कि उसके यहां कोरोना से संक्रमित 1541 ऐसे केस हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखे हैं. चीन अभी तक बिना लक्षण वाले कोरोना वायरस के मामलों का डेटा सामने लाने से बचता रहा है.
चीन में अब तक कोरोना वायरस के 81000 मामलों की पुष्टि हो चुकी है लेकिन इनमें से ज्यादातर रिकवर हो चुके हैं. 30 मार्च तक चीन के अस्पतालों में कुल 2161 मामले थे.
चीन के आंकड़ों पर इसलिए भी सवाल खड़े किए जा रहे थे क्योंकि वह बिना लक्षण वाले मरीजों को कोरोना वायरस के मामलों में शामिल ही नहीं करता है. अगर किसी में कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण नजर नहीं आता है और वह टेस्ट में पॉजिटिव आता है तो चीन उसे कन्फर्म केस नहीं मानता. हालांकि, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों में टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए सभी मरीजों को आधिकारिक आंकड़े में शामिल किया जाता है.
यह आंकड़ा चीनी प्रीमियर ली केकियांग के स्थानीय अधिकारियों से बिना लक्षण वाले मामलों को ट्रैक करने और स्क्रीनिंग बढ़ाने के निर्देश के एक दिन बाद जारी किया गया है.
चीन का कहना है कि वह बिना लक्षण वाले कोरोना वायरस के मामलों को ट्रैक करता है. जब उनमें लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाते हैं तो वह उन्हें कोरोना वायरस के पुष्ट मामलों में शामिल कर लेता है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि ऐसे मरीज दूसरों तक संक्रमण फैलाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. इसीलिए चीन के गैर-लक्षण वाले मामलों का खुलासा ना करने को लेकर दुनिया भर में चिंता जाहिर की जा रही थी.
इस आंकड़े के सामने आने के बाद यह भी संदेह पैदा हो गया है कि दिसंबर महीने में वुहान से शुरू हुई कोरोना वायरस की महामारी वाकई खत्म हुई भी है या नहीं. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि चीन में ये महामारी खत्म नहीं हुई है बल्कि अब साइलेंट तरीके से फैल रही है.
चीन में दो सप्ताह पहले कोरोना के जीरो नए केस होने का दावा किया गया था. हालांकि, चीन की मैगजीन कैक्सिन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि चीन में अब भी बिना लक्षण वाले संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं.
इसी महीने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में कोरोना पॉजिटिव पाए गए एक-तिहाई लोगों में या तो देरी से लक्षण दिखाए दिए या फिर लक्षण दिखाई ही नहीं दिए. बिना लक्षण वाले संक्रमण के मामलों का पता टेस्टिंग से ही लगाया जा सकता है लेकिन कई देशों में टेस्ट सिर्फ लक्षण दिखाई देने पर ही किए जा रहे हैं. ऐसे में इनकी पहचान करना मुश्किल हो रहा है.