कब कम होगी आपकी EMI, इस बैंक की रिपोर्ट में बताई गई तारीख!

Home Loan EMI: रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड प्राइसेज़ में गिरावट होने पर आर्थिक ग्रोथ को सहारा देन के लिए पॉलिसी रेट में कमी के आसार हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी में फूड इंफ्लेशन में संभावित गिरावट फरवरी में रेट कट की संभावना को बढ़ा सकती है. 

Advertisement
Home Loan EMI News Home Loan EMI News

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी यानी MPC फरवरी में इंटरेस्ट रेट्स में कटौती पर विचार कर सकती है. ये दावा ICICI बैंक की एक रिपोर्ट में किया गया है, जिसके मुताबिक जनवरी में फूड इंफ्लेशन में कमी आने पर ही RBI की MPC राहत देने वाला ये फैसला कर पाएगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड प्राइसेज़ में गिरावट होने पर आर्थिक ग्रोथ को सहारा देन के लिए पॉलिसी रेट में कमी के आसार हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी में फूड इंफ्लेशन में संभावित गिरावट फरवरी में रेट कट की संभावना को बढ़ा सकती है.

Advertisement

फूड इंफ्लेशन में गिरावट

हाल ही में हुई MPC की मीटिंग के मिनट्स से संकेत मिला कि समिति में नरम रुख अपनाने पर विचार किया जा रहा है. मीटिंग में दो सदस्यों ने रेट कट का समर्थन किया था. उनका तर्क था कि फिलहाल फूड इंफ्लेशन का असर कोर इंफ्लेशन पर सीमित है, और इकोनॉमिक ग्रोथ की गति धीमी हो रही है. 

हालांकि, बाकी सदस्यों ने रेट्स को स्थिर रखने के पक्ष में वोट किया था. उनका मानना था कि रेट कट के लिए ये सही समय नहीं है, उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले महीनों में फूड इंफ्लेशन में गिरावट होने पर रेट कट का सही मौका मिल सकता है.

आधिकारिक डेटा के हिसाब से भी देखा जाए तो महंगाई दर रेट कट करने के लिए गुंजाइश पैदा नहीं कर रही है. आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में रिटेल इंफ्लेशन 5.48 परसेंट रहा, जो वैसे तो अक्टूबर के 6.21 फीसदी से कम था. 

Advertisement

फरवरी में होने वाली RBI की बैठक में फैसला संभव   
 
लेकिन ये आंकड़ा RBI के 2 से 6 फीसदी के कम्फर्ट बैंड के ऊपरी स्तर के नजदीक बना हुआ है. ICICI बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक अगर इंफ्लेशन में गिरावट जारी रहती है तो फरवरी की MPC मीटिंग में रेट कट की संभावना मजबूत हो सकती है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि भारतीय करंसी यानी रुपये में गिरावट का दबाव बना हुआ है. 

अमेरिकी डॉलर इंडेक्स के मजबूत होने और फेडरल ओपन मार्केट कमेटी के कड़े रुख की वजह से रुपये का अवमूल्यन हो रहा है, नवंबर में 0.2 अरब डॉलर की FPI निकासी ने भी रुपये को कमजोर करने का काम किया है.

रिपोर्ट में कहा गया कि खराब बाहरी इकोनॉमिक आउटलुक की वजह से भारतीय रुपये पर निकट भविष्य में दबाव बना रहेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू इंफ्लेशन ट्रेंड्स और बाहरी आर्थिक कारकों के बीच तालमेल, आने वाले महीनों में RBI की पॉलिसी के फैसलों पर असर डालेगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement