चीन चिढ़ा, पाकिस्तान परेशान क्यों? दुनिया देखेगी भारत की तरक्की, G-20 में एक तीर से कई शिकार

ये मोदी सरकार और हिंदुस्तान ही है जिसने पहली बार जी-20 के मंच का इतना विस्तार किया है. ऐसे में दुनिया के सामने सवाल यही है कि क्या जी-20 के शिथिल मंच को विश्व गुरु भारत ने नई सदी का सबसे सक्रिय मंच बना दिया है.

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जी-20 आयोजन को लेकर हर भारतीय उत्साहित जी-20 आयोजन को लेकर हर भारतीय उत्साहित

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

जी-20 की बैठक पिछले दो दशकों से पूरी दुनिया में आयोजित हुई है. लेकिन भारत ने इस मंच का जमीन से उठाकर फलक पर पहुंचा दिया है. भारत की अध्यक्षता में G-20 के सम्मेलन का जो आयोजन दुनिया देख रही है, उससे पूरे विश्व में भारत का रुतबा विश्व-गुरु के तौर पर बढ़ा है.

भारत ने जी-20 सम्मेलन के जरिये पूरी दुनिया को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के वसुधैव कुटुम्बकम् का वो सनातन मंत्र दिया है, जिसकी जरूरत आज पूरी दुनिया को सबसे अधिक है. आज के इंटरकनेक्टेड वर्ल्ड में महामारी, खाद्य संकट, ऊर्जा संकट, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसी तमाम समस्याओं को क्षेत्र, राष्ट्र, वर्ग या समुदाय में सीमित असर नहीं होता.

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जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए भारत सरकार ने खजाना खोल दिया है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए आयोजन पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक का खर्च होने का अनुमान है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ये भी है कि आज तक देश में इतने बड़े स्तर का आयोजन पहले कभी नहीं किया गया था.

अब सवाल उठता है कि इतने बड़े वैश्विक आयोजन में मुद्दा क्या होगा, जिसमें इस शिखर सम्मेलन में बातचीत होने की संभावना है. 
- महिला सशक्तीकरण
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर
- वैश्विक अर्थव्यवस्था
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा
- आर्थिक अपराध
- कृषि  
- स्वास्थ्य
- संस्कृति और पर्यटन
- पर्यावरण संतुलन

बीते साल कोरोना ने दुनिया की सप्लाई चेन व्यवस्था से सीख लेने का मौका दिया. आज भारत उसी प्राकृतिक जीवन शैली की सनातन समृद्ध परंपरा को जी-20 के मंच के जरिये दुनिया तक पहुंचा रहा है. जलवायु परिवर्तन से लेकर मानव केंद्रित विकास तक और समावेशी तकनीक से लेकर तीसरी दुनिया के देशों की बात तक, ये मोदी सरकार और हिंदुस्तान ही है जिसने पहली बार जी-20 के मंच का इतना विस्तार किया है. ऐसे में दुनिया के सामने सवाल यही है कि क्या जी-20 के शिथिल मंच को विश्व गुरु भारत ने नई सदी का सबसे सक्रिय मंच बना दिया है.

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G-20 क्यों दुनिया के लिए अहम...
- 85% योगदान दुनिया की GDP में
- 75% हिस्सेदारी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में
- 60% भागीदारी विश्व की जनसंख्या में
- 80% सहयोग दुनिया के कुल निवेश में 

दरअसल, जी-20 के सम्मेलन में दिल्ली दुल्हन बनी हुई है, क्योंकि दुनिया भर से भारत भूमि पर अतिथि आ रहे हैं और ये भावना भारत भूमि पर जी-20 के सम्मेलन को किसी अन्य मंचों, मंथनों और सम्मेलनों से अलग बनाती है. यही वजह है कि आज पूरब से पश्चिम तक भारत का सम्मान है. आज भारत एक बार फिर दुनिया को दिशा दिखा रहा है. 

भारत के लिए कैसे मौका?
जी-20 सम्मेलन के दौरान मेहमानों को भारत की आधार, डिजिलॉकर और UPI जैसी उपलब्धियों के बारे में बताया जाएगा. सरकार की योजना है कि सम्मेलन के दौरान सभी प्रतिनिधियों को यूपीआई के जरिये पैसे भेजे जाएं. खबर है कि समिट के दौरान सभी प्रतिनिधियों के वॉलेट में एक-एक हजार रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे, ताकि वो UPI के बारे में जानें. वॉलेट के पैसे से अतिथि समिट वेन्यू पर लगे स्टॉल से खरीदारी कर सकते हैं. समिट पर लगे स्टॉल में भारत परंपरा की झलक दिखने को मिलेगी. 

गौरतलब एबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2029 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. 2027 तक उसकेजर्मनी और 2029 तक जापान से आगे निकल जाने का अनुमान है. आज पूरी दुनिया भारत की ताकत को समझती है. दुनिया जानती है कि भारत जो कहता है, वह करता है. आज भारत की नीतियों में स्पष्टता और पारदर्शिता है. 

