बीते 5 जुलाई को आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े ऐलान किए. मसलन, इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी रेट 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया. इसी तरह इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने की खातिर लिए गए लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट भी देने की बात कही गई.
इसके अलावा देशभर में चार्जिंग प्वाइंट लगाने पर भी छूट देने का ऐलान किया गया. अब सरकार ने चार्जिंग संबंधी बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है.
भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचा लगाने की इच्छुक इकाइयों से प्रस्ताव आमंत्रित किये गये हैं. इन शहरों में वो भी शामिल हैं जिन्हें आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा स्मार्ट शहर अधिसूचित किया गया है. भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘‘शुरू में रूचि पत्र के जरिये 1,000 ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने का लक्ष्य रखा गया है.’’
मंत्रालय के मुताबिक रूचि प्रस्ताव जमा करने की अंतिम तिथि 20 अगस्त है. बता दें कि सरकार ने हाल ही में फेम योजना (बिजली वाहनों को तेजी से उपयोग और विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की योजना) के दूसरे चरण को मंजूरी दी है. 1 अप्रैल 2019 से शुरू तीन साल की इस योजना के लिये कुल 10,000 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन दिया गया है.
इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर उठ रहे सवाल
हाल ही में बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सरकार की योजना पर सवाल खड़े किए हैं. राजीव बजाज का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल पर सरकार की योजना व्यवहारिक नहीं है. हालात ऐसे बन रहे हैं कि ऑटो मेकर्स को अपनी दुकान बंद करने की नौबत आ सकती है.
हालांकि इस पर केंद्र सरकार के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सफाई दी है. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार की निकट भविष्य में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पर्यावरण को बचाने और कच्चे तेल के आयात में कटौती के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्रयास करती रहेगी.
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