1951 के बाद सबसे बुरे दौर में रेलवे! यहां जानें कब-कब कम हुआ मुनाफा

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)  की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे की कमाई बीते दस सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. लेकिन अगर अतीत के आंकड़ों पर गौर करें तो यह अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन है.

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2018 में रेलवे की हालत सबसे बदतर 2018 में रेलवे की हालत सबसे बदतर

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 05 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST

  • वित्त वर्ष 2018 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 98.44% तक पहुंचा
  • इससे पहले वित्त वर्ष 2001 में यह रेशियो 98.3 फीसदी पर था

बीते कुछ दिनों से भारतीय रेलवे को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)  की एक रिपोर्ट चर्चा में है. दरअसल, कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रेलवे की कमाई बीते 10 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो यानी परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2018 में 98.44 फीसदी तक पहुंच चुका है.

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इसका मतलब ये हुआ कि वित्त वर्ष 2017-18 में रेलवे ने 100 रुपये की कमाई के लिए 98 रुपये 44 पैसे खर्च कर दिए. यानी इस दौरान रेलवे को सिर्फ 1 रुपये 56 पैसे का मुनाफा हुआ. अगर अतीत के आंकड़ों पर गौर करें तो रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो यानी परिचालन अनुपात उतार-चढ़ाव भरा रहा है. लेकिन वित्त वर्ष 2018 में रेलवे के ऑपरेटिंग रेशियो में बढ़ोतरी संभवत: सबसे बुरी है. इससे पहले वित्त वर्ष 2001 में ऑपरेटिंग रेशियो 98.3 फीसदी पर था.

ऑपरेटिंग रेशियो का अच्‍छा दौर

साल 1950-1970 के शुरुआती सालों के दौरान, भारतीय रेलवे ने एक स्वस्थ ऑपरेटिंग रेशियो बनाए रखा था. वर्ष 1950-51 में, ऑपरेटिंग रेशियो 81 फीसदी के स्तर पर था. इसका मतलब ये हुआ कि तब रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए 81 रुपये खर्च किए. यानी इस दौरान रेलवे को 19 रुपये का मुनाफा हुआ था, जो उस वक्‍त के हालात के मुताबिक बेहतर स्थिति थी. इसी तरह 1960-61 तक ऑपरेटिंग रेशियो बढ़कर 78.75 फीसदी हो गया. यानी रेलवे ने 100 रुपये खर्च कर 21.25 रुपये का मुनाफा कमाया.

और फिर उतार-चढ़ाव....

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हालांकि 10 साल बाद 1970-71 में, ऑपरेटिंग रेशियो बिगड़ गया और यह 84.13 फीसदी पर आ गया. इसका मतलब ये हुआ कि रेलवे को हर 1 रुपया पर 16 पैसे से अधिक की बचत होती थी. इसके बावजूद तब के हालात को देखते हुए रेलवे की स्थिति ठीक कही जा सकती है. 1980 और 2000 के बीच के सालों में भारतीय रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो उतार-चढ़ाव भरा रहा.

वित्त वर्ष 1981 में ऑपरेटिंग रेशियो 96.07 फीसदी पर था जो वित्त वर्ष 1991 में 91.97 फीसदी पर पहुंच गया. हालांकि 1996 और 1997 में, रेलवे ने बेहतर परिणाम दिखाना शुरू किया और अपने ऑपरेटिंग रेशियो में क्रमशः 82.45 फीसदी और 86.25 फीसदी का सुधार किया. लेकिन वित्त वर्ष 1998 और 2001 के बीच रेलवे के ऑपरेटिंग रेशियो में फिर इजाफा होने लगा और यह क्रमशः 90.9%, 93.3%, 93.3%, 98.3% तक पहुंच गया. जो व्‍यापारिक नजरिए से खराब प्रदर्शन है.

लगातार 6 साल तक सुधार

हालांकि वित्त वर्ष 2002 से 2008 के बीच रेलवे के ऑपरेटिंग रेशियो में लगातार 6 साल तक सुधार हुआ. वित्त वर्ष 2002 में ऑपरेटिंग रेशियो 96.6 फीसदी था तो वहीं साल 2008 में यह सुधर कर 75.94 फीसदी पर पहुंच गया. लेकिन वित्त वर्ष 2009 में ऑपरेटिंग रेशियो एक बार फिर बिगड़ कर 90.46 फीसदी पर आ गया. वित्त वर्ष 2010 से अब तक रेलवे के ऑपरेटिंग रेशियो की बात करें तो सबसे बेहतर 2013 का साल रहा. इस साल ऑपरेटिंग रेशियो 90.2 फीसदी पर था.

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2014 से अब तक रेलवे का प्रदर्शन

वित्त वर्ष 2014 में ऑपरेटिंग रेशियो 93.6 फीसदी पर था. वहीं वित्त वर्ष 2015 में यह 91.25 फीसदी रहा. जबकि वित्त वर्ष 2016 में ऑपरेटिंग रेशियो 90.48 फीसदी पर था. बीते दो वित्त वर्ष में रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो बढ़कर 96.5 फीसदी और 98.4 फीसदी पर आ गया, जो चिंता की बात है. यहां बता दें कि बीते फरवरी महीने में वित्‍त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश करते हुए रेलवे के ऑपरेटिंग रेशियो में सुधार की बात कही थी. उन्‍होंने कहा था कि साल 2018-19 में ऑपरेटिंग रेशियो 96.2 फीसदी और साल 2019-20 में 95 फीसदी पर लाने की उम्‍मीद जाहिर की थी.

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