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चीन इतना चिढ़ा क्यों है? 
हालांकि इस बीच कुछ देश ऐसे भी हैं, जो भारत की इस कामयाबी से चिढ़ रहा है, पता नहीं क्यों चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आयोजन में आने से मना कर दिया? वहीं पाकिस्तान इस बात दुखी है कि सऊदी अरब के प्रिंस Mohammed bin Salman G-20 में शामिल होने भारत तो आ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान नहीं जाएंगे. जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं. 

क्या भारत, दुनिया में नजरअंदाज किये जा रहे राष्ट्रों, समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं को साथ लेकर विकास पथ पर बढ़ने का संदेश दुनिया को देने में सफलता हासिल करने वाला है? क्या भारत की पहल से वैश्विक संस्थानों में समावेशी बदलाव हो पाएंगे.

125 देश, भारत के 60 से अधिक शहर, 200 से अधिक बैठकें और दुनिया भर से आए एक लाख से अधिक डेलीगेट्स. जी-20 के सम्मेलन को भारत ने ऐसा आयोजन बना दिया, जिसमें विश्व का नये भारत से परिचय हुआ. ऐसा भारत जिसने जी-20 को आर्थिक मंच से व्यापक बनाकर विकास की दौड़ में पीछे छूट चुके राष्ट्रों की आवाज बना डाला.

जिस ग्लोबल साउथ को दुनिया नजरअंदाज करती आ रही थी. पीएम मोदी और भारत उसकी आवाज बनकर ऐसे उभरे कि अब संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव भी भारत की पहल की तारीफ करते दिखते हैं. भारत ने न सिर्फ जी-20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने का प्रस्ताव रखा बल्कि हर मंच से दुनिया को इसकी जरूरत का भी अहसास कराया.

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दुनिया को भारत से उम्मीद 

पीएम मोदी UN से लेकर एससीओ और ब्रिक्स जैसे हर मंच से दुनिया के पिछड़ों की आवाज बुलंद करते आए हैं. जी-20 का सम्मेलन भी जीडीपी केंद्रित विकास से आगे मानव-कल्याण के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है.

यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटरेज कहते हैं, 'मुझे विश्वास है कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा कि दुनिया में जो जो भू-राजनीतिक विभाजन है, वो दूर हो और G20 सम्मेलन उम्मीदों पर खरा उतरे. मुझे उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकसित देशों को देखने में बहुत दिलचस्पी होगी जो इसमें एकत्रित हो रहे हैं.' 

दरअसल, कोविड काल के बाद बदले हालात, नजरिये और राजनीति में भारत ने हर मौके, हर क्षेत्र में विश्व को दिशा दिखाने का काम किया है. चाहे वो जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जूझती दुनिया में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ क्लाइमेट एक्शन में न्यायपूर्ण नजरिया बरतने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की जरूरत की बात हो या सोलर अलायंस जैसी पहल हो. भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई. यूपीआई और डिजिटल पेमेंट जैसी समावेशी तकनीकों को मानव कल्याण के लिए इस्तेमाल करने की तरकीब भी बताई. 

G-20 के मंच पर होगी गरीबी की बात 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है. मदर ऑफ डेमोक्रेसी और मॉडल ऑफ डाइवर्सिटी के रूप में हमने इस अनुभव के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए हैं, और इसी का अनुभव अब 19 देश, दो यूनियन और विश्व की 85 प्रतिशत आबादी वाली दुनिया अगले 3 दिनों तक दिल्ली में करने वाली है.

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ग्लोबल इकोनॉमी में जी-20 समूह की हिस्सेदारी के इन आंकड़ों को देखकर इसकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसकी अध्यक्षता करने से भारत को ग्रुप के सदस्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को और भी मजबूत करने में मदद मिलेगी. अगर एक्सपर्ट्स की मानें तो उनकी राय में भविष्य की ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ और समृद्धि को हासिल करने में जी20 की एक रणनीतिक भूमिका है. इसमें शामिल देशों से भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अच्छा-खासा इन्वेस्टमेंट आ रहा है, जिसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है. G-20 की अध्यक्षता करने से भारत को वैश्विक मंच पर प्रमुख खिलाड़ी बनने का मौका मिल रहा है. 

G-20 के जरिए होने वाले अन्य लाभों की बात करें तो केंद्र ने अपनी तरह की पहली पहल करते हुए स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप की स्थापना की है, जो विभिन्न स्टेकहोल्डर्स को एक साझा मंच पर एक साथ लाकर वैश्विक स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की आवाज के रूप में कार्य कर रहा है.  इसके जरिए सदस्य देशों द्वारा क्षमता निर्माण, फंडिंग गैप को कम करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने और समावेशी ईकोसिस्टम में ग्रोथ जैसे सेक्टर्स के लिए ठोस कदम उठाएंगे. राजधानी दिल्ली में होने वाली इस बैठक में देश के छोटे कारोबारिया या एमएसएमई सेक्टर (MSME Sector) को मजबूती देने से जुड़े कई ऐलान भी किए जा सकते हैं.  

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