बिहार-UP से पलायन... जानिए किस राज्य में सबसे ज्यादा रोजगार के लिए पहुंचते हैं लोग

Unemployment in Bihar UP: बिहार से 2 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोग दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए पलायन कर चुके हैं. ये केवल वही संख्या है जिन्होंने अपना नाम ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर कराया है.

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Unemployment  in UP Bihar Unemployment in UP Bihar

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

भारत में हरेक राज्य से नौकरी के लिए दूसरे राज्यों में जाना एक आम बात है. नौकरी के लिए दूसरे शहर और राज्य क्या देशों तक में चले जाते हैं. लेकिन अगर बात भारत के राज्यों से काम धंधों की तलाश में दूसरे राज्यों को पलायन की करें तो देश के 2 राज्यों की कुल पलायन में 50 फीसदी हिस्सेदारी है. दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश के लिए जाने वालों की संख्या में करीब आधे केवल बिहार और उत्तर प्रदेश से हैं. 

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इसकी जानकारी सरकारी आंकड़ों से मिली है जिसके मुताबिक देशभर में करीब 30 करोड़ लोग दूसरे राज्यों में नौकरी करने जाते हैं.  ये आंकड़ा सरकार की तरफ से बनाए गए ई-श्रम पोर्टल में नाम रजिस्टर कराने के बाद सामने आया है, जिसमें इन लोगों ने अपने नाम रजिस्टर किया है. इनमें से 10 करोड़ उत्तर प्रदेश और करीब 3 करोड़ बिहार से हैं. इनमें ज्यादातर मजदूर हैं जो दूसरे राज्यों में काम करते हैं. इनके पलायन की मुख्य वजह है कि इनके राज्यों में रोजगार और नौकरी के विकल्प काफी कम हैं. 

30 करोड़ लोग कर चुके हैं पलायन!
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने जो आंकड़े पेश किए हैं उनके मुताबिक बिहार से 2 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोग दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए पलायन कर चुके हैं. ये केवल वही संख्या है जिन्होंने अपना नाम ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर कराया है. इसके साथ ही एक और चिंताजनक आंकड़ा ई-श्रम पोर्टल पर ये भी है कि बिहार में 90 फीसदी मजदूरों की मासिक आय 10 हजार से कम है. बिहार-उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा युवा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, गुजरात, पंजाब और सिकंदराबाद रोजगार के लिए पहुंचते हैं, रोजगार के तौर पर सबसे ज्यादा मजदूरी करते हैं. 

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पलायन की बड़ी वजह कम आय को ही माना जा रहा है. वहीं ये भी तय है कि करोड़ों नाम अभी तक श्रम पोर्टल में रजिस्टर नहीं हुए हैं. यानी असल में इन राज्यों से पलायन करने वालों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है.

ई-श्रम पोर्टल में रजिस्ट्रेशन से खुलासा
ये मुद्दा बीते कुछ बरसों के दौरान हिंदी बेल्ट में युवा वोटर्स की तादाद बढ़ने के बाद उभरा है, जिसने पलायन और रोजगार की समस्या की तरफ सभी का ध्यान खींचा है. इसका असर इतना ज्यादा है कि अब सभी राजनीतिक दलों के एजेंडे में ये शामिल हो गया है. ऐसे में अपने यहां से दूसरे राज्यों में जा चुके लोगों को वापस बुलाने के लिए अब कई राज्य दूसरे प्रदेशों के लोगों को नौकरी देने में परहेज कर रहे हैं. इसके लिए कानूनी रास्ता तक अपनाने पर विचार किया जा रहा है. लेकिन ये रास्ता ज्यादा प्रभावी नहीं है और इससे समस्या का स्थायी समाधान निकलने के आसार ना के बराबर हैं. बल्कि इससे लोगों के बीच आपसी टकराव बढ़ने की आशंका ज्यादा है. 

ऐसे में माना जा रहा है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी को मिलकर काम करना होगा और इसका ऐसा समाधान तलाशना होगा जो ना तो लोगों के बीच में फूट डाले और ना ही किसी को कहीं भी नौकरी करने से रोके. वैसे भी बिहार और उत्तर प्रदेश में ज्यादा आबादी होने की वजह से इन राज्यों से पलायन में कमी आना एक मुश्किल काम है. हालांकि प्रादेशिक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए निवेश आकर्षित करके और ज्यादा रोजगार के मौके पैदा करके ये राज्य कुछ हद तक इस समस्या को सुलझा सकते हैं.

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