फिलहाल लोग सोने के पीछे भाग रहे हैं, पिछले एक साल में सोने ने जबर्दस्त रिटर्न दिया भी है. आंकड़ों को देखें तो एक साल में GOLD का रिटर्न 60% से अधिक रहा है. यही नहीं, सोने ने निवेशकों को 2025 में अब तक बेहतरीन पैसा बनाकर दिया है. वहीं पिछले एक साल से इक्विटी मार्केट (Equity Market) यानी शेयर बाजार (Share Market) एक दायरे में कारोबार कर रहा है. जबकि निफ्टी और सेंसेक्स ने बीत एक साल में करीब 4 फीसदी रिटर्न दिया है.
अब सवाल उठ रहा है कि क्या सोना अब निवेश के लिए शेयर बाजार से बेहतर विकल्प बन चुका है. क्योंकि फिलहाल हर कोई गोल्ड में निवेश की बात कर रहे हैं. वैसे तो सोना और शेयर (Equities) दोनों ही निवेश के अच्छे साधन हैं, लेकिन उनका उद्देश्य अलग-अलग है. लेकिन कई मामलों में सोना अब भी इक्विटी से पीछे है.
35 साल का इतिहास
OmniScience Capital की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1990 से 2025 के बीच में Sensex (शेयर मार्केट) ने हर साल औसतन करीब 11.5% रिटर्न दिया, जबकि सोने का औसतन रिटर्न 9.5% रहा. किसी साल सोने ने 8 फीसदी तो किसी साल 10 फीसदी रिटर्न दिया है. यानी लंबे समय में शेयर बाजार ने सोने से ज्यादा कमाई कराई है. यहां अंतर केवल 2 फीसदी का दिख रहा है, लेकिन 2% का सालाना अंतर ही समय के साथ काफी बड़ा हो जाता है, इससे लंबी अवधि में निवेशकों बड़ा लाभ मिल जाता है.
यही नहीं, रिपोर्ट की मानें तो रोलिंग रिटर्न (Rolling Return) के मामले में तीन वर्ष से अधिक की अवधि में इक्विटीज ने हमेशा सोने से बेहतर रिटर्न देने का काम किया है. उदाहरण के लिए तीन वर्ष या उससे अधिक की होल्डिंग में इक्विटीज ने लगभग 98.1% समय पूंजी की सुरक्षा की, जबकि सोने में यह आंकड़ा लगभग 84% रहा. रोलिंग रिटर्न साधारण औसत से कहीं अधिक सटीक होते हैं.
सोना इमोशनली निवेश का विकल्प
रिपोर्ट में कहा गया कि अगर किसी ने तीन साल से ज्यादा समय तक पैसा लगाया, तो शेयर मार्केट में 98% समय तक पैसा सुरक्षित और बढ़ा. वहीं सोने में यह आंकड़ा करीब 84% था. यानी लंबी अवधि के लिए शेयरों में निवेश ज़्यादा फायदेमंद रहा.
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सोने में निवेश बेकार है. सोना सुरक्षा और मानसिक शांति देता है. जब शेयर बाजार में गिरावट होती है, तब सोना पोर्टफोलियो को थोड़ा संतुलन देता है. इसलिए इसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट कहती है कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो में 10% से 20% तक सोना रखना चाहिए, ताकि जोखिम कम हो सके. बाकी पैसा इक्विटीज़ (शेयरों) में लगाना बेहतर रहेगा, क्योंकि वहीं से लंबी अवधि में असली संपत्ति बनती है.
लंबी अवधि के लिए सोना से बेहतर स्टॉक मार्केट
रिपोर्ट ये भी कहती है कि सोना हमेशा महंगाई (Inflation) से नहीं बचाता, जैसा कि लोग मानते हैं. इसकी कीमत ज्यादातर डॉलर की चाल, ब्याज दरों और सेंट्रल बैंक की नीतियों पर निर्भर करती है.
गौरतलब है कि त्योहारों पर सोना खरीदने की परंपरा रही है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसे भावनात्मक निवेश नहीं मानना चाहिए. अगर आप 3 साल या उससे ज्यादा समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो शेयरों में पैसा लगाना ज्यादा समझदारी होगी.
आजतक बिजनेस डेस्क